नए साल की नयी कहानी
मैंने सुनी न तूने जानी -क्या
करना है हमको प्यारे -
तेरी मेरी एक जुबानी
क्या ले लेगी हमसे यारो
ये महंगाई -जियें
मौहल्ले वाले अपने
बिना प्याज़ की सब्जी हमने
तो अब तक नहीं खायी .
दे दे अल्लाह के नाम पे ,
राम के नाम पे-
हम कितने धरम निरपेक्ष हैं .
हमारे लिए ये दुनिया
दो नहीं एक है .
नए साल में - भीड़ मत लगा -
कुछ देना है तो दे दे बाबा -
वर्ना आगे बढ़ जा .
मैंने सुनी न तूने जानी -क्या
करना है हमको प्यारे -
तेरी मेरी एक जुबानी
क्या ले लेगी हमसे यारो
ये महंगाई -जियें
मौहल्ले वाले अपने
बिना प्याज़ की सब्जी हमने
तो अब तक नहीं खायी .
दे दे अल्लाह के नाम पे ,
राम के नाम पे-
हम कितने धरम निरपेक्ष हैं .
हमारे लिए ये दुनिया
दो नहीं एक है .
नए साल में - भीड़ मत लगा -
कुछ देना है तो दे दे बाबा -
वर्ना आगे बढ़ जा .
No comments:
Post a Comment