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झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये
सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
एक रिश्ता - बड़ा अनाम
एक रिश्ता - बड़ा अनाम सोचता हूँ दूं - उसे कोई अच्छा सा नाम . सावन सा उमड़ता - घुमड़ता रीझता हो . खिजाता हो - खीजता हो . ...
कहीं कोई तो है
कहीं कोई तो है इस बेमुरव्वत जहाँ में जो बरबस मुझे - याद करता तो है . थके क़दमों के सफ़र में - बेमन से ही सही साथ साथ गुजरता तो है - बे...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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