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Monday, November 26, 2012

आ लौट चलें

इतनी दूर आ गए हैं की 

अब लौटना - मुश्किल हो गया . 

जीवन की भूल भुलैया में 

वो बचपन - ना जाने कहाँ खो गया .


आ लौट चलें - फिर वहीँ 

सपनों की - अपनों की 

उसी दुनिया में - जहाँ 

फ़िक्र की मंजिल - स्कूल से 

आगे नहीं जाती थी .


आँखें - रोती नहीं - 

घडयाली आसूं बहाती थी .

बड़ों की कोई सीख - 

जरा भी मन को नहीं भाती थी .


समय का फेर - 

आज देखो कितना बड़ा है .

मेरा आज - कसकर

मेरी ऊँगली पकडे खड़ा है .

एक फूल - खिला

एक फूल - खिला 
सुबह - आस्मां में 
चाँद छुट्टी पर था -
टहलता सूरज मिला .

प्रेम स्वछन्द नहीं -
बंधा है अदृष तारों से 
नीचे जमीं से - और
ऊपर सितारों से .

बीच में कहीं क्षीण सी 
डोर थामे - झूम गयी 
हिंडोले में - श्रृंगार किये 
पल पल बदलती आशाएं .

हृदय में पलती - 
झूमती चलती - इतराती 
कनखियों से देखती -
बहूत करीब से निकलती .

वो देखो - लचकती 
बल खाती - इठलाती 
एक बेल - अभी चढ़ी है 
विधुत स्तम्भ पर .

विभ्रम में फंसा तन -
मोह में घिरा मन . 
कहता है प्यार नहीं है कहीं - 
लालसाएं हैं यहाँ - या 
आने वाले कल की  
जिजीविशायें है .

  

Tuesday, November 20, 2012

आज हर इंसान - इंसान से डरता है .



भीड़ से डरता है - बियाबान से डरता है 
भाग्य से डरता है भगवान से डरता है 
पत्नी से और हर निगेहबान से डरता है .
आज हर इंसान - इंसान से डरता है .

मंदिर के पण्डों - शाही इमाम से डरता है 
हुकूमत से डरा - उसके फरमान से डरता है .
जाति  शानोमान  - बैंक के पठान से डरता है 
कोर्ट के सम्मन - हकीम के ईमान से डरता है .

गली के नुक्कड़ से - शहर की गलियों में  
राजनेताओं के घटिया ईमान से डरता है .
महीने के बजट की खींचतान से डरता है 
दोस्त से डरता है मेहमान से डरता है .



(लिस्ट अभी और भी लम्बी है ....)