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Tuesday, May 27, 2014

कल किसने देखा कब आया .

सूरजसे चुंधियाती नजरें 
क्या देखें खुली नहीं आँखें .
चौपट खुलें हैं द्वार अगर .
क्यों खिड़कीसे खुदको झांकें .

जबकल पर थी सारी आशा -
क्यों आज कहूं फिर मेरा था 
रातोंकी दुआ करी हमने -
यूँही बदनाम अँधेरा था .

ये मूल प्रश्न है दुनिया का
जैसे भी टाला जाए टल .
जिसका भी आज अधूरा है
ना जाने कैसी होगी कल .

कुछ करो आज की बात यार
जो मन में है जो मन भाया
जो छूटा फिर ना हाथ लगे -
कल किसने देखा कब आया .

Saturday, April 5, 2014

मेरा कोई सपना नहीं है

मेरा कोई सपना नहीं -
पर ढूंढता हूँ किसी की -
आँख का सपना .
अच्छा लगता है 
किसीके अधूरे सपनों में -
रंग भरना - 
कोशिशों से -
उसे पूरा करना .
मैं उस अहसास को -
जीना - 
पीना चाहता हूँ - 
जो सपनो के -
पूरे होने पर होता है .


Saturday, March 29, 2014

कठिन इम्तिहान है जीवन

कठिन इम्तिहान है जीवन
बड़ी मुश्किल पढ़ाई है .
स्लेबस रट लिए फिर भी
ना मेहनत काम आई है .

ना पेपर लीक होते हैं
ना यारो सेल होते हैं .
कभी ना पास होते हैं
ना यारो फेल होते हैं .

बदल सब्जेक्ट भी देखा
और पाले भी बदल डाले
नक़ल भी हो नहीं सकती
घाघ एग्जामिनर साले .

सफलता ना मिली यारो
सदा कम्पार्टमेंट पाया .
ना मैडल हाथ ही आया .
हुआ ना चाहा मन भाया .

तजुर्बे चल नहीं पाते
सभी बे मेल होते हैं -
ज़माना ऐसा आया है
ना पर्चे सेल होते हैं .

भले नाकाम हो जाएँ -
वो मंजर देख लेते हैं .
चलो एक बार फिर से
कोशिशें कर देख लेते हैं .








Friday, March 28, 2014

विदाई की वेला में

विदाई की वेला में - 
भीड़ में ढूँढती सी 
उसकी निगाहें -
मुझे खोज रही हैं .

और मैं छिप रहा हूँ 
या अपने आंसुओं को 
पलकों में छिपा रहा हूँ - 
बहादुर बच्चे रोते नहीं 
सबको दिखा जता रहा हूँ .

पर अंतर का बाँध -
टूटने को है - 

कल की चिंता -
दिल को खाए जा रही है .

मेरी लुका छिपी का
वो कोना - आज
मुझे छोड़कर जाने
किसके साथ - और
क्यों जा रही है .

कोई बताता नहीं -
वापिस आयेगी या -
फिर क्या सदा के लिए
मुझे छोड़कर जा रही हैं .

एक पागल सी लड़की -

एक पागल सी लड़की - 
हरपल - मेरे आगे पीछे 
मेरी तवज्जो पाने .
मेरी गतिविधियों पर 
नजर रखने - घर जाकर 
चुगली लगाने .


मेरे चारों तरफ 

लट्टू सी घूमती थी .
वो बड़ी बेरहम निर्दयी सी -
बचपन में मुझे 'यम'
से कम नहीं लगती थी .
पता ही नहीं चला -
खेल खेल में - वो
जाने कब बड़ी हो गयी .

आज भी - उससे 

मेरा सबसे अद्भूत नाता है 

सारे सौभाग्य - इश्वर ने 

उसे बक्शे हैं - फिर भी 

मेरे बिना उसके - दिल का 

एक कोना जाने- क्यों 

और कैसे - सूना रह जाता है .

Monday, March 17, 2014

प्यार मैंने भी किया है .

विरह की संवेदना मैं 
भित्तियों के चित्र सी तुम . 
प्यार तुमने भी किया था 
प्यार मैंने भी किया है .

मरू जलती रेत और वे 
ओस की नाजुक सी बुँदे .
आँख में पलता स्वप्न 
साकार मैंने भी किया है .

रूठ जाती हो ना जाने 
सेंकडों करती बहाने .
जाग कर यूँ रात भर  - 
मनुहार मैंने भी किया है .

आज वनिका बन के क्यों
फैलाए बैठी हो बही तुम .
प्यार के अहसास को
व्यापार तुमने ही किया है .

कौन जाने कौन हो तुम
चाहतों का सिलसिला है .
जिन्दगी जीना मेरा -
दुश्वार तुमने ही किया है .

काश मैं ये जान पाता
कोई तो मुझको बताता .
भटकनों में भटक जाता
पर ना तेरी राह आता .







Wednesday, February 26, 2014

एक चिंगारी को - छोटा ना समझ

एक चिंगारी को - 
छोटा ना समझ 
इसमे होता है -
रमाणु का विधान .

वो जिसने सीख कर 
पहचान लिया - 
वही करेगा अब 
इस क्रांति का संधान .

एक चिंगारी लगी - 
भस्मभूति - हुआ 
ये पापाचारी विधान . 

दावानल - ये जंगल
की आग - झुलस के 
मर गये - कई शैतान .

सड़क पे बिखरी   
जवाँ शक्ति उठा 
समेट ले - इन्हें 
दे दे पहचान .

ये बवंडर - 
ये आंधियां तूफ़ान -
पवन चक्की से 
उर्जा शक्ति - 
बन जाए फिर 
पूरा हिंदुस्तान .

Thursday, February 20, 2014

तू तमाशबीन नहीं शायर हैं .

लिख वो प्यार की-
बात जो तूने कही .
लिख उसके बाद की
पीड़ा जो तूने सही
लिख की तू मुहजोर
नहीं कायर है .
लिख की तू तमाशबीन
नहीं शायर हैं .

आज वो हर बात -
लिख जो तूने कही है
जमाना जानता है
वो कितनी सटीक
कितनी सही है .

आज ही लिख -
अपनी अंतरात्मा का
वो सच - जो
कल कोई नहीं सुनेगा .

कोई नहीं पढ़ेगा .
कम से कम - कोई
अलग से अपने
मायने नहीं गढ़ेगा .