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Tuesday, December 31, 2013

दिल के आगे जोर नहीं है

 दिल के आगे जोर नहीं है - 

दिल के आगे चलती ना कुछ . 

कितना भी समझा फुसला ले -

बात मगर यूँ बनती ना कुछ .



डर के आगे जीत नहीं है 

भय बिन होती प्रीत नहीं है .

दिल माने कोई रीत नहीं है 

मधुर सुरों साजों पर गाया 

रोना कोई गीत नहीं है .



मन का मैला - साफ़ न होता  

धो धो - तन का मेल उतारा .

गिनती गिनगिन जग ये हारा 

होते हरदम - नौ दो ग्यारह . 

Saturday, September 28, 2013

मुक्तक

तुम्ही हो जिन्दगी मेरी 
तुम्ही से प्यार है माना .
निभाओ दोस्ती हमसे 
कभी मत छोड़कर जाना .

जरा सी बात है लेकिन 
लबों से कह नहीं सकते .
तुम्ही से प्यार करते हैं 
तेरे बिन रह नहीं सकते .

रात हर रोज़ आती है
मगर हम सो नहीं पाए .
किसी के बन नहीं पाए
किसी के हो नहीं पाए .

कभी आ जाओ चुपके से
कहीं मिल जाओ राहों में
हमें भी नींद आ जाए -
तेरी जुल्फों की छावों में .

प्यार की बात करते हैं
प्यार करना नहीं आया .
किसी की आँख में रह -
ढूबकर मरना नहीं आया .

क्यों घर को छोड़कर जाते
अगर वो ना खफा होती .
क्यों वापिस लौटकर आते
जो यारो में वफ़ा होती .

हमें जो मिल गये होते
तुम्हारे हो गए होते .
तेरी जुल्फों के साए में
कभी के सो गए होते .


आज हूँ मैं - ना रहूँ कल  
पर अमर हैं गीत मेरे .
याद जो आये कभी तो 
गुनगुनाना मीत मेरे .

Wednesday, September 4, 2013

छुड़ाकर हाथ भागा हूँ .


सुबह की बात करनी क्या
अभी सपनो से जागा हूँ  .
अँधेरी रात थी यारो -
छुड़ाकर हाथ भागा हूँ .

अँधेरा जब तलक छाये
ना तब तक रात होती है
उजालों में नहीं सपनो से -
कोई बात होती है .

ये सपने रात भर हमको
कभी सोने नहीं देते -
मेरे होते तो हैं पर -
और का होने नहीं देते .

यही है रात का सच -
यार तुमको मैं बताता हूँ .
जब आँखें बंद करता हूँ .
खड़ा सूरज को पाता हूँ .

रोज़ ये जागना - सोना
तेरा मिलना तेरा होना .
लगे दुनिया मुझे सपना
जो टूटे यार क्या रोना .

Sunday, September 1, 2013

गाँधी चला विदेश और मोदी आने को है

पार्थ सारथि नहीं कृष्ण - ये कैसा रथ है .

भार भूमि भारत ये- कैसा महाभारत है .

कटे केश - पग टूटे , कर काटे बैरी ने

असमर्थ - है हृदय कंटकापूर्ण पथ है .



नाल गड़ी है कहीं - कहीं की है महतारी


पुत्ररत्न अभिषेक करेगी क्या गांधारी .


ललकारें है भर्त्य विदेशी स्वदेशी को


शुरू हुआ है ग़दर - भगा दो परदेसी को




विगत गया बस - आगत आने को है


दग्ध हृदय में घन बूंदें बरसाने को है .


तप्त मरू में बस पावस गहराने को है


गाँधी चला विदेश और मोदी आने को है .

आस्था कटघरे में है

बड़े सुदृढ़ किले इनके

जो बापू हैं बबालों से

आस्था कटघरे में है

घिरे लाखों सवालों से .



बड़ी मजबूत दीवारें


ना टूटे तीर भालों से


भले तू कोशिशें कर ले


फावड़े या  कुदालों से .




असर कोई नहीं - होगा 
कुपित हो कोप कर देखो 
जड़ों में इनके पीपल का 
एक बिरवा रोप कर देखो .

फैंक दे गम पुराने हो गएँ हैं

ख़ुशी की बात कर - 
अब दिन सुहाने हो गएँ हैं 
लपेटे कब तलक फिरते रहोगे 
फैंक दे गम पुराने हो गएँ हैं .

