अब बजी समर की रणभेरी
रणचंडी का नर्तन होगा
होगा गीता का पाठ तभी
फिर महाभारत मंचन होगा .
कणकण फिरसे मणमण होगा
फिर एक नया जनगण होगा
पानी से प्यास ना बुझ पायी
तो शोलों से तर्पण होगा .
ना बचे कहीं राजाशाही
ये सारे शुक्नी दुर्योधन
फिर से - होंगे धराशाही .
होगा ये अभी - की कल होगा
निश्चित है बड़ा अटल होगा .
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