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Thursday, February 28, 2013

मेरा एक छोटा सा गाँव हैं

जहाँ धुप है ना छाँव हैं 
सुरमई घाटी में 
बेतरतीब सा पसरा - 
मेरा एक छोटा सा गाँव हैं .

सपने लेता हूँ - वहां 
उडके पहुँच जाने के .
मेरी मजबूरियां मुझे 
रोकती हैं . 

पर मेरा -
दिल मेरे पाँव -
सब रास्ता जानते हैं .
एक एक पत्थर -
पगडंडियाँ पहचानते हैं .

जलावतन सा -
वापिसी - रिहाई की
बात जोहता हूँ -
मुमकिन है - जहाँ
की मिटटी है - वहीं की
मिटटी में मिल जाए .

साली चतुर सुजान

मुझ जैसा बुद्धू नहीं - 
साली चतुर सुजान 
साली तो है मेनका 
बीवी 'भाग्यवान ' .

ना चपलासी चपलता - 
ना सौलेह श्रृंगार .
नैन नहीं वाचाल से -
ना मीठी फटकार . 

साली मेरी चिमटा -
बीवी है खडताल .
साली तीखी तीरसी
बीवी - जैसे ढाल .

विधुना ने भी देखिये
कैसा किया कमाल -
सेम एक प्रोडक्ट में
फर्क दिया है डाल .

साली तो बस - जीत है
बीवी पक्की हार .
एक चाक पर ही - बनी
अलग अलग दो नार .

साली - रस की खान है
मीठा जैसे पान है .
मिश्री जैसा बोलती -
जीजा का कल्याण है .

बीवी पूरी - सौ टका
साली आधी खीर .
जिसके गर साली नहीं
वे निर्भाग फ़कीर .

क्षणिकाएं

चौखट से आये उनकी मायूसी लिए हुए 
सब लोग कह रहे थे - बड़े मेहरबान हैं .

वो लौट आये कोई ठिकाना नहीं मिला 
जो ख्वाब मुद्दतों से मेरे लापता थे यार . 

तस्वीर देख कर कोई शिकवा नहीं रहा 
यूँ दोस्ती पक्की हुई इक नाज़नीन के साथ 

उनकी जुबान में - उन्हें समझा नहीं सका 
खुद समझ जाएँगें - मुझे ऐसा नहीं लगा .

लगते हैं फूल दरख़्त पर पैसा नहीं लगता 
होता हो कभी - पर हमें ऐसा नहीं लगता .

इक दिन इसी से आएगी वो महक लाजवाब 
इस प्यार के दरखत को मुरझाने ना दीजिये .

यूँ दोस्ती की बात करते लोग तो मिले 
हसीं यार तुमसे कोई बेहतर नहीं मिला .
मजहब के नाम से सिजदे बहूत किये 
भगवान सा लगे वो पत्थर नहीं मिला .

अब सो भी जाओ रात - सिरहाने पे आ खड़ी 
लायी है दिलकश खवाब लुभाने के लिए यार .

जलते हैं ठंडी बर्फ पर - मेरे थके कदम 
वो कह रहें हैं - पाँव नंगे चल लिया करो .

ना पूछो मुझसे तुम मेरी कहानी 
किसी किरदार से मिलती नहीं है .
अकेला ही रहा मैं इस सफ़र में 
ये एकालाप कह कितना सही है .

भूल जा उनको - भूलाएँ हैं तुझे जो 
याद करने का नहीं -अच्छा ये मौसम .

आते हैं चुपके से - वो इस तरह यारो 
वो कब चले गए हमे मालूम ही नहीं .

देखा न जिसने चाँद - उसको क्या पता यारो 
देखा है हमने चाँद को - इक मुद्दतों के बाद .

देख ली हमने तेरी तस्वीर यारा 
अब तो हटा दो हिजाब चेहरे से .
करो आज़ाद अब - माहेताब को 
करदो रिहा बादलों के पहरे से .

आज फिर - जम्हाईयाँ आने लगी हैं 
अब बदलने को खड़ा तैयार मौसम .

यूँ हरेक दर्द छिपा लेते हैं 
छिपाने वाले - 
खुद पे हंस लेते हैं -
दुनिया को हंसाने वाले .

