Popular Posts

Wednesday, April 10, 2013

क्षणिकाएं

दिल ने यार कह दिया
अब तुझसे क्या कहूं .
सच मान मेरे दोस्त
मैंने कुछ नहीं कहा .

बस तेरे वास्ते यहाँ तक आ गया हूँ मैं 
वर्ना ये रास्ता मेरे घर तक नहीं जाता .


यूँ जख्म दिल के भर गए 
ना बाकी दर्द का अहसास 
कुछ याद नहीं -क्या बचा 
और क्या क्या गया मेरा .

मन ठहर गया था - 
लब चुप थे क्या कहूं 
तूने कहा होता तो 
कब का रुक गया होता .

नजर से गिराया तो -
आँसू बन धूल में मिले जाऊँगा 
मैं टूटा ख्वाब तो नहीं 
जो तेरी आँखों में - 
फिर से चला आऊंगा .

कोई वादा नहीं 
इकरार नहीं .
साफ़ कह दो ना - 
हमसे प्यार नहीं .

ना सही सच - 
इक बहाना ही है .
सभी को - इक दिन तो 
यार जाना ही है .

कुछ पल को ही सही - 
जरुर आऊंगा मैं .
अपने वादे के लिए
तेरी तसल्ली के लिए .


ये सच है -
मैं नहीं चलता
ये मेरा मन नहीं - रुकता
कहीं इक पल .
आज का सफ़र अभी
ठीक से ख़त्म भी नहीं
दिल कहता है - चल
कहीं फिर चल .

घाट पक्के कर दिए सब यार 
डूबने पर अब कोई पाबंदी नहीं है .

भूल जाने का तुम्हें - वादा है आज भी 
खिडकियों से फिर भी मैं झाँक लेता हूँ .
खोल कर चेहरे की किताब यार -
समन्दर हूँ सैलाब को मैं भांप लेता हूँ .

खारे समन्दर में तो डूबने से अच्छा है 
ये तेरी झील सी आँखों में डूब जाऊं मैं .

दूर जाने की क्या जरुरत है 
हमने सब आसपास देखा है 
यहाँ हर शक्श परेशान सा है 
हमने हर मंजर उदास देखा है .




















No comments:

Post a Comment