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Saturday, April 20, 2013

ना गीत से ना गाने से

ना गीत से ना गाने से 
ये भजन तो हैं सिर्फ 
चुनावी तराने से .

सुने ना सुने - बस 
बिना फरमाइश के 
दिन रात - चौबीस घंटे 
सुनते रहो - भूनते रहो 
और सर धुनते रहो .

उसने मुझे काला कहा
अबे तेरा मुंह तो - क्या
दिल भी पहले से काला है
इसमें कौन सा - किसी ने
गज़ब कर डाला है .

ये धौला है - ये लाल है
पता नहीं ये चुनाव भी
बस कमाल है - नेता खुश
पब्लिक का बुरा हाल है .

देते रहिये - देना ही है
देना ही पड़ेगा - नहीं दोगे
तो जबरन छीन ले जायेंगे
अभी दारु और गांधी दे रहें हैं -
वर्ना फिर इससे भी जायेंगे .

पर्व है - त्यौहार की तरह मना
दिवाली के बाद की
काली रात का मातम अभी से
मत मना - जो मिल रहा है
लपेट ले - जो दे रहा है खा .

वोट तेरे और तेरे बाप की
बपौती है - उसे अभी भूल जा
बादमें जिसको दिल करे
दे उसे - हरा या फिर जीता .

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