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Tuesday, April 23, 2013

दुःख के सागर से सुख की गागर भर लाऊं .

दुःख के सागर से 
सुख की गागर 
भर लाऊं .
इससे पहले 
मैं मर जाऊं -
ले नाम प्रभु का 
भवसागर से तर जाऊं .

तू ले चल खेवनहार 
मेरी नौका तीरे . 
दुःख के झटकों से पार 
चला धीरे धीरे .
इतना कर शुभ्र प्रकाश 
लबालब भर जाऊं . 

आया था तेरे द्वार 
कहीं भी ठौर नहीं 
तुम ही हो दीनानाथ
ना तुझसा और नहीं 
मैं तुझसे मिलने 
चलके तेरे घर आऊं . 


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