Popular Posts

Thursday, May 30, 2013

ख्वाब से तुम - क्यों चले आते हो

ख्वाब से तुम - 
क्यों चले आते हो - 
मेरी आँखों में हर रात .
कोई पहचान नहीं - 
क्यों छेड़ते हो - 
मेरे सोये हुए जज्बात .


भटकनो से - खुद को 
बड़ी मुश्किल से 
सहेजा है - ये 
सुर्ख गुलाब - तुमने
मुझे क्यों भेजा है .



हवा थमी है -
अभी बादल खामोश -
फिर बिजलियों को
छिपाके दामन में -
मेरा घर जलाने -
किस ख़ुशी में
तुमने भेजा है .



जाओ पथिक -
चले जाओ - वहीँ
इस दरख्त पर
आस के पखेरू - अब
अपने नीड़ नहीं बनाते
यूँ दरवाजा खुला है -
कभी मिल लेना
यूँहीं आते जाते .

Tuesday, May 28, 2013

जिन्दगी जिन्दा सवाल है

देखना क्या - मौत का यारो 
जो छिपी है लाख पर्दों में .
हर तरफ बिखरी पड़ी है जो 
जिन्दगी वो बेमिसाल है .


मौत की बाते करें हम क्यों 
मौत आखिर क्या बबाल है
जिन्दगी से रूबरू हूँ मैं -  
जिन्दगी जिन्दा सवाल है .

Monday, May 27, 2013

क्षणिकाएँ

जिसका मैं वो मेरा नहीं ये कैसा दुर्भाग्य
जैसी जाकी लेखनी - वैसे उसके भाग्य .

चल साईं उस देश में - वहां मिलेगी ठोर  
सत्ता ना बिकती जहाँ - जहाँ नहीं सब चोर .

थे तो फूलों के व्यापारी
दोस्ती काँटों से पड़ी भारी .
कटे दरख्त सब दोस्ती में
चली जो तेरे प्रेम की आरी .

तेरे वजूद - तेरे होने की सजा इस तरह से पाता हूँ
तू सूर्य सी चमकती है मैं उजालों में जला जाता हूँ .

कटी सब जिन्दगी रातके अंधेरों में
अब सुबह के उजालों का क्या करू .


बड़ी तीखी है तेज़ धार - 
इसे तू शब्द मत कह यार .
कटे का घाव भर जाए -
शब्द जाएँ जिगर के पार  .

नेता विदूषक खेल - खिलाड़ी कहाँ गए
 
ना सुर्ख़ियों में है कहीं - जाने कहाँ गुम हैं
 
पढता नहीं अखबार कोई आजकल यारो 

ये रेडियो चैनल सभी तो आज मौन हैं - 

सब लोग पूछते हैं ये मोदी शख्स कौन हैं .   

इस दिल में मेरे दोस्त है तन्हाईयाँ बड़ी 
होती हैं यार - शाम की परछाइयाँ बड़ी .

हिला मत निकल जायेगी 
हाथ से दिल की ये दिल्ली 
जरा फिर ठोकना होगा -
ये किल्ली हो गयी ढिल्ली .

कितना ही छुपायें हम -
दुनिया से भला यारो 
चेहरा बता रहा है - मेरे 
हर दर्द का फ़साना .

अंजाम जो भी होगा -
फिर देख लेंगे यारो .
ये पहली महूब्ब्त है 
पहला ही फ़साना है .

बेवक्त का ये सुर हैं 
ना गीत ही नया है .
बेसुध लोग हैं सब 
अब किसको जगाना है .

भूकंप हिली धरती 
अब जाग भी जा प्यारे 
वर्ना फिर इस जग से -
सोते हुए जाना है .

जगाना नहीं इसको - 
कुछ नींद भी कच्ची है 
जागा जो तो रोयेगा -
और फिर नहीं सोयेगा .

पत्थर उछाले बहूत - फल एक ना गिरा 
इस शहर के बच्चे भी बड़े बदनसीब हैं .

शीशे के घर - कमाल के होते हैं रात में 
सोते हैं रौशनी में - जाने ये कैसे लोग .

