उसकी पर्ण कुटी से -
कहीं बड़ा आलिशान
घर है मेरा - फिर भी
कभी कभी - मिलने
चला जाता हूँ .
अपनी पुरानी जंग लगी
ट्राईसिकल - टूटे हुए खिलौने
खेल में छिपा छिप्पी के वे कौने .
आज भी उसने कबाड़ी को
नहीं दिए - सहेजे रखें हैं .
ना जाने मैं कब आकर -
मांग बैठूं - लाओ मेरे
पुराने खिलोने -
वो बचपन के दिन - सलोने .
कहीं बड़ा आलिशान
घर है मेरा - फिर भी
कभी कभी - मिलने
चला जाता हूँ .
अपनी पुरानी जंग लगी
ट्राईसिकल - टूटे हुए खिलौने
खेल में छिपा छिप्पी के वे कौने .
आज भी उसने कबाड़ी को
नहीं दिए - सहेजे रखें हैं .
ना जाने मैं कब आकर -
मांग बैठूं - लाओ मेरे
पुराने खिलोने -
वो बचपन के दिन - सलोने .
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