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Wednesday, February 22, 2012

वो ज्योतिषी है


वो ज्योतिषी है पर -
अपने भाग्य नहीं बांचता .
और सबके पढ़ पढ़कर सुनाता है -
अपने हाथ की लकीरें 
चाहते हुए भी - ना जाने 
क्यों नहीं पढ़ पाता है .
देश दुनिया की चिंता में
वो दिन-रात घुला घुला जाता है 
पर इस देश के दुर्भाग्य पर -
एक भी आंसू नहीं बहाता है . 

Tuesday, February 21, 2012

रात नायिका के प्राण हो सकती है

रात नायिका के  प्राण हो सकती है
रात श्रमिक की उर्जाये -जान हो सकती है
रंज गम का सफीना है हर रात की बात
घात -प्रतिघात की मंजिल है अँधेरा ये रात
पर भौर के उजाले को मेरा सलाम दोस्तों -
केवल रौशनी ही जिन्दगी का प्रमाण हो सकती है .

Monday, February 20, 2012

कुछ करते क्यों नहीं

ये मैंने नहीं किया - ?
ये तूने नहीं किया -?
ये उसने नहीं किया ?
ये किसने नहीं किया  ?
इस देश का बेडागर्क करने पर
क्यों तुले हो - अबे हरामखोरो
आखिर - कुछ करते क्यों नहीं ....??

Sunday, February 19, 2012

गीत नहीं थी जिन्दगी

गीत नहीं थी जिन्दगी - की गुनगुना लिया होता.
फूल सी भी नहीं थी -की जुड़े में सजा लिया होता .
अलग होते हैं - मायने इसके हरेक शख्स के लिए .
वर्ना - हर किसी ने सपनो में घर बसा लिया होता .

जिन्दगी मय नहीं है - की बोतल से मुंह लगा के पीया जाए .
क्यों ना मुख़्तसर तरीके से इसे हर रोज जिया जाए .


ये पल जवानी के - नहीं गवाने के लिए .
मदमस्त हो जाने के और भी मौके आयेंगे बहूत.
जिन्दगी यूँ तो नहीं नशे में धुत होके - मरजाने के लिए .


  

Sunday, February 12, 2012

मुक्तक

देश दुनिया की चिंता में वो दिन-रात घुला घुला जाता है 
पर इस देश के दुर्भाग्य पर - एक भी आंसू नहीं बहाता है . 

रात भर के जगे थके सपने -
अपने आँचल में सुला लेता हूँ .
दुखों का दुःख - नहीं देखा जाता -
आवाज़ देके बुला लेता हूँ .
अकेला हूँ नहीं - तो डर कैसा
हाथ पकडे खड़े हज़ारों हैं .
दुश्मन तो मुठ्ठी भर होंगे
चाहने वाले तो बहूत सारे हैं .
दिल बहूत खुश है आज - ना जाने क्यों
कोई चुप चुप - इशारे कर रहा है जाने क्यों
बहूत शिद्दत से है अहसास - की आएगा कोई
छत की मुंडेर से उड़ा कागा - ना जाने क्यों .
मायूस क्यों आखिर उदास क्यों -जो
अपने पास हैं - तो फिर हताश क्यों .
भौर की बेला में दिल खोल- जरा
मादक सी हवा आने दे - वक्त
पंछी है - किसी और भी उड़ जाने दे.
प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती
आँखों से दिल तक - बे आवाज़ ,
दबे पाँव - उतर जाए ऐसी कोई
लिपि नहीं होती - भाषा नहीं होती .
मना का मतलब हरबार इनकार नहीं होता
कुछ शब्दों के 
अर्थ सदा उलटे हुआ करते हैं .
'पर' काट कर कहते हैं थोडा उड़ लिया करो
आती है हंसी उनकी इस मासूमियत पे यार ..
बस इतना ही कहा हुक्काम से - की हम लोग भूखे हैं .
कितने पड़े फिर इसके बाद - लात घूंसों की ना पूंछिये .
जो मैं कहूँगा तो - बुरा मान जाओगे
खुद आप समझने के ज़माने नहीं रहे .
ठंडा हुआ है खून पूरे देश का यारो -
जल में लगा दें आग - वो दीवाने नहीं रहे .
 ऊँचाइयों से डर मत - चींटी की तरह
फ़तेह कर ले - मदोन्मत चोटियों को .
तू ही तो है अन्नदाता - मेरे यार फिर
क्यों तरसा करे चंद टुकड़े रोटियों को.
ऊँचाइयों से मत डर - चींटी की तरह चढ़
या फिर जमीन पर हाथी की मौत मर .
अब किससे कहूं - जो जाकर तुझसे कहे
खाली वीरान है - आकर इस घर मे रहे .
फर्ज रख सामने - अधिकार छिपा कर रख .
सारा मत खर्च - कुछ तो बचा कर रख .
कोई दुश्मन नहीं - सब दोस्त हैं यहाँ प्यारे.
तू तो दातार है - यहाँ सबसे बना कर रख .
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Thursday, February 9, 2012