दुनिया बड़ी रंगीन बहूत ही हसीन है -
पर्दा हटाके देखिये इक बार तो जनाब .

तुम जो भी लिखो छूट हैं 
मैं प्यार लिखूंगा - 
ठंडा हूँ बरफ सा मगर 
अंगार लिखूंगा .

गहरी खाई -काई छाई 
टूटी नैया -जल भर लायी .
दिल अपना और प्रीत बेगानी 
हरा समन्दर गोपी चंदर -
बोल मेरी मछली कितना पानी .







Sunday, May 26, 2013

क्षणिकाएँ

जब शिशु सपने - 
कम उम्र में गुजर जाते हैं .
युवा स्वप्न आत्महत्या कर जाते हैं .
उस दिन जिस्म तो जिन्दा होता है  
पर दिल हमारे मर जाते हैं . 

मारने से इरादे नहीं मरा करते 
हरे हो जाते हैं ठूंठ भी बहारों में .

भौर होते ही - 
सुला देता हूँ .
दिन में सपनो का -

जागना अच्छा नहीं होता .

गिरा है वो - चाहे किसी का है 
फिर भी ये लहू आदमी का है .

सभी तो खुदके जैसे लगते हैं 
सभी होते हैं अलेहदा जुदा - 
कोई किसी के जैसा नहीं होता .

सोचना है - सोचना क्या 
जो नहीं लड़ते कभी 
वो सोचते हैं .

अभी आये नहीं 
जाने की जिद - और 
फिर फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .

नदी तुम बहती क्यों हो 
निरापद - बेसबब 
निर्बाध - गति से 
कभी रूकती क्यों नहीं - 
आज नहीं - तो 
कल कल कहती क्यों हो .

वो समय का घोडा - 
थका - रुका पलको   
फिर सरपट दौड़ा .

ऐ मेरे दिल तू चल यहाँ कोई नहीं तेरा 
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा 
ना जाने किसका है अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .

यही दुआ है बस - उनसे कभी सामना ना हो 
मिल जाए भी तो दिलमें कोई कामना ना हो .

उस कपूत का क्या करें जो 
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें 
जो देश को रसातल में ले जाए .

आस्मांनी आफताब की औकात नहीं थी 
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद 
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .


जीना बहूत जरुरी है
मरना भी मजबूरी है
जीने मरने में यारो
अक्षर भर की दूरी है .
आओ यारो साथ चलें
साथ चलें तो बात चले
उनकी चले जुबान अगर
अपने दोनों हाथ चलें .

खेत गए खलिहान गए बोये सारे धान गए अब्बा यूएस से आये बाकी पाकिस्तान गये अम्मा यारो साफ़ बची - मनमोहन के प्राण गए 
हिन्दुस्तानी माने ना मगर  बिदेसी मान गए .

बाबा आदम की बाते
मुर्दा जिन्दा लगता है .
गांधी गांधी चिल्ला कर
जिन्दों को भी ठगता है .

तदबीर बहूत की पर -
तकदीर निराली थी
अपनी तो यार झोली
खुशियों की बात छोडो
ग़मों से भी खाली थी .


दुश्मन कोई और नहीं
मेरी 'मैं' और तेरी 'तू '
(झगडा सारा मिट जाए )
तेरी मैं हो मेरी मैं
मेरी मैं हो तेरी तू .



ॐ 'नमो' की जय जयकार
उगते सूरज को नमस्कार
कोई अमर नहीं सब जायेंगे
कर डुबों का अंतिम संस्कार .



ना लाल रहा ना
कृष्ण कहीं .
अब याद नहीं - 
कुछ बात कहीं -
देखि हमने
जो बात यहीं .
उन मोदीजी को
नमस्कार .



बुझे हुए बाणों से
जंग लगी क्रिपाणों से
जंग जीती नहीं जाती
गलत निशानों से .



तुझे तो यार जाना था -
मोदी तो बस बहाना था .


मोदी बैरी हो गया
नहीं हुई तकरार .
एक मिनट में हो गया
इस्तीफे से प्यार .






