ये कीकर के बीज हैं
बड पीपल के नाही .
फूल नहीं खुसबू नहीं
उगते चारो माहीं .
'सरबत' की मत बात कर
परबत का नहीं योग
बैठ अकेले प्रेम से
लेवो छप्पन भोग .
ना कोई मेरे मन बसा
ना मेरी कोई ठाऊँ .
काल बसेरा रैन का
भौर हुए उड़ जाऊं .
बड पीपल के नाही .
फूल नहीं खुसबू नहीं
उगते चारो माहीं .
'सरबत' की मत बात कर
परबत का नहीं योग
बैठ अकेले प्रेम से
लेवो छप्पन भोग .
ना कोई मेरे मन बसा
ना मेरी कोई ठाऊँ .
काल बसेरा रैन का
भौर हुए उड़ जाऊं .
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