चलो जब हो ही गयी - मान ली 
फिर कैसी खता - कैसी रार .
यही तो बेपनाह महुब्बत है 
इसी जज्बात को कहते हैं प्यार .

बिछुड़ना और फिर मिलना 
यूँ मिलकर के बिछुड़ जाना 
यही तो जिन्दगी है दोस्त -
तेरा आना - तेरा जाना .

किसी की तन्हाइयों को 
आज भी इंतज़ार है मेरा

अजीब शय है महूब्ब्त यार 
मिल गयी - तो दिल गया 
ना मिले तो जान गई .


रूठे - तो रूठ जाने दो
अब वहां जाके उन्हें
मनाये कौन .
दर्द के अंतरे लिखे हैं
यहाँ हैं सब मौन -
अश्कों में भीगे
गीत यार गाये कौन .

मिली - मिली ना मिली - नजर ही तो है 
हम इधर हैं यार तो कोई उधर भी तो है .

शब्द गर साथ ना दें बिनकहे समझ जाना 
तुम मेरे दिल की हर बात जानते हो यार .

भटक जाते हैं कई - शब्द जुबाँ पे आते कैसे 
दिलमें रह जाते हैं अन्छुवे भाव बताते कैसे .

कौन हूँ मैं - कोई 
इन्हें बताओ तो .
कभी चुपके से 
मेरे दिल में 
उतर जाओ तो .
जुबाँ से ना कहो तो 
कोई बात नहीं .
जो मैं पसंद हूँ तुम्हें 
जरा सा मुस्कुराओ तो .

दुल्हनें कम हो रही मिलती नहीं
दिन ब दिन कम हो रही हैं लड़कियां 
झुलस जाती - मौसमों की मार से 
असमय कम हो रहीं हैं लड़कियां .

आज लहरों में बहा सा देखिये 
जलोधर है फिर भी प्यासा देखिये 
बढ़ रही इंसान की आशा यहाँ -
रोज़ आशा में निराशा देखिये .

अब मीनारों पर मीनारें देखिये 
आज धरती पर सितारे देखिये .
हौसले इंसान की क्या बात है 
बीच सागर में किनारे देखिये .

वो लौट आये कोई ठिकाना नहीं मिला 
जो ख्वाब मुद्दतों से मेरे लापता थे यार . 

बात तो बनी - मगर 
कुछ बन ना पायी बात .
हरेक शेर - शेर सा हो
क्या जरुरी है .

ठोकर सम्भल के खाइये - हरेक मोडपर 
कैसे पता चले की - कब ये मोड़ आएगा .
जो जानता तो मैं कभी आता नहीं यहाँ 
किसको पता - वो अपना पता छोड़ जाएगा .

इक आरजू रही की कोई आरजू ना हो 
बेआरजू होना - भी आरजू ही तो है जनाब .

ठोकर ही बना देती हैं हर इंसान को ठाकुर 
खुद खाइये अजमाइये - बन जाइये ठाकुर .

टूटे जो ख्वाब - दिल हुआ उदास कुछ पल को 
फिर जिन्दगी ने दे दिए कुछ ख्वाब नए और .

माया पुरानी बात - अब माया नहीं रही 
पर कागज़ी गाँधी से कोई बच नहीं सका .

उस गोल गुम्बद में - कठिन पहरे बहूत हैं यार 
जनपथ से होकर राजपथ जाते हैं फिर भी लोग .

नजरों को अपनी फासले पर रख लिया करो 
ट्रैफिक है जाम - किसी से लड़ जाए ना कहीं .


अब आपसे - कैसी शिकायत 
क्या गिला करना .
दिल ना लगे - अकेले तो 
यार मिल लिया करना .

कोई आशा नहीं - उमंग नहीं 
रहें तनहा - किसी का संग नहीं 
जिन्दगी यूँही गुजरी अकेले - 
इस दिल में कोई बसा ही नहीं 
राजपथ सा खुला बड़ा - जिसमें 
गली कोई भी यारो तंग नहीं .

गुमशुदा - बेपता से लोग भी मिले जिनका 
जिस्म ज़िंदा था मगर रूह लापता थी यार .

बहूत उंचा है गगन - और डोर बहूत छोटी है 
फिर भी उडती है हवाओं में -उमंगों की पतंग .

