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Saturday, April 13, 2013

दिल की दिलसे बात करू मैं

दिल की दिलसे बात करू मैं
कहती है सारी दुनिया तो
यारो क्यों चुपचाप रहूँ मैं .

मौका आज विदाई का है 
कृन्दन और रुलाई का है 
आँखों में शौले भड़के हैं  
क्यों बरखा की बात करू मैं . 

जाने वाले नहीं रुकेंगे 
जैसे बादल नहीं ठहरते 
जैसे मौसम आते जाते 
मुमकिन होता तुम रुक जाते
क्यों बेमौसम की बारिश जैसे 
अश्कों की बरसात करू मैं .

जाना गर है बड़ा जरुरी 
होगी तेरी भी मजबूरी 
चिंता में क्यों घुले जा रहें
गुजराती गाँधी जाए तो 
मोदी की फिर बात करू मैं . 


  



  

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