कुछ जगभाया कुछ मनभाया
कुछ तू कर मनमानी भाया .
गर नहीं नमस्ते करें पिता -
तो हो जा बेशरम भाया .
चल जान बची कुछ लाख गए
छोडो भी वो क्या ख़ाक गए
कर लेंना पूरे कुछ दिन में
है तुझको मेरी कसम भाया .
अब राजनीति में घाम नहीं
कोइ रात और सुबह शाम नहीं
ले झटक टिकट अपनी पहले
लेना नहीं पहले दम भाया
माताजी जितवां भी देंगी
मरवा दे ना पर 'लाल' कहीं
कर लेना पहले पूछताछ
नहीं इसमें कोई शर्म भाया .
बस एक साल की वर्जिश है
फिर खाना पूरी उमर भाया
है तुझको कसम शनिचर की
जो करली नेक शर्म भाया .
ये पाँच वर्षीय आयोजन है
गर योजन है तो भोजन है
ये राजनीति मन मौजन है
मत करना जरा रहम भाया .
रखना मत दिल की दिल में तू
गर आज हैं ये तो कल है तू
बूढों की दिन अब नहीं बचे
तेरा यौवन नहीं कम भाया .
बीजेपी टूटीफूटी है -
नग बिन जैसे अंगूठी है
बेकार आम आदमी है
है कांग्रेस में दम भाया
सोनिया है महफूज बहूत
मनमोहन तो कनफूजन है
ये मोदी तो नालायक है
ना खाऊ है ना खायक है .
कर सोच विचार बहूत ज्यादा
फिर आगे चांस है कम भाया .
(मित्रो आगे सुर - लय और
तुक टूट रही है ...आप चाहें
तो और भी आगे बढा सकते हैं )
कुछ तू कर मनमानी भाया .
गर नहीं नमस्ते करें पिता -
तो हो जा बेशरम भाया .
चल जान बची कुछ लाख गए
छोडो भी वो क्या ख़ाक गए
कर लेंना पूरे कुछ दिन में
है तुझको मेरी कसम भाया .
अब राजनीति में घाम नहीं
कोइ रात और सुबह शाम नहीं
ले झटक टिकट अपनी पहले
लेना नहीं पहले दम भाया
माताजी जितवां भी देंगी
मरवा दे ना पर 'लाल' कहीं
कर लेना पहले पूछताछ
नहीं इसमें कोई शर्म भाया .
बस एक साल की वर्जिश है
फिर खाना पूरी उमर भाया
है तुझको कसम शनिचर की
जो करली नेक शर्म भाया .
ये पाँच वर्षीय आयोजन है
गर योजन है तो भोजन है
ये राजनीति मन मौजन है
मत करना जरा रहम भाया .
रखना मत दिल की दिल में तू
गर आज हैं ये तो कल है तू
बूढों की दिन अब नहीं बचे
तेरा यौवन नहीं कम भाया .
बीजेपी टूटीफूटी है -
नग बिन जैसे अंगूठी है
बेकार आम आदमी है
है कांग्रेस में दम भाया
सोनिया है महफूज बहूत
मनमोहन तो कनफूजन है
ये मोदी तो नालायक है
ना खाऊ है ना खायक है .
कर सोच विचार बहूत ज्यादा
फिर आगे चांस है कम भाया .
(मित्रो आगे सुर - लय और
तुक टूट रही है ...आप चाहें
तो और भी आगे बढा सकते हैं )
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