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Sunday, March 31, 2013

आंधियां फिरसे उदास हैं


बात ऐसी कुछ नहीं बस यार 

आंधियां फिरसे उदास हैं 

आज लहरों में नहीं है दम 

मछलियाँ सारी हताश हैं .


तीर पर क्या घूमने जाएँ 

कश्तियाँ सारी निराश हैं .

कोई आये तो कहीं से दिल 

टूटने को मेरी आस हैं .


सरकने से भी जो ना सरके 

दहकने से भी नहीं दरके

वो नहीं पत्थर जो पास है 

ढूँढने फिर जा रहा हूँ मैं 

आज पर्वत की तलाश है .

Saturday, March 30, 2013

दोहे

ये ईश्वर का देश है
नौ निध बारा सिद्ध
कव्वे तो मिल जायेंगे
नहीं मिलेंगे गिद्ध

सबके सब हैं देवता
नहीं जरा भी फर्क
सबके अपने स्वर्ग हैं
अपने अपने नर्क .

देश भले के नाम पर
निकले घर से लोग
गद्दी नहीं नसीब में
ना कोई ऐसा जोग .

पुरवैया के झोक से
पर्वत धक्के खाए .
चले भीड़ जो साथ में
वो ठाडो हो जाए .

ना आना इस देश में
लाडो अबकी बार .
सासरिये रह मौज से
दोनों पाँव पसार .
(इटली का सोनिया से अनुरोध)

देश हितों के नाम पर
करले प्यारे मौज .
गद्दी से हटते ससुर
लेंगे तुझ को खोज .


सस्ता इसे ना जानिये
इनका भारी रेट .
नेताजी का ना भरे
सागर जैसा पेट .

खंजर रखना जेब में 
नयन कटारी धार .
कोई तुझको मार दे 
तू - उससे पहले मार .

लूट लूट घर भर लिया 
बचा ना एक छदाम .
बची लंगोटी खींचते 
सत्ता के हज्जाम .

भौंक भौंक कर थक गए 
सब सत्ता के चोर .
एक गया - दूजा ससुर 
जाने कितने और .

एक टिकट दिलवा सखा 
देश भक्ति है फर्ज .
सात पीढ़ी बेफिक्र हों 
क्या फिर इसमें हर्ज़ .

बारह महीने और बरस चार 
ये मियादी बुखार यार 
चढ़ता नेता को एक बार 
'मत' मतदे ना तू बार बार .

इंग्लिश नीति पढ़ गए 
कौए सीढ़ी चढ़ गए .
असली स्वराजी कहीं 
तस्वीरों में जड़ गए .

कौए सारे पढ़ गए 
हंस रह गए टन्ट *
चुग चुग मोती खा गए 
सत्ताधारी महंत .
(टन्ट = अनपढ़ / गंवार)

जिगरा मेरा देखिये 
मिटा ना रावण राज 
वोट डालने का फकत 
सिंगल अपना काज .

जीतेगा कोई नहीं - 
सभी गए हैं हार 
चाहे अनशन बैठ ले - 
चाहे ठानो रार .

रावण ज़िंदा है अभी - नहीं मरा है कंस 
ये स्वदेसी राज अब लगने लगा कलंक .

रै बटेऊ सालभर में - और किन्ना खा लेगी 
या खाऊ पिऊ सरकार तो अयाँ ही चालेगी .
(बटेऊ - दामाद , अयाँ - ऐसे ही )

चक्रव्यूह में फंस गए - ना अंदर ना बाहर 
मोह बसा है पार्थ में - कैसे करे प्रहार .

थकके सबने रख दिए - अपने अपने तीर 
वोटों से कब बदलती - भारत की तकदीर .



Thursday, March 28, 2013

क्षणिकाएँ

खुदा का शुक्र था -
किश्तों में गम मिले 
वर्ना ये जिन्दगी कब की 
खर्च हो गयी होती .

मौ सम मूढ़ ना तुम सम ज्ञानी 
जगत चतुर - नहीं कोई सानी 
दुनिया को क्या बिरद बतानी 
हंसती पीर ना जाए पिछानी .