Saturday, May 25, 2013

ना जन्मजले ना कर्मजले

ना जन्मजले ना कर्मजले - 
ना देश जले ना धर्म जले .
ना वर्म जले ना मरहम जले .
धरती आकाश जले तो जले .

ना भाव जले ना गीत जले 
ना हार जले ना जीत जले 
मन का ना कोई मीत जले 
सूरज दीपक जले तो जले .

ना मान जले ना शान जले 
ना मेरा हिंदुस्तान जले . 
ना गीता और कुरआन जले 
दुनिया हमसे जले तो जले . 

   

Friday, May 24, 2013

'महाभारत' भारत में फिर से

'महाभारत' भारत में फिर से 


इतना आसान नहीं होगा .


पांडव जीतेंगे कैसे - जो 


मुरलीधर श्याम नहीं होगा .


यादव है वीर बहूत सारे 


लेकिन सब सत्ता के मारे 


पक्षों में बैठे सभी यार - 


पांडव एकल हैं बेचारे .



संधि नहीं सीधे रण होगा 

ये भारत तभी उरिण होगा .


ना चौपड कोई रच पाए 


ना शुक्नी कोई बच पाए .


धृतराष्ट्र नहीं गांधारी है 


अपने बेटे से हारी है .


इतिहास नहीं पढ़ते हैं हम 
इतिहास बनाते आये हैं .
इतिहास मिटा देंगें हम जो 
जबरन इतिहास लिखाते आये हैं .


वैशाली नगर वधु होगी तो 

द्रोपदी का चीर हरण होगा

अब युद्ध करो या डूब मरो 

वो जीवन नहीं मरण होगा .


ये सत्ता नहीं बिमारी है 
राजा की कुर्सी प्यारी है .
धृतराष्ट्र नहीं गांधारी है 
अपने बेटे से हारी है .


ये बोल नहीं है गीतों के 
ये गीत नहीं है गाने के .

ये समर गीत है योद्धा का 

हैं दुश्मन से टकराने के .



रणचंडी मांगे रक्त और 

है निशा अभी ना हुई भौर .

निस्तेज सितारे चाँद सभी 

ले आओ सूरज एक और .


नए साल की नयी कहानी

नए साल की नयी कहानी
मैंने सुनी न तूने जानी -क्या
करना है हमको प्यारे -
तेरी मेरी एक जुबानी

क्या ले लेगी हमसे यारो
ये महंगाई -जियें
मौहल्ले वाले अपने
बिना प्याज़ की सब्जी हमने
तो अब तक नहीं खायी .

दे दे अल्लाह के नाम पे ,
राम के नाम पे-
हम कितने धरम निरपेक्ष हैं .
हमारे लिए ये दुनिया
दो नहीं एक है .

नए साल में - भीड़ मत लगा -
कुछ देना है तो दे दे बाबा -
वर्ना आगे बढ़ जा .

Wednesday, May 22, 2013

बहूत हुआ देश प्रेम प्यार

बहूत हुआ देश प्रेम प्यार 
चलो व्यवहार की बातें करें
तिकड़म जुगाड़ की बाते करें .
अक्षय भण्डार - और  
स्विस बैंकों के आकार 
प्रकार की बातें करें .

ये मोदी वोदी कौन है जी - 
देश वेश चिल्लाने से 
कुछ नहीं होना  -
सोनिया से एक अद्दद 
सीट के इसरार की बाते करें .

जो टिकाऊ है - वही रहता है
ये विपक्ष का जुगाडू तंत्र 
कच्चे घर जैसा - हर बरसात में 
टपकता - ढहता है .
अपनी प्यारी कांग्रेस का 
किला तो - मजबूत अभेद 
हर शताब्दी में था - और 
जन्म जन्मान्तरों तक रहता है .

गधे हैं जो चिल्लाते - हैं 
अरे किसी का हक़ नहीं - बस 
अपना कमीशन ही तो खाते हैं .
नित नए फंडे सोचते - और 
जबरन लागू कराते हैं - तभी 
घर चलता है - लोग तो बेकार ही 
धरने देते - आन्दोलन चलाते हैं .


