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खोटे सिक्के चलते देखे
घोड़े यार फिसलते देखे डंकी सरपट चलते देखे जेठ दुपहरी तपती देखी हिमगिरी हमने जलते देखे अंधों की फूटी आँखों में का...
झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये
सूने गुलशन को इस तरह सजाया जाए महक नही तो थोड़ा इत्र मिलाया जाए . टिकाऊ न सही कुछ देर तो जले यारो झक दुपहरी में एक दीप जलाया जाये . दु...
अधूरी अतृप्त सी - मन की वासनाएं
अधूरी अतृप्त सी - मन की वासनाएं फूलों पर मंडराती रूपमती इच्छाएं - तितली सी - घूमती मादक हवाएं - मन ये सोचता हैं यहीं रुकें - या...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
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