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Thursday, May 30, 2013

ख्वाब से तुम - क्यों चले आते हो

ख्वाब से तुम - 
क्यों चले आते हो - 
मेरी आँखों में हर रात .
कोई पहचान नहीं - 
क्यों छेड़ते हो - 
मेरे सोये हुए जज्बात .


भटकनो से - खुद को 
बड़ी मुश्किल से 
सहेजा है - ये 
सुर्ख गुलाब - तुमने
मुझे क्यों भेजा है .



हवा थमी है -
अभी बादल खामोश -
फिर बिजलियों को
छिपाके दामन में -
मेरा घर जलाने -
किस ख़ुशी में
तुमने भेजा है .



जाओ पथिक -
चले जाओ - वहीँ
इस दरख्त पर
आस के पखेरू - अब
अपने नीड़ नहीं बनाते
यूँ दरवाजा खुला है -
कभी मिल लेना
यूँहीं आते जाते .

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