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Saturday, June 9, 2012

जहाँ नीरव सन्नाटा है


जहाँ नीरव सन्नाटा है 
जहाँ कोई नहीं आता है. 
वहां भी कोई है - जो
होले होले गुनगुनाता है .

उस मौन का संगीत 
आँख  बंद करके - सुन .
गाते हुए झरने की -
आवाज़ की लय में
अपने प्यारे के -मनोहारी 
सतरंगी सपने बुन . 

घाटी में पसरी अलसाहट
देती है दस्तक - उन  
उड़ते हुए बादलों की  -किससे  
और कैसे है होड़ - कितनी
अजीब सी कैसी है उनकी धून .

देवदार के सीधे खड़े -
दरखतों से - उनकी 
अडिग तपस्या का राज -   
खुद उनके मुख से सुन. 
अपनी सीमाएं देख 
उनमे से - कोई एक कद - 
अपने लिए हो सके तो चुन . 

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