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उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
Tuesday, May 14, 2013
दिल उदास है यार
कुछ ज्यादा नहीं तो -
कोई कम भी नहीं -
मेहरबानी नहीं -तो
कोई जुल्म भी नहीं .
जाने क्यों फिर भी
दिल उदास है यार .
ना है पास -
ना वो दूर है -
किसी ने लाजवाब
ना कहा कभी - तो
मेरा क्या कसूर है .
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