जब शिशु सपने -
कम उम्र में गुजर जाते हैं .
युवा स्वप्न आत्महत्या कर जाते हैं .
उस दिन जिस्म तो जिन्दा होता है
पर दिल हमारे मर जाते हैं .
मारने से इरादे नहीं मरा करते
हरे हो जाते हैं ठूंठ भी बहारों में .
भौर होते ही -
सुला देता हूँ .
दिन में सपनो का -
जागना अच्छा नहीं होता .
सुला देता हूँ .
दिन में सपनो का -
जागना अच्छा नहीं होता .
गिरा है वो - चाहे किसी का है
फिर भी ये लहू आदमी का है .
फिर भी ये लहू आदमी का है .
सभी तो खुदके जैसे लगते हैं
सभी होते हैं अलेहदा जुदा -
कोई किसी के जैसा नहीं होता .
सभी होते हैं अलेहदा जुदा -
कोई किसी के जैसा नहीं होता .
सोचना है - सोचना क्या
जो नहीं लड़ते कभी
वो सोचते हैं .
जो नहीं लड़ते कभी
वो सोचते हैं .
अभी आये नहीं
जाने की जिद - और
फिर फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .
जाने की जिद - और
फिर फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .
नदी तुम बहती क्यों हो
निरापद - बेसबब
निर्बाध - गति से
कभी रूकती क्यों नहीं -
आज नहीं - तो
कल कल कहती क्यों हो .
निरापद - बेसबब
निर्बाध - गति से
कभी रूकती क्यों नहीं -
आज नहीं - तो
कल कल कहती क्यों हो .
वो समय का घोडा -
थका - रुका पलको
फिर सरपट दौड़ा .
थका - रुका पलको
फिर सरपट दौड़ा .
ऐ मेरे दिल तू चल यहाँ कोई नहीं तेरा
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा
ना जाने किसका है अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा
ना जाने किसका है अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .
यही दुआ है बस - उनसे कभी सामना ना हो
मिल जाए भी तो दिलमें कोई कामना ना हो .
मिल जाए भी तो दिलमें कोई कामना ना हो .
उस कपूत का क्या करें जो
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें
जो देश को रसातल में ले जाए .
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें
जो देश को रसातल में ले जाए .
आस्मांनी आफताब की औकात नहीं थी
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .
जीना बहूत जरुरी है
मरना भी मजबूरी है
जीने मरने में यारो
अक्षर भर की दूरी है .
आओ यारो साथ चलें
साथ चलें तो बात चले
उनकी चले जुबान अगर
अपने दोनों हाथ चलें .
साथ चलें तो बात चले
उनकी चले जुबान अगर
अपने दोनों हाथ चलें .
खेत गए खलिहान गए बोये सारे धान गए अब्बा यूएस से आये बाकी पाकिस्तान गये अम्मा यारो साफ़ बची - मनमोहन के प्राण गए
हिन्दुस्तानी माने ना मगर बिदेसी मान गए .
बाबा आदम की बाते
मुर्दा जिन्दा लगता है .
गांधी गांधी चिल्ला कर
जिन्दों को भी ठगता है .
तदबीर बहूत की पर -
तकदीर निराली थी
अपनी तो यार झोली
खुशियों की बात छोडो
ग़मों से भी खाली थी .
तकदीर निराली थी
अपनी तो यार झोली
खुशियों की बात छोडो
ग़मों से भी खाली थी .
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