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उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
Friday, June 10, 2016
आँधियों के दौर हर मंज़र उदास है -
बचने की भला अब किसको आस है
अंजाम से डरे हुए कुछ लोग तो मिले
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .
Sunday, February 14, 2016
तेरे इनकार में दम है .
किसीकी जात में दम है -
किसीकी पांत में दम है.
किसीकी दौलते चलती
किसीके हाथ में दम है .
ना तेरे प्यार में दम है
ना मेरे प्यार में दम है .
किसीकी ना बिकी चीनी
किसीका बिकगया शीरा
किसीका कांच बिकता है
किसीका ना बिका हीरा .
ना तेरी जीतमें दम है -
ना मेरे हार में दम है .
जमाना सामने हो तो
महूब्बत गौण होती है
मुक्कदर की धनी लैला
तभी तो मौन होती है
मेरा इकरार बेदम है -
तेरे इनकार में दम है .
http://yatranaama.blogspot.com/
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