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Tuesday, May 7, 2013

अब बजे समर की रणभेरी

अब बजी समर की रणभेरी 
रणचंडी का नर्तन होगा 
होगा गीता का पाठ तभी 
फिर महाभारत मंचन होगा .

कणकण फिरसे मणमण होगा
फिर एक नया जनगण होगा 
पानी से प्यास ना बुझ पायी   
तो शोलों से तर्पण होगा .   

ना बचे कहीं राजाशाही 
ये सारे शुक्नी दुर्योधन 
फिर से - होंगे धराशाही .
होगा ये अभी - की कल होगा 
निश्चित है बड़ा अटल होगा .
   

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