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चोट लगती है फूल से भी यार फूल पत्थर की तरह फैंको मत सुर नहीं साज नहीं आवाज़ नहीं अब यूँ गधों की तरह रेंकों मत . जिनावर ...
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Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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