अपनी बरसों बरस चलेगी
नहीं झूठ ना कोई ठिठोली .
अपनी होली तो जारी है 
सबकी होली कब की होली .

भ्रम में आजादी के माने ढूँढता रहा
मिला भी तो - जालिम बेपता निकला . 
दो चार गिरह कोई मायने नहीं रखते 
यहाँ तो पूरा थानही यारो फटा निकला .

सुबह से शाम हुई -
और दिन ढल गया . 
रंगों का त्यौहार भी - यार 
बिना रंगे निकल गया .

मिले हैं रंग - नहीं दिल तंग 
ना कोई भांग ना कोई भंग 
सभी के तो अगणित रंग 
मेरे सारे रंग 'कारे' के संग .


सतरंगी सब रंग घूल गए 
केवल श्याम बचा है बाकी
ओरों से कुछ काम नहीं बस 
हाथ जोड़ बाकी से माफ़ी .


वो आ रहें हैं कोई कह जाता 
उनका भी मान रह जाता .
और हमारा भी गुमान रह जाता

बिन बरसे चले गए बादल 
जो गए उनके घर तो - 
वो फिर लौट कर नहीं आते .

अब कभी आओ तो 
पहले मत खबर करना .
पक गये हैं हम तेरा 
इंतज़ार करते करते .

पिलानी है तो - 
घूँट दो चार नहीं 
भर पेट पिला यारा 
हम भी देखें - तेरी 
आँखों में वो पहले सा 
नशा है की नहीं .

अपनी कौशिश थी 
मामला रफा दफा हो 
उनकी कौशिश थी -
मुआ यहाँ से दफा हो .

रंग कुछ और भी हैं 
ऐतराज़ ना हो - 
तो लगाएं क्या .
दूर से दूर तक - 
नहीं दीखता -  
इज़ाज़त हो तो - 
करीब आयें क्या .

रंग सपनों में भरे जाते हैं 
रंग अश्कों से झरे जाते हैं
कुछ घडी को रंग चहरे के 
बदलने से क्या होगा यार .

लगाये चेहरों पे कम - 
फैलाए ज्यादा 
किसी बेरंग जिन्दगी में 
भरते तो यार -
बड़ा सबाब मिलता .

रंग की बौछार से थकी सी गुलाल 
कड़क बोली भी अब ठंडी होली 
हार के बैठ गए चन्दन गुलाल रोली
चलो मनाये फिर से यार - 
होली के बाद इक और होली .

रंग खुशियों का ऐसा हो छूटे नहीं 
कोई अपना कभी तुमसे रूठे नहीं 
होली होली जो होली उसे भूल जा 
उड़े गुलाल - अबीर सहस्र रंग 
अबके मिले कोई होली में 
आये ख़ुशी सा ना जाए कभी 
ऐसे खिले रंग होली में .

मौन में भी - जाने 
ये मन क्या गाता है 
निर्जन में भी - जाने 
दूर कोई गीत सा 
गुनगुनाता है .

चलो कुछ ढूँढ़ते हैं - 

सच की सपने .

पराये की अपने .

ना जाने क्या चाहता है 

मन उद्विग्न अशांत 

आज ना जाने क्यों .

ना पूरा भरा हूँ - 


ना आधा खाली हूँ 

फिर भी ना जाने 

आज क्यों सवाली हूँ .


कोई आएगा नहीं अब किसका इंतज़ार है 
तन्हाईयाँ चौखट पे खड़ी आने को तैयार हैं

बात इतनी सी की बात कुछ भी नहीं 
तेरे पढने का सबब फिर भी है यार 
मेरे लिखने का सबब कुछ भी नहीं .

बेसबब कभी किसी का भी हुआ जाता है -
इस दिल को समझाएं तो समझाएं कैसे .

तुम्हारी याद भी 
मौसम की तरह आती है 
सर्दी गर्मी - कभी बरसात 
कभी बेमौसम भी बरस जाती है .

सँभालते सहेजते भी जो बिगड़ जाते हैं 
ये मन के रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं .
वो जब पास नहीं होते - सच कहूं यारो  
वो तब मेरे दिल के सबसे करीब होते हैं .

