ख्वाब से तुम -
क्यों चले आते हो -
मेरी आँखों में हर रात .
कोई पहचान नहीं -
क्यों छेड़ते हो -
मेरे सोये हुए जज्बात .
भटकनो से - खुद को
बड़ी मुश्किल से
सहेजा है - ये
सुर्ख गुलाब - तुमने
मुझे क्यों भेजा है .
हवा थमी है -
अभी बादल खामोश -
फिर बिजलियों को
छिपाके दामन में -
मेरा घर जलाने -
किस ख़ुशी में
तुमने भेजा है .
जाओ पथिक -
चले जाओ - वहीँ
इस दरख्त पर
आस के पखेरू - अब
अपने नीड़ नहीं बनाते
यूँ दरवाजा खुला है -
कभी मिल लेना
यूँहीं आते जाते .
क्यों चले आते हो -
मेरी आँखों में हर रात .
कोई पहचान नहीं -
क्यों छेड़ते हो -
मेरे सोये हुए जज्बात .
भटकनो से - खुद को
बड़ी मुश्किल से
सहेजा है - ये
सुर्ख गुलाब - तुमने
मुझे क्यों भेजा है .
हवा थमी है -
अभी बादल खामोश -
फिर बिजलियों को
छिपाके दामन में -
मेरा घर जलाने -
किस ख़ुशी में
तुमने भेजा है .
जाओ पथिक -
चले जाओ - वहीँ
इस दरख्त पर
आस के पखेरू - अब
अपने नीड़ नहीं बनाते
यूँ दरवाजा खुला है -
कभी मिल लेना
यूँहीं आते जाते .
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