मैं लिख रहा हूँ - की लिखना है मुझे 
जिन्दगी की किताब है - कोई गीत नहीं .
पढ़ेगा कौन - इसे क्या पता यारो 
कोई हमदम - अपना कोई मीत नहीं .

जो चलता तेज़ - तो 
मगरूर वक्त को पकड़ लेता . 
मेरी रफ़्तार जरा कम थी - यार 
वर्ना मैं कब का गिर गया होता .

मेरे शेरो में अक्सर जिक्र जिनका आता है 
वो कौन हैं - कसम से जानता नहीं मैं यार .

खुदा खुद हैरान की दुनिया को बनाए कैसे 
एक नारी को बनाया और दुनिया बन गयी .

कोई अच्छी बात करो 
क्या सत्ता के तम्बू से 
हरदम छेडछाड़ ...कभी तो 
कुछ नया सोचो यार .

खुद को बिखेरना आसान था बहूत . 
समेटने में सारी उम्र निकल गयी .

अब नहीं तो और कब 
जागोगे प्यारे नींद से 
हाकिमों की थपकियाँ 
चांटे सी लगती हैं यहाँ .

लिख रहा था - 
लिख रहा हूँ .
और लिखूंगा जरुर .
जुर्म की वो दास्ताने - 
नक्श मेरे दिल में हैं .

पाँव चलते नहीं - ज्यादा ऐ दोस्त 
बस दिल हर समय सफ़र पे रहा . 








Saturday, February 23, 2013

फिर कभी

फिर कभी लिखेंगे - इस  
दिल के फ़साने फिर कभी 
जिन्दगी जब रुबरु - 
गम के तराने फिर कभी .

जिन्दगी तस्वीर बनके 
जब खड़ी हो सामने -
फिर कभी सोचेंगे मरने 
के बहाने फिर कभी .  

हौसले जिन्दा रहेंगे - 
हिम्मते - मरदे - खुदा
हारने के डर जमाने को 
सुनाना फिर कभी . 

आज फिर तूफ़ान   
घिर आया है -
साहिल पर - चलो .
देख लेना - झूमते 
गाते दीवाने फिर कभी .

लग गयी है आग - 
सीने में सकल संसार में .
अश्क से बुझ जाए - 
बूंदों के निशाने फिर कभी .


Thursday, February 21, 2013

क्षणिकाएं

यूँ चल्लू भर - 
डूबने को काफी है - 
दर्द का सागर पूरा भरा नहीं  
तू डूबा नहीं है - ऐ दोस्त 
बता दे जता दे दुनिया को - 
जिन्दा है तू अभी मरा नहीं .

भीगने के डर से - ना निकले बाहर 
अब सारी छत टपक रही है 
कहाँ जाइएगा .
पूरी कायनात भीगी हुई है यार 
कहाँ जाके कपडे सुखाइयेगा .
अम़ा छोडो - अभी तो आये हो 
रुको कुछ देर - चले जाइयेगा

किसी ने यूँही 
बे खौफ हो - मुझे 
छुआ क्या है . 
बेबसी मेरी - कुछ 
आज बेबस सी है .
नहीं मालूम - इसे 
ये आज हुआ क्या है .

शब्द सीखे - बांचे उम्रभर 
लेकिन - दुनिया में रहने का 
हुनर सीख हम नहीं पाए .

ये सच है की समन्दर 
बहूत बड़ा - विशाल है - 
पर मेरा दिल कौन सा कंगाल है . 
किसी का अहसान क्यों उठायें 
आज ही उसका ऋण चुकाएं 
चल अपने हिस्से की एक बूँद - 
मगरूर सागर में छोड़ आयें .

वो प्यार था ही नहीं 
जो कभी हुआ ही नहीं .
उनके दिल की वे जाने 
मुझे सच यार - 
कुछ पता ही नहीं .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
ये बीते पल ऐसे ही - हुआ करते हैं .

पतझरों से कोई प्यार नही -
बहारों से कोई तकरार नहीं .
आये तो ठीक - वर्ना अगले 
बरस आ - कोई सरोकार नहीं .

वो काले बादलों की तरह 
उमड़े तो - पर कहाँ बरसे .
दिल में प्यास थी ही नहीं - 
मेरी बला से यार फिर -
कोई बरसे की ना बरसे .


आ मेरे ख्वाब तुझे दिल में छिपा लूं 
कसम लगे - जो कभी दिल से निकालूँ .