नहीं दो चार लफ्जों में 
बयां पूरी जुबानी हो .
की जो तेरी कहानी है 
वही मेरी कहानी हो .

चाँद तारों से काम चला नहीं 
और सूरज कहीं मिला नहीं 
पंजे की निशाँ थे हर गाल पर 
कमल कभी ढंगसे खिला नहीं .

उजड बस जाते हैं आशियाने से 
कहाँ मिटते हैं किसी के मिटाने से 
तेरी कौशिशें सफल नहीं होंगी 
कोई तो सबक ले ज़माने से .

मिल गया होगा कोई सस्ता सा घर 
हमारे दिल में वो आजकल नहीं रहते .

दुनिया का क्या है - यूँही कहती है 
वो मेरे दिल में जाने कब से रहती है .
दूर होक भी वो दिल के करीब होते हैं 
प्यार के रिश्ते भी यार अजीब होते हैं .

थक गयी हैं आस - दिन भी डूबने लगा 
जिन्दगी से यार दिल कुछ उबने लगा .

क्या जिन्दगी मिली - अब यार क्या कहे 
पैरों में सफ़र था - ना सफ़र कहीं मिला .
पर थक गए थे आस के पंछि के एक रोज़  
ना छत मिली कहीं - ना घर कहीं मिला .

महुब्बत की दिलमें क्षीणसी जो रेखा है 
आज आ जाओ यार कल किसने देखा है .

रात अपने निशाँन छोड़ गयी 
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की - 
एक खाली मकान छोड़ गयी .

सुखों का नाम जिन्दगी 
न दुखों का नाम जीवन
पल पल रंग बदलती -
तेज़ धुप में जलते - और 
ठिठुरती पाँवो के सफ़र 
का नाम ही है जिन्दगी .






Sunday, March 24, 2013

क्षणिकाएँ

आडी तिरछी - टेढ़ी मेढ़ी 
चाँद सरीखी - रोटी तो 
मत बेलो लाल 
अंगारों को भस्म करे जो 
उस सूरज से खेलो लाल .

रतनारे रंगों से रंग दो 
प्रेम प्यार और रंग ख़ुशी के 
धरती आस्मां में भर दो .

तन ने फिर अंगडाई ली 
मन ने फिर ऑंखें खोली 
हृदय बसा निर्मोही साजन 
दिलने जिसकी जय बोली .

ये भी अद्भूत आकर्षण है 
दुनिया में भटका सा मन है .
तन की कोई होश नहीं है 
पार क्षितिज जाने का प्रण है.

कोई रंग ना कोई रंगोली 
ना हिय ने पिचकारी खोली 
भीगा मन ना भीगी चोली .
ये होली फिर कैसी होली .

जाने कैसा पागलपन है 
बेकाबू सा तनमन है .
कोई आये मुझे सताए 
बैठी देहरी पर आशाएं 
प्रेम प्रीत के रंग सजाये .

सुबह हुई तो जाने कब की 
गयी दुपहरी सांझ होगई .
चाँद चांदनी के धोखे में 
मेरी आशा बाँझ हो गयी .

कौन सा रंग चेहरे पे उनके लगाया जाए 
ना फीका पड़े - किसको आजमाया जाए .
प्रेम का रंग मेरी आँखों में पहले से ही है
कहो अब उनको किस तरह बताया जाए .

मुंह लटक जाते थे देखकर पहरे 
गज़ब के हम भी हिम्मती ठहरे .
बंद खिड़की मिली - अजब माया 
झरोखों से ही यार झाँक आया .

राज खुल जाते थे - बातों बातो से 
पूजा होती थी खूब - घूंसों लातों से .
हठी बड़े थे - कोई शर्म नहीं औढी 
गली में उनके जाने की लत नहीं छोड़ी .

श्वेत श्याम का ज़माना था फिर भी 
हौसले तब भी रंगीन हुआ करते थे .
दिलों के क़त्ल की ना पूछिये जनाब 
मामले तब भी संगीन हुआ करते थे .