Tuesday, May 21, 2013

कब आओगे - ?




कब आओगे - ?
पात उम्र के झड जायेंगे 
सपने सारे मर जायेंगे  
जीवनधारा - सुख जायेगी  
स्त्रोत जलों के सड जायेंगे .

कब आओगे - ?
अभी कुशल और क्षेम बहूत है 
अभी इरादे जिन्दा भी हैं 
तेरी मेरी मन की बातें 
लगती सारी 'सेम' बहूत हैं .

कब आओगे -?
ऋतु आई जो  - जाने को है 
करूँण हृदय में टीस उठी है
दस्तख - देती है द्वारे पर 
पतझर शायद आने को है .

कब आओगे - ?
पर्वत के उतंग शिखर हो 
और इरादे मर जायें जब .
रंग बिरंगे - पंखों वाली 
तितली के पर झड जायें जब  .

कब आओगे - ?
जीवन पर विशवास नहीं है 
निर्बल सी भी आस नहीं है 
दूर दूर की बात नहीं है 
कोई सपना पास नहीं है  .

...................................

तब आओगे - ?
पछताओगे -

ओ मेरे निर्मोही प्रियतम
ना मैं ना मेरी मैं होगी - 
मिलना होगा नहीं यहां पर 
रख देना जलता दीपक तब 
मुट्ठी भर हो राख जहाँ पर .




  


Tuesday, May 14, 2013

दिल उदास है यार


कुछ ज्यादा नहीं तो -
कोई कम भी नहीं -
मेहरबानी नहीं -तो
कोई जुल्म भी नहीं .
जाने क्यों फिर भी
दिल उदास है यार  .

ना है पास -
ना वो दूर है -
किसी ने लाजवाब
ना कहा कभी - तो
मेरा क्या कसूर है .







क्षणिकाएँ

ना वक्त हमारा है - 
होता ना गुज़ारा है .  
ना आसमान अपना -
नीचे नहीं जमीं है .
करने को बहूत कुछ है 
कहने को कुछ नहीं है .

रुके जो वक्त - 
मैं पकड लेता  
यूँ हवाओं को -
थामना मुश्किल .

करोगे दिल से कभी तो 
याद - बहूत आयेंगे हम .
यूँ अगर भूलना चाहो 
तो कोई बात नहीं .

दिल की बातें अजीब होती हैं .
कभी मिली थी - 

फिर मिली ही नहीं .
थम गयी थी वहीं पर ऐ दोस्त .
उम्र उससे आगे - 

फिर हिली ही नहीं .

आज यादों की तेरी फिर से बहाली कर दें 
दिलमे थोड़ी जगह जख्मों लिए खाली करदें .

आशाएं झांकती रही 
रास्ते पुकारते रहे .
मंजिले पूंछती रही 
तुम खड़े निहारते रहे .

तू बेकरार बहूत है 
तेरा करार में हूँ .
ऐ जिन्दगी - 
तू तो भली थी  -
तेरा कसूरवार मैं हूँ .

याद करने से याद आओगे - या 
फिर उम्र भर यूँहीं तुम सताओगे .
जिन्दगी झांकती है बस खिड़की से 
तुम जो आये तो - पता है 

दरवाजे खुले छोड़ जाओगे .

कुछ हुआ की नहीं 
कुछ बदला की नहीं - 
बस भौर मिली -
रात खो गयी - 
चलो यार कुछ भी सही 
कम से कम सुबह हो गयी .

घर उनका होता है जो 
बसना चाहते हैं . 
ये मजाक है - 
उनके लिए - जो 
बेघर हैं और 
अभी हँसना चाहते हैं .

सेंकडों इंसानी घरों की कीमत पर 
इक खुदा का घर बन होता तैयार . 
उसे बसने की इसमें कोई चाह नहीं 
वो उसमे रहने को नहीं आएगा यार .

क्यों विवश - क्यों डरे हम . 
क्यों भला मायूस हो हम .
वक्त अब ज्यादा नहीं है 
जैसी करनी - है भरेगी 
फैसला जनता करेगी .