मेरे तदबीर के - 
कुछ और माने हो गए हैं .
कब तलक बैठकर - 
मातम मनाता .
मेरी तकदीर के 
लिखे पुराने हो गए हैं .

बात कर जीत की -
मत हार की तू .
प्यार में धार है -
टकराव के फलसफे
अब पुराने हो गए हैं .

पत्थर पानी में खूब तरा

ना पाने से ना खोने से -
ना जाने किस के होने से
कुछ रार चली कुछ प्यार चला .
रूठा ना - जो दिल हार चला .

कुछ साथ रहे कुछ छुट गए
माला से मोती टूट गए
कुछ मने रहे कुछ रूठ गए .
किसके पीछे संसार चला .

ना अपना था ना गैर कोई
ना प्रीत हुई - ना बैर कोई .
कुछ तट पर बैठे - डूब गए
लहरों का कारोबार चला .

ना पंथ चला ना धर्म चला
मरहम से ज्यादा घाव भला
मन में मानवता का सपना
मंदिर से थोडा दूर पला .

आदम से है इंसान बड़ा
पतझर में पत्ता खूब झरा .
लकड़ी की नौका डूब गयी
पत्थर पानी में खूब तरा  .




Wednesday, August 21, 2013

फिर किसी गीदड़ का राज्याभिषेक होगा .













तिकड़मे सारी लगाईं जायेगी फिर 

तीर और तलवार से मारेंगे तोरण -

भाड में जाए आबरू वतन की 

चिन्दियाँ फिर से उड़ें नैतिक पतन की .



फ़तेह ऐसे ही दिलाई जायेगी फिर .

सिंह को बनवास का - तोहफा मिलेगा 

नए दौर का श्रीगणेश होगा - देखना 

फिर किसी गीदड़ का राज्याभिषेक होगा .



यही सच है ना कोई - किस्सा कहानी 

बात जंगल की नहीं - मेरे चमन की 

जाग जा तू नींद से है ये जुबानी 

देश दुनिया की नहीं मेरे वतन की .

बंध गए थे - बिना बांधे .

बंध गए थे - 
बिना बांधे .
बात कुछ भी थी - 
नहीं बस .
ओढ रखे थे - 
सभी बंधन - वो 
हमने तोड़ डाले .
जिस्म अपना - 
और दिल किस
किसके हवाले .

रास्ता बदलो जरा सा .

बंध और उपबंध से रोका -
महा विस्फोट होगा .
हे मनुज मन में तेरे 
कुछ खोट होगा . 
द्रुत गति को रोकना -
मुश्किल बड़ा सा .
सींच देंगी ये नदी -
सुखी धरा को . 
काम ये सच्चा खरा सा 
रास्ता बदलो जरा सा .

वो दिलके पास भी हैं

वो दिलके पास भी हैं 
और हमसे दूर भी हैं . 
हुस्न वाले हैं - 
जरा मगरूर भी हैं .
दिलों की चाहते - 
दोनों तरफ हैं .
कड़े पहरे में वो -
और जरा मजबूर भी हैं .

कैसे कैसे घोंचू झेलूं

कैसे कैसे घोंचू झेलूं 
सोच रहा है लालकिला .
इसीलिए तो लाल हो रहा 
देखो यारो लाल किला .

इतना खलता -
बस नहीं चलता -
देखो जिगर लुहान हुआ 
जितना आज विवश है -
कल तक कभी ना 
हिन्दुतान हुआ .

क्षणिकाएँ

कई जो मर्तबा टूटा - उस 
दिल का मोल क्या बाकी 
किसी को दे भी दें लेकिन 
किसी का हो नहीं सकता  .

किराए बढ़ गए दिलके 
ना दे पाओ तो जाने दो . 
ना रुक पाओ चले जाओ 
नया किरायेदार आने दो .

जो गिर कर चूर हो जाए 
वो पत्थर हो नहीं सकता .
जो बंट जाए हजारों में 
मेरा दिल हो नहीं सकता .

फरेबों से भरी दुनिया 
सभी दिखते पराये हैं .
तेरा अपना कहलाने को 
यार अब दिल नहीं करता .

चले हैं - ढूँढने खुद को 
जहाँ में खो गए हम हैं . 
जो खुद को पा लिया होता 
खुदा को पा लिया होता .

