आडी तिरछी - टेढ़ी मेढ़ी
चाँद सरीखी - रोटी तो
मत बेलो लाल
अंगारों को भस्म करे जो
उस सूरज से खेलो लाल .
रतनारे रंगों से रंग दो
प्रेम प्यार और रंग ख़ुशी के
धरती आस्मां में भर दो .
तन ने फिर अंगडाई ली
मन ने फिर ऑंखें खोली
हृदय बसा निर्मोही साजन
दिलने जिसकी जय बोली .
ये भी अद्भूत आकर्षण है
दुनिया में भटका सा मन है .
तन की कोई होश नहीं है
पार क्षितिज जाने का प्रण है.
कोई रंग ना कोई रंगोली
ना हिय ने पिचकारी खोली
भीगा मन ना भीगी चोली .
ये होली फिर कैसी होली .
जाने कैसा पागलपन है
बेकाबू सा तनमन है .
कोई आये मुझे सताए
बैठी देहरी पर आशाएं
प्रेम प्रीत के रंग सजाये .
सुबह हुई तो जाने कब की
गयी दुपहरी सांझ होगई .
चाँद चांदनी के धोखे में
मेरी आशा बाँझ हो गयी .
कौन सा रंग चेहरे पे उनके लगाया जाए
ना फीका पड़े - किसको आजमाया जाए .
प्रेम का रंग मेरी आँखों में पहले से ही है
कहो अब उनको किस तरह बताया जाए .
मुंह लटक जाते थे देखकर पहरे
गज़ब के हम भी हिम्मती ठहरे .
बंद खिड़की मिली - अजब माया
झरोखों से ही यार झाँक आया .
राज खुल जाते थे - बातों बातो से
पूजा होती थी खूब - घूंसों लातों से .
हठी बड़े थे - कोई शर्म नहीं औढी
गली में उनके जाने की लत नहीं छोड़ी .
श्वेत श्याम का ज़माना था फिर भी
हौसले तब भी रंगीन हुआ करते थे .
दिलों के क़त्ल की ना पूछिये जनाब
मामले तब भी संगीन हुआ करते थे .
रंग उतर आयें -मेरे हाथों के उनके चेहरे पे
कौन कहता है - रंग हमपे चढ़ा करता है .
ना शिकायत -मिली हंसती सी नज़र
हुई राहत हमें - दिल यूँही डरा करता है .
ये सजना संवरना - अठखेलियाँ
ये शौखियाँ - फूलों से तकरार .
तेरी ऑंखें बता रहीं हैं - यार .
छुपाओ मत जो है किसी से प्यार
वो आये ज्यों फाल्गुनी बयार
चप्पे चप्पे में छाने लगा है खुमार
जहाँ से गुजरें - महके गुल हज़ार
कैसे कह दूं तुझसे नहीं है प्यार .
ना दिल में उल्लास कहीं
पास नहीं चुटकी भर रोली
बिना रंग की कैसी होली -
जाने कब के बीत गए दिन
होती थी अपनी भी होली
वो होली तो कबकी हो-ली
फीके रंग पड़े होली के
जेब हो गयी लाल .
चुटकी भर हल्दी नहीं
कैसे आये गुलाल .
तुम्हारे सपने हमेशा रंगीन हुआ करते हैं
क्या हुआ इस बरस हलके हैं रंग होली के .
हमने सफ़र में एक सफ़र देखा .
घर के अन्दर भी एक घर देखा .
इरादों के झड गए सब पात मगर
थके पांवों में सफ़र दर सफ़र देखा .
ये तेरा बेवजह मिलना
वो मेरा बेवजह कहना -
किसी से प्यार हो शायद
किसी को प्यार है शायद .
ख्वाब मिल जाएँ हसीं - कोई कामना ना हो
या खुदा फिर कभी सुबह से सामना ना हो .
यूँ ही होता रहा - बस
आज और कल .
आज वो थी नहीं - और
कल कभी मिली नहीं .
कोई मासूम सा चेहरा
कोई खिलता सा गुलाब
क्या सादगी है यही -
तेरा गहना लाजवाब .
