चढ़ते चढ़ते - चढ़ गए
जन्नत की सारी सीढियाँ .
इस तरह से यार - हम
फिर स्वर्गवासी हो गए.
वहां नहीं हैं - वो जहाँ थे
ढून्ढ रहा हूँ - कब से यार
आखिर उस वक्त - वो
यहाँ थे - तब हम कहाँ थे .
जोहड़ से चिकनी मिट्टी को निकाला गया
बना के दीप - उसे फिर घर में बाला गया .
आधी रात को -जब चाँद छुट्टी कर गया
सुबह सूरज को समंदर से निकला गया .
किसी के इंतज़ार में क्यों रुके रहिये दोस्तों
चलना है जिसे - राह में वो खुद मिल जाएगा .
हमसफ़र वो थे - उम्र भर मैं जिनके साथ चला
या वो जिसने मेरे बिन सफ़र शुरू किया ही नहीं .
वो कौन तेरे साथ - था जीवन की जंग में
कौन संग जिया था तेरे - कौन संग मरा .
बिल्ली की लड़ाई - या बंदर था बहुत तेज़
इस देश को टुकड़ों में कर खाना पड़ा मुझे .
कुछ तिजोरी में डाले-और थोड़े जेब में रखे
बाकी हवाला उंट कर भिजवाना पड़ा मुझे .
अच्छे भले सोये हुए थे - देशवासी यार
ये अन्ना -बाबा ने इन्हें क्या सुंघा दिया .
अँधेरे पास आते जा रहें हैं -
उजाले जलके बुझ गए कब के .
अब छोड़ मेरे दिल - सुबह होने की आस
यहाँ अंधेरों को कोसना बिलकुल मना है .
मर ही जायेंगी तालाब की सब मछलियाँ यार
यहाँ घुटघुट के जीने से तो मरजाना भला है .
भागते फिर रहे परेशां से - मेरे तमाम ख्वाब
हैरत है - आँखों में बसाने को कोई तैयार नहीं .
दूर रहना उससे - मुश्किल है बहूत यार
पर कहाँ रहिएगा - जहाँ कोई ना हो .
वो हर कहीं छुपा है - चाहे तुझको पता ना हो
दोनों 'जहां' में कोई जगह नहीं - वो जहाँ ना हो .
खुद अपने आप से बचने की कौशिश में
जहाँ कोई ना हो - कहीं दूर चला जाता हूँ .
मगर तकदीर की लानत देखो - जहाँ
भी जाता हूँ - वहां खुद को खड़ा पाता हूँ .
मिल ही जाते - घर से निकल जो ढूँढने जाते
यार दुनिया में रहते हो - कोई जन्नतनशीं नहीं.
एक तेरी दुनिया थी - एक मेरी दुनिया थी
बीच ये तीसरी दुनिया - कहाँ से आ गयी यार .
जो तू नहीं तो - और सही और नहीं और
तकदीर में आसूं थे - तू दे या कोई और .
सपने देखे तो - आँखों को धुंधलके से बचा .
भीगी आँखों से ही बरसात हुआ करती है .
जुबाँ दी हैं खुदा ने - सच
बोलने से डरता क्यों हैं
हलक फाड़ के चिल्ला -यार
जीते जी मरता क्यों है .
जन्नत की सारी सीढियाँ .
इस तरह से यार - हम
फिर स्वर्गवासी हो गए.
वहां नहीं हैं - वो जहाँ थे
ढून्ढ रहा हूँ - कब से यार
आखिर उस वक्त - वो
यहाँ थे - तब हम कहाँ थे .
जोहड़ से चिकनी मिट्टी को निकाला गया
बना के दीप - उसे फिर घर में बाला गया .
आधी रात को -जब चाँद छुट्टी कर गया
सुबह सूरज को समंदर से निकला गया .
किसी के इंतज़ार में क्यों रुके रहिये दोस्तों
चलना है जिसे - राह में वो खुद मिल जाएगा .
हमसफ़र वो थे - उम्र भर मैं जिनके साथ चला
या वो जिसने मेरे बिन सफ़र शुरू किया ही नहीं .
वो कौन तेरे साथ - था जीवन की जंग में
कौन संग जिया था तेरे - कौन संग मरा .
बिल्ली की लड़ाई - या बंदर था बहुत तेज़
इस देश को टुकड़ों में कर खाना पड़ा मुझे .
कुछ तिजोरी में डाले-और थोड़े जेब में रखे
बाकी हवाला उंट कर भिजवाना पड़ा मुझे .
अच्छे भले सोये हुए थे - देशवासी यार
ये अन्ना -बाबा ने इन्हें क्या सुंघा दिया .
अँधेरे पास आते जा रहें हैं -
उजाले जलके बुझ गए कब के .
अब छोड़ मेरे दिल - सुबह होने की आस
यहाँ अंधेरों को कोसना बिलकुल मना है .
मर ही जायेंगी तालाब की सब मछलियाँ यार
यहाँ घुटघुट के जीने से तो मरजाना भला है .
भागते फिर रहे परेशां से - मेरे तमाम ख्वाब
हैरत है - आँखों में बसाने को कोई तैयार नहीं .
दूर रहना उससे - मुश्किल है बहूत यार
पर कहाँ रहिएगा - जहाँ कोई ना हो .
वो हर कहीं छुपा है - चाहे तुझको पता ना हो
दोनों 'जहां' में कोई जगह नहीं - वो जहाँ ना हो .
खुद अपने आप से बचने की कौशिश में
जहाँ कोई ना हो - कहीं दूर चला जाता हूँ .
मगर तकदीर की लानत देखो - जहाँ
भी जाता हूँ - वहां खुद को खड़ा पाता हूँ .
मिल ही जाते - घर से निकल जो ढूँढने जाते
यार दुनिया में रहते हो - कोई जन्नतनशीं नहीं.
एक तेरी दुनिया थी - एक मेरी दुनिया थी
बीच ये तीसरी दुनिया - कहाँ से आ गयी यार .
जो तू नहीं तो - और सही और नहीं और
तकदीर में आसूं थे - तू दे या कोई और .
सपने देखे तो - आँखों को धुंधलके से बचा .
भीगी आँखों से ही बरसात हुआ करती है .
जुबाँ दी हैं खुदा ने - सच
बोलने से डरता क्यों हैं
हलक फाड़ के चिल्ला -यार
जीते जी मरता क्यों है .
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
ReplyDeleteपैदल ही आ जाइए, महंगा है पेट्रोल ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच ।
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी ....
ReplyDelete