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Tuesday, May 21, 2013

कब आओगे - ?




कब आओगे - ?
पात उम्र के झड जायेंगे 
सपने सारे मर जायेंगे  
जीवनधारा - सुख जायेगी  
स्त्रोत जलों के सड जायेंगे .

कब आओगे - ?
अभी कुशल और क्षेम बहूत है 
अभी इरादे जिन्दा भी हैं 
तेरी मेरी मन की बातें 
लगती सारी 'सेम' बहूत हैं .

कब आओगे -?
ऋतु आई जो  - जाने को है 
करूँण हृदय में टीस उठी है
दस्तख - देती है द्वारे पर 
पतझर शायद आने को है .

कब आओगे - ?
पर्वत के उतंग शिखर हो 
और इरादे मर जायें जब .
रंग बिरंगे - पंखों वाली 
तितली के पर झड जायें जब  .

कब आओगे - ?
जीवन पर विशवास नहीं है 
निर्बल सी भी आस नहीं है 
दूर दूर की बात नहीं है 
कोई सपना पास नहीं है  .

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तब आओगे - ?
पछताओगे -

ओ मेरे निर्मोही प्रियतम
ना मैं ना मेरी मैं होगी - 
मिलना होगा नहीं यहां पर 
रख देना जलता दीपक तब 
मुट्ठी भर हो राख जहाँ पर .




  


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