तेरे रुखसार पर ग़ज़ल कैसे लिखूं
तिरछे नैनों की मार पर कैसे लिखूं .
ये दहकते लबों अंगार पर कैसे लिखूं
आग ही आग है फुहार पर कैसे लिखूं .
अपने मुंह से कहते नहीं लगते अच्छे
बाकी सब झूठे बस तुम्ही एक सच्चे .
ये अभी बड़े नहीं हुए- पालने में पडे हैं
ऐसे लोग होते हैं अभी बहूत छोटे बच्चे .
तू जा यार - और हमें जाने दे
ना और यहाँ रुकने के बहाने दे .
ये जिन्दगी भी कौन सी सोना है
जो सोना हो तो भी इसे खोना है .
सूख जायेगी इक दिन पात जैसी
क्या सुखाना इसे क्या भिगोना है .
कोई आएगा नहीं फिर भी इंतज़ार है
कहीं करार नहीं दिल मेरा बेक़रार है .
हवाओं में ये कैसी आ रही है खुशबू
महकती बहार बस आने को तैयार है .
पतझरों से कहो रास्ता दे दें
गाँव पनघट का वास्ता दे दें
किसी का क्या बिगड़ा जाएगा
जो प्यार का नया कायदा दे दें .
कोई फ़िक्र नहीं - की बेफिक्र हूँ
फिर भी तेरे जवाब का मुंतजर हूँ
जाने किस घडी में लगन लगी थी
मैं भीगा भी नहीं - पर पूरा तर हूँ .
रोको मत - लोगो इसे जाने दो
ना इसरार ना कोई बहाने दो
धरती का क्या बिगड़ जाएगा
अपना घर चाँद पर बनाने दो .
जहाँ हवा ना पानी है - प्यार की
इन्हें कोई नयी फसल उगाने दो .
ना तदबीर काफी है
ना इरादों में कोई दम है .
ना राहुकेतु है ना कोई यम है .
उनकी कुंडली में तो यार
केवल हम ही हम हैं .
चाँद सरीखी - रोटी तो
मत बेलो लाल
अंगारों को भस्म करे जो
उस सूरज से खेलो लाल .
रतनारे रंगों से रंग दो
प्रेम प्यार और रंग ख़ुशी के
धरती आस्मां में भर दो .
तन ने फिर अंगडाई ली
मन ने फिर ऑंखें खोली
हृदय बसा निर्मोही साजन
दिलने जिसकी जय बोली .
ये भी अद्भूत आकर्षण है
दुनिया में भटका सा मन है .
तन की कोई होश नहीं है
पार क्षितिज जाने का प्रण है.
कोई रंग ना कोई रंगोली
ना हिय ने पिचकारी खोली
भीगा मन ना भीगी चोली .
ये होली फिर कैसी होली .
जाने कैसा पागलपन है
बेकाबू सा तनमन है .
कोई आये मुझे सताए
बैठी देहरी पर आशाएं
प्रेम प्रीत के रंग सजाये .
सुबह हुई तो जाने कब की
गयी दुपहरी सांझ होगई .
चाँद चांदनी के धोखे में
मेरी आशा बाँझ हो गयी .
कौन सा रंग चेहरे पे उनके लगाया जाए
ना फीका पड़े - किसको आजमाया जाए .
प्रेम का रंग मेरी आँखों में पहले से ही है
कहो अब उनको किस तरह बताया जाए .
मुंह लटक जाते थे देखकर पहरे
गज़ब के हम भी हिम्मती ठहरे .
बंद खिड़की मिली - अजब माया
झरोखों से ही यार झाँक आया .
राज खुल जाते थे - बातों बातो से
पूजा होती थी खूब - घूंसों लातों से .
हठी बड़े थे - कोई शर्म नहीं औढी
गली में उनके जाने की लत नहीं छोड़ी .
श्वेत श्याम का ज़माना था फिर भी
हौसले तब भी रंगीन हुआ करते थे .
