जहाँ धुप है ना छाँव हैं
सुरमई घाटी में
बेतरतीब सा पसरा -
मेरा एक छोटा सा गाँव हैं .
सपने लेता हूँ - वहां
उडके पहुँच जाने के .
मेरी मजबूरियां मुझे
रोकती हैं .
पर मेरा -
दिल मेरे पाँव -
सब रास्ता जानते हैं .
एक एक पत्थर -
पगडंडियाँ पहचानते हैं .
जलावतन सा -
वापिसी - रिहाई की
बात जोहता हूँ -
मुमकिन है - जहाँ
की मिटटी है - वहीं की
मिटटी में मिल जाए .
सुरमई घाटी में
बेतरतीब सा पसरा -
मेरा एक छोटा सा गाँव हैं .
सपने लेता हूँ - वहां
उडके पहुँच जाने के .
मेरी मजबूरियां मुझे
रोकती हैं .
पर मेरा -
दिल मेरे पाँव -
सब रास्ता जानते हैं .
एक एक पत्थर -
पगडंडियाँ पहचानते हैं .
जलावतन सा -
वापिसी - रिहाई की
बात जोहता हूँ -
मुमकिन है - जहाँ
की मिटटी है - वहीं की
मिटटी में मिल जाए .
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