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Wednesday, October 26, 2011

कहीं कोई तो है

कहीं कोई तो है इस बेमुरव्वत जहाँ में 
जो बरबस मुझे - याद करता तो है  .

थके क़दमों के सफ़र में - बेमन से ही सही
साथ साथ गुजरता तो है  - बेरंग हो चुकी
जिन्दगी में - सतरंगी रंग भरता तो है  .

जाने क्यों आज याद आ रहा है मुझे - वो
अनजाना , अनदेखा दोस्त - लगे सपना सा  .
भले हो सपना सा -फिर भी मेरा अपना सा.

जो मिले तुम्हे - यहाँ-वहां आते जाते कहीं
सच खबर करना - रह रहकर बहूत याद आता है .
बिछुड़े मुद्दतें हुई - अब मिलने को दिल चाहता है .



4 comments:

  1. बिछुड़े मुद्दतें हुई - अब मिलने को दिल चाहता है ..
    बढिया अभिव्‍यक्ति !!

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  2. "पर्व नया-नित आता जाता" उच्चारण पर लिखा
    जो कहीं कोई याद करता ,थके क़दमों से दिखा
    बिखरे बिखरे विचार कुछ हैं, वो दिल से रहा बता |
    दिग्भ्रमित सी देख दिशाएँ, अब बदली रही सता ||

    आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
    आइये --
    फिर आ जाइए -
    अपने विचारों से अवगत कराइए ||

    शुक्रवार चर्चा - मंच
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. खुबसूरत प्रस्तुति ||
    आभार महोदय |
    शुभकामनायें ||

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