दिल की दिलसे बात करू मैं
कहती है सारी दुनिया तो
यारो क्यों चुपचाप रहूँ मैं .
मौका आज विदाई का है
कृन्दन और रुलाई का है
आँखों में शौले भड़के हैं
क्यों बरखा की बात करू मैं .
जाने वाले नहीं रुकेंगे
जैसे बादल नहीं ठहरते
जैसे मौसम आते जाते
मुमकिन होता तुम रुक जाते
क्यों बेमौसम की बारिश जैसे
अश्कों की बरसात करू मैं .
जाना गर है बड़ा जरुरी
होगी तेरी भी मजबूरी
चिंता में क्यों घुले जा रहें
गुजराती गाँधी जाए तो
मोदी की फिर बात करू मैं .
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