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Monday, June 11, 2012

जहाँ नीरव सन्नाटा है

जहाँ नीरव सन्नाटा है 
जहाँ कोई नहीं आता है. 
वहां भी कोई है - जो
होले होले गुनगुनाता है .

उस मौन का संगीत 
आँख बंद करके - सुन .
गाते हुए झरने की -
आवाज़ की लय में
अपने प्यारे के -मनोहारी 
सतरंगी सपने बुन .

घाटी में पसरी अलसाहट
देती है दस्तक - उन
उड़ते हुए बादलों की -किससे
और कैसे है होड़ - कितनी
अजीब सी कैसी है उनकी धून .

देवदार के सीधे खड़े -
दरखतों से - उनकी
अडिग तपस्या का राज -
खुद उनके मुख से सुन.
अपनी सीमाएं देख
उनमे से - कोई एक कद -
अपने लिए हो सके तो चुन .

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