मैं कब तलक तेरे सपनों में जियूं 
कभी हकीकत में आके मिलो हमसे .

ठीक से याद नहीं - सपना था यार मेरे 
गुजर गया - तेरा ख्याल जाने कब का .

मुझसे मेरे सपनो की बातमत करना 
कभी ठीक से देखी है हकीकत मेरी .

ये हकीकत है हमें - तुम मिले 
सपना होता तो टूट जाता कब का .

फिर कभी लिखेंगे सच 
मेरे ख्वाब से जगाओ मत .
बिछुड़ना ही अगर जरुरी है तो 
मेरे सपनों में यार आओ मत .

गर वो सपना है टूट जाएगा 
हकीकत में भले आओ मत .
जिन्दगी यूँ भी कौन सी है हसीं 
अभी आये हो अभी जाओ मत .

सपने सच भी होते हैं 
पर कब - जब यथार्थ 
सपना बन जाता है .

सपनों के सच -
यथार्थ में झूठे हो जाते हैं .
फिर भी मन को लुभाते हैं . 
राम जाने ऐसे सपने 
मेरी ही आँखों में - 
आखिर क्यों आते हैं .

सपने किसी के - 
सच नहीं होते .
रात के रंग - यथार्थ 
की धूप में ना जाने - 
कहाँ धुल जाते हैं . 
जो पुरे हो जायें 
ऐसे सपने - यार 
किसी किसी को आते हैं .

इश्क तुझसे - या खुदा से 
यार जो भी पहले मिल जाए .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .

घर से चले थे सोचकर - लाएंगे बहारें 
पतझर के हैं आसार -बता किसको पुकारे .  

अब और कोई बात कर - हो जश्न नया यार 
ये रोज़ की किटकिट से अब घबरा गया हूँ मैं . 

दुनिया की भीड़ में - अकेला ही खड़ा था मैं 
होता जो कोई साथ - कबका खो गया होता .

थी रौशनी की चाह - सूरज घर नहीं मिला 
यूँ अपनी जिन्दगी ठिठरती छाँव में कटी .

थी प्यास बूँद की और - सागर ढूँढता रहा 
जो खुद में ढूँढता तो कबका पा गया होता

तन्हाइयों से भागकर जाओगे कहाँ दिल 
जाओगे जहाँ पाओगे तन्हाइया वहां .

आ जाओ मेरे यार - मिलाई की रसम है
आना जरुर - तुम्हें इस दिल की कसम है . 

गम को बुलाये कौन 
अब खुशियों की भीड़ में 
आ जाना तू भी यार 
किसी दिन उछीड में .

यूँ तो बुलाया था नहीं 
ख़त भेज कर तुम्हें .
जब आ ही गए - तो 
एक पल ठहर भी जाओ .

अच्छी निभायी दोस्ती 
महंगा है कारोबार . 
सब दोस्त - रातों रात 
इस दिल से हुए फरार .

गुमसुम है चांदनी कुछ 
और चाँद भी उदास .
लौट आओ मेरे चाँद 
चले आओ मेरे पास .

चाहने से बदलती नहीं 
हाथों की ये लकीर .
लिखी नहीं अमीरी - 
जो रहना सदा फ़क़ीर .

ये मुक्कदर भी गजब 
चीज है - किसी ने 
क्या बात कही है - 
मिल जाए तो सही - 
वर्ना जो मिला - 
वो सही है .

ना सही आज - 
चलो - कभी तो मिलेगा 
गर लिखा है मुकद्दर में
मिलना - यार 
तभी तो मिलेगा .

जमीं बदली - फिजां बदली 
हवा बदली जमाने की .
बचा के रख नहीं पाए - 
उडी छत आशियाने की .

मेरी ख़ामोशी की चीखें - गूंजती संसद में जो 
क्यों उतरते सड़क पर - हम लाठियां खाने को यार .

मस्तियों की पाठशाला 
मौज करने का जूनून .
सड़क पर बिखरा हुआ 
दीखता है युवा देश का .

आज मेरे सामने आ - 
रूबरू हो - कह भी दो 
देश तेरा ही नहीं - मेरा 
भी कुछ लगता है यार .

खरीदोगे वही चीज जो -
बिका करती है .
हुस्न बिकता है बाजारों में 
दिल नहीं बिकता .