जिन्दगी पाँख तो है पर
परवाज़ नहीं होती .
उडती है चील सी -
पर सुर्ख्वाब नहीं होती .
हर पाठ जिन्दगी का
यूँ पढ़ते तो हैं सभी
सच मान फिरभी ये
इतिहास की कोई
किताब नहीं होती .
परवाज़ नहीं होती .
उडती है चील सी -
पर सुर्ख्वाब नहीं होती .
हर पाठ जिन्दगी का
यूँ पढ़ते तो हैं सभी
सच मान फिरभी ये
इतिहास की कोई
किताब नहीं होती .
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