रंग उतर आयें -मेरे हाथों के उनके चेहरे पे 
कौन कहता है - रंग हमपे चढ़ा करता है .
ना शिकायत -मिली हंसती सी नज़र 
हुई राहत हमें - दिल यूँही डरा करता है .

ये सजना संवरना - अठखेलियाँ 
ये शौखियाँ - फूलों से तकरार .
तेरी ऑंखें बता रहीं हैं - यार .
छुपाओ मत जो है किसी से प्यार 

वो आये ज्यों फाल्गुनी बयार 
चप्पे चप्पे में छाने लगा है खुमार 
जहाँ से गुजरें - महके गुल हज़ार
कैसे कह दूं तुझसे नहीं है प्यार .

ना दिल में उल्लास कहीं 
पास नहीं चुटकी भर रोली 
बिना रंग की कैसी होली -
जाने कब के बीत गए दिन 
होती थी अपनी भी होली 
वो होली तो कबकी हो-ली 

फीके रंग पड़े होली के  
जेब हो गयी लाल .
चुटकी भर हल्दी नहीं 
कैसे आये गुलाल .

तुम्हारे सपने हमेशा रंगीन हुआ करते हैं 
क्या हुआ इस बरस हलके हैं रंग होली के .

हमने सफ़र में एक सफ़र देखा .
घर के अन्दर भी एक घर देखा .
इरादों के झड गए सब पात मगर 
थके पांवों में सफ़र दर सफ़र देखा .

ये तेरा बेवजह मिलना 
वो मेरा बेवजह कहना -
किसी से प्यार हो शायद 
किसी को प्यार है शायद .

ख्वाब मिल जाएँ हसीं - कोई कामना ना हो 
या खुदा फिर कभी  सुबह से सामना ना हो .

यूँ ही होता रहा - बस 
आज और कल .
आज वो थी नहीं - और 
कल कभी मिली नहीं .

कोई मासूम सा चेहरा 
कोई खिलता सा गुलाब
क्या सादगी है यही - 
तेरा गहना लाजवाब . 

तेरे रुखसार पर ग़ज़ल कैसे लिखूं 
तिरछे नैनों की मार पर कैसे लिखूं . 
ये दहकते लबों अंगार पर कैसे लिखूं 
आग ही आग है फुहार पर कैसे लिखूं .

अपने मुंह से कहते नहीं लगते अच्छे 
बाकी सब झूठे बस तुम्ही एक सच्चे .
ये अभी बड़े नहीं हुए- पालने में पडे हैं 
ऐसे लोग होते हैं अभी बहूत छोटे बच्चे .

तू जा यार - और हमें जाने दे 
ना और यहाँ रुकने के बहाने दे .

ये जिन्दगी भी कौन सी सोना है
जो सोना हो तो भी इसे खोना है .
सूख जायेगी इक दिन पात जैसी 
क्या सुखाना इसे क्या भिगोना है .

कोई आएगा नहीं फिर भी इंतज़ार है 
कहीं करार नहीं दिल मेरा बेक़रार है .
हवाओं में ये कैसी आ रही है खुशबू
महकती बहार बस आने को तैयार है .

पतझरों से कहो रास्ता दे दें 
गाँव पनघट का वास्ता दे दें 
किसी का क्या बिगड़ा जाएगा 
जो प्यार का नया कायदा दे दें .

कोई फ़िक्र नहीं - की बेफिक्र हूँ 
फिर भी तेरे जवाब का मुंतजर हूँ 
जाने किस घडी में लगन लगी थी 
मैं भीगा भी नहीं - पर पूरा तर हूँ .

रोको मत - लोगो इसे जाने दो
ना इसरार ना कोई बहाने दो
धरती का क्या बिगड़ जाएगा 
अपना घर चाँद पर बनाने दो .
जहाँ हवा ना पानी है - प्यार की 
इन्हें कोई नयी फसल उगाने दो .

ना तदबीर काफी है 
ना इरादों में कोई दम है .

ना राहुकेतु है ना कोई यम है .
उनकी कुंडली में तो यार 
केवल हम ही हम हैं .