दिलों के क़त्ल की ना पूछिये जनाब
मामले तब भी संगीन हुआ करते थे .
रंग उतर आयें -मेरे हाथों के उनके चेहरे पे
कौन कहता है - रंग हमपे चढ़ा करता है .
ना शिकायत -मिली हंसती सी नज़र
हुई राहत हमें - दिल यूँही डरा करता है .
ये सजना संवरना - अठखेलियाँ
ये शौखियाँ - फूलों से तकरार .
तेरी ऑंखें बता रहीं हैं - यार .
छुपाओ मत जो है किसी से प्यार
वो आये ज्यों फाल्गुनी बयार
चप्पे चप्पे में छाने लगा है खुमार
जहाँ से गुजरें - महके गुल हज़ार
कैसे कह दूं तुझसे नहीं है प्यार .
ना दिल में उल्लास कहीं
पास नहीं चुटकी भर रोली
बिना रंग की कैसी होली -
जाने कब के बीत गए दिन
होती थी अपनी भी होली
वो होली तो कबकी हो-ली
फीके रंग पड़े होली के
जेब हो गयी लाल .
चुटकी भर हल्दी नहीं
कैसे आये गुलाल .
तुम्हारे सपने हमेशा रंगीन हुआ करते हैं
क्या हुआ इस बरस हलके हैं रंग होली के .
हमने सफ़र में एक सफ़र देखा .
घर के अन्दर भी एक घर देखा .
इरादों के झड गए सब पात मगर
थके पांवों में सफ़र दर सफ़र देखा .
ये तेरा बेवजह मिलना
वो मेरा बेवजह कहना -
किसी से प्यार हो शायद
किसी को प्यार है शायद .
ख्वाब मिल जाएँ हसीं - कोई कामना ना हो
या खुदा फिर कभी सुबह से सामना ना हो .
यूँ ही होता रहा - बस
आज और कल .
आज वो थी नहीं - और
कल कभी मिली नहीं .
कोई मासूम सा चेहरा
कोई खिलता सा गुलाब
क्या सादगी है यही -
तेरा गहना लाजवाब .
तेरे रुखसार पर ग़ज़ल कैसे लिखूं
तिरछे नैनों की मार पर कैसे लिखूं .
ये दहकते लबों अंगार पर कैसे लिखूं
आग ही आग है फुहार पर कैसे लिखूं .
अपने मुंह से कहते नहीं लगते अच्छे
बाकी सब झूठे बस तुम्ही एक सच्चे .
ये अभी बड़े नहीं हुए- पालने में पडे हैं
ऐसे लोग होते हैं अभी बहूत छोटे बच्चे .
तू जा यार - और हमें जाने दे
ना और यहाँ रुकने के बहाने दे .
ये जिन्दगी भी कौन सी सोना है
जो सोना हो तो भी इसे खोना है .
सूख जायेगी इक दिन पात जैसी
क्या सुखाना इसे क्या भिगोना है .
कोई आएगा नहीं फिर भी इंतज़ार है
कहीं करार नहीं दिल मेरा बेक़रार है .
हवाओं में ये कैसी आ रही है खुशबू
महकती बहार बस आने को तैयार है .
पतझरों से कहो रास्ता दे दें
गाँव पनघट का वास्ता दे दें
किसी का क्या बिगड़ा जाएगा
जो प्यार का नया कायदा दे दें .
कोई फ़िक्र नहीं - की बेफिक्र हूँ
फिर भी तेरे जवाब का मुंतजर हूँ
जाने किस घडी में लगन लगी थी
मैं भीगा भी नहीं - पर पूरा तर हूँ .
रोको मत - लोगो इसे जाने दो
ना इसरार ना कोई बहाने दो
धरती का क्या बिगड़ जाएगा
अपना घर चाँद पर बनाने दो .
जहाँ हवा ना पानी है - प्यार की
इन्हें कोई नयी फसल उगाने दो .
ना तदबीर काफी है
ना इरादों में कोई दम है .
ना राहुकेतु है ना कोई यम है .
उनकी कुंडली में तो यार
केवल हम ही हम हैं .
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