चलो वोट दें दो

चलो वोट दें दो  -
देना ही है - जेब में रख के
क्या करियेगा - बच गया
तो तेरा मुकद्दर यार
वर्ना बेमौत वैसे भी मरियेगा .

किस्मत ससुरी 
लिखवाई ही - गलत है .
ये तो आगाज़ है प्यारे  -
अभी और - खामियाजा भरियेगा .

इंगलिस्तान से - इटली पहुंचा है
कारवां अभी तो - दुनिया की सैर
यारो मुफ्त में करियेगा .

समन्दर में सिखायेंगे - ये
तैरने के गुर - गुरुघंटाल  
फिर चाहे डूबीयेगा  - या तरियेगा .

Wednesday, February 8, 2012

जीना कोई जुर्म तो नहीं

जीना कोई जुर्म तो नहीं था -लेकिन
सारी उम्र कटी - गुनाहगारों की तरह .

हाथ दोनों में उनके - खंजर तीर थे
हम छिपे बैठे - थे शिकारों की तरह .

घरों के ख्वाब सजे थे -बाज़ारों में
वे शौक से निकले खरीदारों के तरह .

जो टूटे ख्वाबे- अदम में   - तो जाना
नींद भी आई - पर रिश्तेदारों की तरह .

अभी मेरी किसी भी बात पर हैरान ना हो
जुते हैं बैल से - हम आज बेगारों की तरह .

कैसे आवाज़ दूं जो उनतक पहुंचे -यारो 
घर बने हैं उनके ऊँची मीनारों की तरह .

जिन्दगी काश तुने हमसे पुछा तो होता
क्यों मिली हमको - यूँ बीमारों के तरह .
 

Saturday, February 4, 2012

मुक्तक

प्यार का रोग दिल से क्यों लगाएं
मेहनत करें -तो चार पैसे घर आयें.
ये प्रेम प्यार जाने दे - अंग्रेजी संस्कार जाने दे
वैलनटाइन को गोली मार , बासन्ती हवा आने दे .
जुबाँ पर एक नाम है यारो
दंडवत मेरा प्रणाम है यारो .
हाकिम ये बेईमान है यारो
लिखने वाला अनाम है यारो .
जो कूव्वत है नहीं दिल में - तो उधार कर
किसी से दुश्मनी- और किसी से प्यार कर
आज की कह - तू कल की बात मत कर
मरना ही है तो कल क्यों - आज ही मर .
तुझमें हिम्मत हो तो कबूल कर लेना -
अपने बसका अब और इंतज़ार नहीं .
कोई वादा नहीं - इकरार नहीं
साफ़ कह दो ना हम से प्यार नहीं .
तुम जो प्यार से कहते तो जाँ भी दे देते
रोब से तो हम अपने बाप की भी नहीं सुनते .
मिलन हमको भी रास आ जाता
जो कोई दिल के पास आ जाता .
यहाँ तो दूर दूर सारे हैं - ये किसका
इंतज़ार है अबतक -
खड़े हम बाहें क्यों पसारे हैं .
महूब्ब्त की मगर रास आई नहीं - वर्ना
हम भी कहते - तू अपनी है परायी नहीं