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Friday, May 24, 2013

'महाभारत' भारत में फिर से

'महाभारत' भारत में फिर से 


इतना आसान नहीं होगा .


पांडव जीतेंगे कैसे - जो 


मुरलीधर श्याम नहीं होगा .


यादव है वीर बहूत सारे 


लेकिन सब सत्ता के मारे 


पक्षों में बैठे सभी यार - 


पांडव एकल हैं बेचारे .



संधि नहीं सीधे रण होगा 

ये भारत तभी उरिण होगा .


ना चौपड कोई रच पाए 


ना शुक्नी कोई बच पाए .


धृतराष्ट्र नहीं गांधारी है 


अपने बेटे से हारी है .


इतिहास नहीं पढ़ते हैं हम 
इतिहास बनाते आये हैं .
इतिहास मिटा देंगें हम जो 
जबरन इतिहास लिखाते आये हैं .


वैशाली नगर वधु होगी तो 

द्रोपदी का चीर हरण होगा

अब युद्ध करो या डूब मरो 

वो जीवन नहीं मरण होगा .


ये सत्ता नहीं बिमारी है 
राजा की कुर्सी प्यारी है .
धृतराष्ट्र नहीं गांधारी है 
अपने बेटे से हारी है .


ये बोल नहीं है गीतों के 
ये गीत नहीं है गाने के .

ये समर गीत है योद्धा का 

हैं दुश्मन से टकराने के .



रणचंडी मांगे रक्त और 

है निशा अभी ना हुई भौर .

निस्तेज सितारे चाँद सभी 

ले आओ सूरज एक और .


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