ना कोई है - ना कोई था 
ना कोई भी कभी होगा .
तेरे सिवा भी - कोई है 
यार क्या बात करते हो .

हंसी की बात करते हो 
और हंसने भी नहीं देते 
अबे तुम कांग्रेसी हो क्या .

कठिन थे रास्ते दिलके 
न चलते हम तो क्या करते . 
शहर में था कहाँ अपना -
जो उसके घर चले जाते .

उलझने ऐसी - 
की दिल हैरान 
परेशांन भी हैं .
रूठना आता नहीं
यूँ मन भी जाते - 
पर किसी का - 
ध्यान भी है .


ना रुक पाओ 
चले जाओ . 
हृदय के द्वार खूल्लें हैं -
ना माने दिल  
चले आओ .

जो किसी ने - दी हमे आवाज़ 
रुक जाना पड़ेगा . 
आ गया जो लौटकर वो पास 
तो बसजाना पड़ेगा .

नटों और बोल्ट से - 
अपना वजूद कस रहा हूँ मैं .
उजड़ना चाहते हैं लोग - 
बस रहा हूँ मैं .

जिन्हें बसने की चाहत थी 
उन्ही को घर नहीं मिला 
था जिनके पाँव में चक्कर - 
उन्हें सफ़र नहीं मिला .

दिल को समझाने का 
इक हुनर तो है .
कटे जो हाथ तो - क्या 
अभी सर तो है .

दुखों की आग लगी -
बुझाई न गयी .
सेंकडों दर्द सीने में - 
दिलकी तन्हाई ना गयी। 

जिसे भी देखा - रंजों 
ग़मों से तर देखा . 
किसी की आँख में आँसू 
किसी के समन्दर देखा .

तुम्हारे सामने हम हैं 
उधर तुम देखते क्या हो
इधर है प्रेम का सागर 
उधर कुछ भी नहीं यारा .

जरा रूक जाओ पल भर को 
मेरे दिल को सँभलने दो .
अभी तो रात बाकी है - 
जरा दिन तो निकलने दो .

हुई जो तेज़ बारिश - 
पाँव फिसले ना जम पाए .
बड़ी सुनी रही महफ़िल 
ना तुम आये ना हम आये . 

मुफ्त में बेचने चला था 
मेरी तन्हाइयों का -
खरीदार न मिला कोई .

गुम हैं किसी के ख़्वाबों में दिल 
या ईलाही अब ना जगाये कोई .

खुबसूरत हो मेरे ख़्वाबों की तरह 
हकीकत यूँ  कब हसींन होती है 

खबर जो होती तो - 
हम भी देख लेते यार .
बहारों के बाद - पतझर 
कैसे चुपके से चले आते हैं .

हम तो वो हैं जिधर -
कब से उधर देखते हैं . 
किधर है ध्यान उनका - 
जाने किधर देखते हैं .

भूल जाना - चला गया कोई 
चला गया तो याद आऊंगा -
याद करना - चला गया कोई .

महुब्बत गर जिन्दगी है तो मौत क्या है .
गर ये बेखौफ है तो - वो भी बेपरवाह है .
समझ में कुछ नहीं आता - माजरा क्या है . 
मरने जीने का भी ये अजीब सिलसिला है .

इश्क पैगामे महुब्बत है खुदा 
गर यकीं है तो यही सच होगा .

मैल कपड़ों की भी बुरी होती है 
दिलको कब किसने धोकर देखा .



Tuesday, August 20, 2013

" चिरायु हो -


" चिरायु हो -
वक्त के सामने
डंट जाओ - हर
विपरीत परिस्थितयों में
सदा मुस्कुराओ -
खुलकर कहकहे लगाओ .
ज़माना रश्क करें - तुमसे
ऐसे बन जाओ "

जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
वा शुभाशीष .....!!!


Sunday, August 11, 2013

चीनी राखी बांधते

चीनी राखी बांधते 
सत्ताधारी संत .
पाकिस्तानी तेज़ हैं 
हिंदुस्तानी टन्ट .

हिंदुस्तानी टन्ट *
देख ईश्वर की माया 
उसने पेटन टैंक -
लो हमने ताज़ बनाया . 

एक राज की बात है
करो बंधुवर नोट .
हिंदुस्तानी माल में
शतप्रतिशत है खोट .

