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Friday, April 12, 2013

बसना है तो बस यहीं

बसना है तो बस यहीं 
दिल की ऊँची थांव 
आगे क्या मिलना सखा 
काले कौसों गाँव .

घर से निकलो प्रेम से 
मन से निकलो नाही
गए धार में जो दिना 
को जाने कित माहीं .

प्रेम नहीं तो कुछ नहीं
बने प्रेम से गेह .
बाज़ कबूतर उड़ रहे
महलों से जो स्नेह .

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