दुःख के सागर से
सुख की गागर
भर लाऊं .
इससे पहले
मैं मर जाऊं -
ले नाम प्रभु का
भवसागर से तर जाऊं .
तू ले चल खेवनहार
मेरी नौका तीरे .
दुःख के झटकों से पार
चला धीरे धीरे .
इतना कर शुभ्र प्रकाश
लबालब भर जाऊं .
आया था तेरे द्वार
कहीं भी ठौर नहीं
तुम ही हो दीनानाथ
ना तुझसा और नहीं
मैं तुझसे मिलने
चलके तेरे घर आऊं .
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