शतप्रतिशत है खोट
नहीं कोई गारंटी .
चीनी बिकता रोज -
चले जाओ तुम मंडी .

बना बनाकर भेजते
ले लो प्यारे ऐश
ना काहू की फेक्ट्री
ना वर्कर का क्लेश .

लूट सके तो लूट ले
करले हूँडी कैश
इतनी सस्ती ना मिले
तुम्हे कहीं भी ऐश .

सौ रूपये का माल ले
दो रूपये के भाव .
ऐसा सौदा ना पटे
हिदुस्तानी भाव .

अपने धंधे बंदकर
काहे को टकराये .
वर्ना चीनी के बिना
पीले प्यारे चाय .

(टंट = मुर्ख/गंवार )

क्षणिकाएँ

क्या हुआ मैला हुआ तन . 
देख सुंदर सा मेरा मन .
शुभ्र देवो सा मेरा संसार . 
प्राणप्रिय आओ मेरी बन .

अभी तुक्के लगाये हैं 
अभी तो तीर बाकी हैं 
अभी तदबीर बाकी है 
अभी तकदीर बाकी है
अभी अभिमन्यु जिन्दा 
द्रौपदी का चीर बाकी है .

ना रोने का सबब कोई 
रुलाई भी नहीं आती .
अभी तक रात सी क्यों है
सुबह क्यों हो नहीं जाती .

रतजगे हो रहें हैं यार 
यूँ जागे आँख में सपने .
ना सोते हैं वो इक पल -
और हमें सोने नहीं देते .

ख़ुशी की बात करते हैं 
ये खुश होने नहीं देते .
किसी के हो नहीं सकते 
और हमें होने नहीं देते .

फिजा में घूल रही स्याही 
को क्यों धोने नहीं देते .
सुबह की बात करते हैं 
सुबह होने नहीं देते .

वो इतनी दूर हैं हमसे 
नज़ारे हो नहीं सकते .
इशारे हो नहीं सकते 
हमारे हो नहीं सकते . 

बड़े कमबख्त थे हमारे ख्वाब 
वो तब आये - जब सवेरा हुआ .
मेरी बात दिल कभी माना ही नहीं 
आज हरेक से कहता है - तू मेरा हुआ .

वो हँसे तो देखकर मेरी सूरत 
हमें लगा - लो प्यार हो गया .

हंसने वालों के साथ हंस लूँगा . 
माफ़ मरना - मैं रो नहीं सकता .

वो इस कदर शामिल हैं कहीं मुझमे .
अनकहे मेरे जज्बात भी सुन लेते हैं .

कह दिया होगा - शायद बेख्याली में 
महुब्बत नहीं - हमने तो इबादत की है .

अभी तो पाँव टूटे हैं -
सफ़र बाकी अभी यारो .
अदम में छोड़कर जाना 
हमें अच्छा नहीं लगता .

रहे - ना छोड़ कर जाए 
मेरे दिलको मेरे घर को 
कोई हो ख्वाब ऐसा भी 
पर ऐसा हो नहीं सकता .

किसी की बात में दम था 
किसी के साथ में दम था .
निशाने पर मेरा था दिल 
नाये कम था ना वो कम था .

यही सोचा है इस दिल ने -   
फजीहत भी क्यों करवाओ 
जो मन जाते तो अच्छा था . 
ना मानो - भाड़ में जाओ .

मनाना फर्ज था अपना 
जतन सारे किये हमने -
ना माने क्यों - ये वो जाने 
या फिर उनका खुदा जाने .

ये दिल अपना कभी ना था 
ये सच है आज भी यारो -
किसी का आज तक - इसको 
कभी होना नहीं आया .

किराएदार थे यारो -
किराया भर नहीं पाए .
किराए के दिलों में कब 
तलक यूँ ठाठ से रहते .

कभी तो बात भी होगी 
कहाँ तक चुप रहेंगे वो .
उधर वो भी परेशान हैं 
इधर हम भी परेशां हैं .

ये दिल अब भी परेशा है
सबब कुछ भी नहीं यारो 
फ़क्त बस बात है इतनी 
वो हमको भूलने को हैं - 
भुलाए वो नहीं जाते .

ग़मों से थक गए यारो -
ख़ुशी की बात होने दो .
छतरियाँ खोल लो - अब 
जोर से बरसात होने दो .