कब आओगे - ?
पात उम्र के झड जायेंगे
सपने सारे मर जायेंगे
जीवनधारा - सुख जायेगी
स्त्रोत जलों के सड जायेंगे .
कब आओगे - ?
अभी कुशल और क्षेम बहूत है
अभी इरादे जिन्दा भी हैं
तेरी मेरी मन की बातें
लगती सारी 'सेम' बहूत हैं .
कब आओगे -?
ऋतु आई जो - जाने को है
करूँण हृदय में टीस उठी है
दस्तख - देती है द्वारे पर
पतझर शायद आने को है .
कब आओगे - ?
पर्वत के उतंग शिखर हो
और इरादे मर जायें जब .
रंग बिरंगे - पंखों वाली
तितली के पर झड जायें जब .
कब आओगे - ?
जीवन पर विशवास नहीं है
निर्बल सी भी आस नहीं है
दूर दूर की बात नहीं है
कोई सपना पास नहीं है .
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तब आओगे - ?
पछताओगे -
ओ मेरे निर्मोही प्रियतम
ना मैं ना मेरी मैं होगी -
मिलना होगा नहीं यहां पर
रख देना जलता दीपक तब
मुट्ठी भर हो राख जहाँ पर .
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