भूखों मरना अभीष्ट है तो
घर में बैठे बैठे मर जाइए .
दिल्ली को बख्श दो प्यारे -
भीड़ मत बढाइये - तरस खाइए .
यहाँ का जुगारिया तंग - है
पर ये सत्याग्रह का -
कौन सा ढंग हैं .
लगाने आग दिल को - मैं भी तो चला था .
चिंगारियों के जश्न में मैं ही तो जला था .
बेजुबान शब्द हैं तो क्या - ये कहानी नहीं है
तुम कैसे यार हो -जो मेरी पीर पहचानी नहीं है .
लिपटे खड़े हैं दरख्त - खुद गलबाहियां लिए
उतरी है सांझ - जमीं पर परछाइयाँ लिए .
इकला नहीं कोई यहाँ - हमदम हैं सभी के
बैठी उदास तन्हाईयाँ - तन्हाईयाँ लिए .
दिल एक बार फिर वहीँ पीने के लिए चल
उन मस्त निगाहों में है शराब का सरूर .
महंगे नहीं सस्ते सही - जीने के वास्ते
पापा मेरी आँखों को कोई ख्वाब दिला दो .
तहरीर थी झूठी - या तारीख झूठी थी
सुनते यही हैं - हम कभी आज़ाद हुए थे .
मुझ सा अमीर आदमी - ढूंढे ना मिलेगा
दिल के गरीब यूँ बहूत मिल जायेंगे जनाब .
इन रास्ते पर तुम जरा चलकर तो देखना
जैसे जिया - मैंने वैसे जीकर तो देखना .
जो सोचते थे - वो ना हुआ
जो हुआ - वो सोचा ना था .
फुर्सत तलाश करते रहे बस तमाम उम्र
जीने की ख्वाहिशों में मर गए हम यार .
कहते जो पहले तो - हो जाता तुम्हारा
तुम लेट हो गए - दिल मांगने में यार .
झूठे लम्बे लम्बे गीत
पुरजोर आवाज़ में गाते रहे .
यूँ सच भी था जुबाँ पर - पर
वो अकेले में गुनगुनाते रहे .
जिन्दगी के सौ झमेले हैं
और हमारी तरह - ये भी
हमसे कहीं ज्यादा अकेले हैं .
जो अबल - लाचार या
दीन हीन हैं - फिर भी
मैंने आजतक किसी
जानवर को - अपने आप
मरते - आत्महत्या करते नहीं देखा .
घर के दरवाज़े - खिड़कियाँ बंद
कर दो यार ...ये पश्चिमी
गर्म हवाएं - तेरा
सब कुछ उड़ा ले जायेंगी .
याद रख - फिर इसके बाद
शीतल पुरवैयाँ
फिर नहीं आएँगी .
मन पापी - तन बावरा
कौन इसे समझाए .
सुबह निकल कर जाए है
रात घिरे ना आये .
घर में बैठे बैठे मर जाइए .
दिल्ली को बख्श दो प्यारे -
भीड़ मत बढाइये - तरस खाइए .
यहाँ का जुगारिया तंग - है
पर ये सत्याग्रह का -
कौन सा ढंग हैं .
लगाने आग दिल को - मैं भी तो चला था .
चिंगारियों के जश्न में मैं ही तो जला था .
बेजुबान शब्द हैं तो क्या - ये कहानी नहीं है
तुम कैसे यार हो -जो मेरी पीर पहचानी नहीं है .
लिपटे खड़े हैं दरख्त - खुद गलबाहियां लिए
उतरी है सांझ - जमीं पर परछाइयाँ लिए .
इकला नहीं कोई यहाँ - हमदम हैं सभी के
बैठी उदास तन्हाईयाँ - तन्हाईयाँ लिए .
दिल एक बार फिर वहीँ पीने के लिए चल
उन मस्त निगाहों में है शराब का सरूर .
महंगे नहीं सस्ते सही - जीने के वास्ते
पापा मेरी आँखों को कोई ख्वाब दिला दो .
तहरीर थी झूठी - या तारीख झूठी थी
सुनते यही हैं - हम कभी आज़ाद हुए थे .
मुझ सा अमीर आदमी - ढूंढे ना मिलेगा
दिल के गरीब यूँ बहूत मिल जायेंगे जनाब .
इन रास्ते पर तुम जरा चलकर तो देखना
जैसे जिया - मैंने वैसे जीकर तो देखना .
जो सोचते थे - वो ना हुआ
जो हुआ - वो सोचा ना था .
फुर्सत तलाश करते रहे बस तमाम उम्र
जीने की ख्वाहिशों में मर गए हम यार .
कहते जो पहले तो - हो जाता तुम्हारा
तुम लेट हो गए - दिल मांगने में यार .
झूठे लम्बे लम्बे गीत
पुरजोर आवाज़ में गाते रहे .
यूँ सच भी था जुबाँ पर - पर
वो अकेले में गुनगुनाते रहे .
जिन्दगी के सौ झमेले हैं
और हमारी तरह - ये भी
हमसे कहीं ज्यादा अकेले हैं .
जो अबल - लाचार या
दीन हीन हैं - फिर भी
मैंने आजतक किसी
जानवर को - अपने आप
मरते - आत्महत्या करते नहीं देखा .
घर के दरवाज़े - खिड़कियाँ बंद
कर दो यार ...ये पश्चिमी
गर्म हवाएं - तेरा
सब कुछ उड़ा ले जायेंगी .
याद रख - फिर इसके बाद
शीतल पुरवैयाँ
फिर नहीं आएँगी .
मन पापी - तन बावरा
कौन इसे समझाए .
सुबह निकल कर जाए है
रात घिरे ना आये .
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