धर्म का फहरा रहा परचम 
धर्म की हो जय यही कह रे .
पढाते हैं पाठ मानवता -
सुनले आतातायी अरे बहरे .

सींचती हरपल जिसे नदियाँ 
हिमालय जिसका भाल है .
लगा ले माथे पे मेरे यार 
हिंद की माटी गुलाल है .

घूमा फिरा के कह नहीं सकता 
हमें तो सीधी सी बात आती हैं 
अगर है प्यार तो बता दो - या 
दिल का मकान खाली करदो .

खोल दो दिल के बंद दरवाजे 
खटखटाती हैं हवाएं कब से .
आने दो रौशनी पानी अंदर -
आज बादल को बरस जाने दो .

नहीं कोई कहीं - फिर भी यहीं हैं 
ये दिल की बात है - मेरा यकीं है .

नदी सी तुम - बह गयी 
चाहतों की रेत रह गयी .
किनारे सोचते ही रहे -तुम 
कान में जाने क्या कह गयी .

ढह गए दिल के वे मजबूत किले 
जो कभी अजेय हुआ करते थे .
बात उन दिनों की है यारो - जब 
संगेय नहीं अज्ञेय हुआ करते थे .

प्रेम के मायने हैं सबके अलग 
कौन यूँ किसपे फ़िदा होती हैं .
रास्ते एक से हों लेकिन - 
मंजिले सब की जुदा होती है .

ये मरे से ख्वाब जी जाएँ 
कंठ विषपायी जो पी जाए
आज फिर वैकुण्ठ तर जाए
फिर कठिन है चांदनी सी धूप 
चाँद को कह दो की घर जाए .

बादलों का रूप भी है 
आज खिलती धुप भी है 
बरस जाए कब ना जाने 
अभी आजाओ मनाने .

रिसते हुए नासूर तेरी याद के सनम 
भरनेसे पहले - फिरसे कुरेद लेता हूँ .

आईना झूठ कुछ नहीं कहता 
जो सच है - वो तेरे सामने है .

जिन्दगी फूलों की रंगीन क्यारी नहीं होती 
बिना काँटों के यार पूरी फुलवारी नहीं होती .

जिन्दगी रंगीन फूलों का सजा हुआ गुलदस्ता है .
कभी बेरंग कभी इन्द्रधनुषी झूठा कभी सच्चा है .

सफ़र मुश्किल बड़े ही हैं झमेले 
जो डूबे नाव तो - लहरों से खेलें 
किनारों का क्या कोई भी लेलें .

जिस्म दिल रूह चाहे सब कुछ फनाह हो जाए 
सच कोई मासूम सा - दिलसे गुनाह हो जाए .

एक यही बात नहीं -
शिकायत और भी हैं 
जो सुनो तो कहूं .

जो भी जैसा हूँ -  तेरे सामने हूँ .
ना बताने को - ना छिपाने को कुछ  .


दर्द देता है ये 
दिल का फोड़ा - 
आज ना जाने 
किस दिल जले ने 
फिर इसे फोड़ा .

वो समय का घोडा - 
थका - जरा रुका 
फिर सरपट दौड़ा .

अभी आये नहीं की 
जाने की जिद - और 
फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .

नदी तुम बहती क्यों हो 
निरापद - बेसबब 
निर्बाध - गति से 
कभी रूकती क्यों नहीं - 
आज नहीं - बस 
'कलकल' कहती क्यों हो .

ऐ मेरे दिल तू चल यहाँ कोई नहीं तेरा 
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा 
ये कैसी  कसक है - अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .

बस यही दुआ है - उनसे कभी सामना ना हो 
मिल भी जाए तो दिल में कोई कामना ना हो .

उस कपूत का क्या करें जो 
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें 
जो देश को रसातल में ले जाए .

आस्मांनी आफताब की औकात नहीं थी 
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद 
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .

जब भाव मिलते हैं तो शब्द खो जाते हैं 
वो सामने हों तो शब्द निशब्द हो जाते हैं .