कहीं कोई तो है इस बेमुरव्वत जहाँ में
जो बरबस मुझे - याद करता तो है .
थके क़दमों के सफ़र में - बेमन से ही सही
साथ साथ गुजरता तो है - बेरंग हो चुकी
जिन्दगी में - सतरंगी रंग भरता तो है .
जाने क्यों आज याद आ रहा है मुझे - वो
अनजाना , अनदेखा दोस्त - लगे सपना सा .
भले हो सपना सा -फिर भी मेरा अपना सा.
जो मिले तुम्हे - यहाँ-वहां आते जाते कहीं
सच खबर करना - रह रहकर बहूत याद आता है .
बिछुड़े मुद्दतें हुई - अब मिलने को दिल चाहता है .
जो बरबस मुझे - याद करता तो है .
थके क़दमों के सफ़र में - बेमन से ही सही
साथ साथ गुजरता तो है - बेरंग हो चुकी
जिन्दगी में - सतरंगी रंग भरता तो है .
जाने क्यों आज याद आ रहा है मुझे - वो
अनजाना , अनदेखा दोस्त - लगे सपना सा .
भले हो सपना सा -फिर भी मेरा अपना सा.
जो मिले तुम्हे - यहाँ-वहां आते जाते कहीं
सच खबर करना - रह रहकर बहूत याद आता है .
बिछुड़े मुद्दतें हुई - अब मिलने को दिल चाहता है .
बिछुड़े मुद्दतें हुई - अब मिलने को दिल चाहता है ..
ReplyDeleteबढिया अभिव्यक्ति !!
"पर्व नया-नित आता जाता" उच्चारण पर लिखा
ReplyDeleteजो कहीं कोई याद करता ,थके क़दमों से दिखा
बिखरे बिखरे विचार कुछ हैं, वो दिल से रहा बता |
दिग्भ्रमित सी देख दिशाएँ, अब बदली रही सता ||
आपकी उत्कृष्ट पोस्ट का लिंक है क्या ??
आइये --
फिर आ जाइए -
अपने विचारों से अवगत कराइए ||
शुक्रवार चर्चा - मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
खुबसूरत प्रस्तुति ||
ReplyDeleteआभार महोदय |
शुभकामनायें ||
वाह!
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