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Sunday, March 24, 2013

क्षणिकाएँ

आडी तिरछी - टेढ़ी मेढ़ी 
चाँद सरीखी - रोटी तो 
मत बेलो लाल 
अंगारों को भस्म करे जो 
उस सूरज से खेलो लाल .

रतनारे रंगों से रंग दो 
प्रेम प्यार और रंग ख़ुशी के 
धरती आस्मां में भर दो .

तन ने फिर अंगडाई ली 
मन ने फिर ऑंखें खोली 
हृदय बसा निर्मोही साजन 
दिलने जिसकी जय बोली .

ये भी अद्भूत आकर्षण है 
दुनिया में भटका सा मन है .
तन की कोई होश नहीं है 
पार क्षितिज जाने का प्रण है.

कोई रंग ना कोई रंगोली 
ना हिय ने पिचकारी खोली 
भीगा मन ना भीगी चोली .
ये होली फिर कैसी होली .

जाने कैसा पागलपन है 
बेकाबू सा तनमन है .
कोई आये मुझे सताए 
बैठी देहरी पर आशाएं 
प्रेम प्रीत के रंग सजाये .

सुबह हुई तो जाने कब की 
गयी दुपहरी सांझ होगई .
चाँद चांदनी के धोखे में 
मेरी आशा बाँझ हो गयी .

कौन सा रंग चेहरे पे उनके लगाया जाए 
ना फीका पड़े - किसको आजमाया जाए .
प्रेम का रंग मेरी आँखों में पहले से ही है
कहो अब उनको किस तरह बताया जाए .

मुंह लटक जाते थे देखकर पहरे 
गज़ब के हम भी हिम्मती ठहरे .
बंद खिड़की मिली - अजब माया 
झरोखों से ही यार झाँक आया .

राज खुल जाते थे - बातों बातो से 
पूजा होती थी खूब - घूंसों लातों से .
हठी बड़े थे - कोई शर्म नहीं औढी 
गली में उनके जाने की लत नहीं छोड़ी .

श्वेत श्याम का ज़माना था फिर भी 
हौसले तब भी रंगीन हुआ करते थे .
दिलों के क़त्ल की ना पूछिये जनाब 
मामले तब भी संगीन हुआ करते थे .

रंग उतर आयें -मेरे हाथों के उनके चेहरे पे 
कौन कहता है - रंग हमपे चढ़ा करता है .
ना शिकायत -मिली हंसती सी नज़र 
हुई राहत हमें - दिल यूँही डरा करता है .

ये सजना संवरना - अठखेलियाँ 
ये शौखियाँ - फूलों से तकरार .
तेरी ऑंखें बता रहीं हैं - यार .
छुपाओ मत जो है किसी से प्यार 

वो आये ज्यों फाल्गुनी बयार 
चप्पे चप्पे में छाने लगा है खुमार 
जहाँ से गुजरें - महके गुल हज़ार
कैसे कह दूं तुझसे नहीं है प्यार .

ना दिल में उल्लास कहीं 
पास नहीं चुटकी भर रोली 
बिना रंग की कैसी होली -
जाने कब के बीत गए दिन 
होती थी अपनी भी होली 
वो होली तो कबकी हो-ली 

फीके रंग पड़े होली के  
जेब हो गयी लाल .
चुटकी भर हल्दी नहीं 
कैसे आये गुलाल .

तुम्हारे सपने हमेशा रंगीन हुआ करते हैं 
क्या हुआ इस बरस हलके हैं रंग होली के .

हमने सफ़र में एक सफ़र देखा .
घर के अन्दर भी एक घर देखा .
इरादों के झड गए सब पात मगर 
थके पांवों में सफ़र दर सफ़र देखा .

ये तेरा बेवजह मिलना 
वो मेरा बेवजह कहना -
किसी से प्यार हो शायद 
किसी को प्यार है शायद .

ख्वाब मिल जाएँ हसीं - कोई कामना ना हो 
या खुदा फिर कभी  सुबह से सामना ना हो .

यूँ ही होता रहा - बस 
आज और कल .
आज वो थी नहीं - और 
कल कभी मिली नहीं .

कोई मासूम सा चेहरा 
कोई खिलता सा गुलाब
क्या सादगी है यही - 
तेरा गहना लाजवाब . 

तेरे रुखसार पर ग़ज़ल कैसे लिखूं 
तिरछे नैनों की मार पर कैसे लिखूं . 
ये दहकते लबों अंगार पर कैसे लिखूं 
आग ही आग है फुहार पर कैसे लिखूं .

अपने मुंह से कहते नहीं लगते अच्छे 
बाकी सब झूठे बस तुम्ही एक सच्चे .
ये अभी बड़े नहीं हुए- पालने में पडे हैं 
ऐसे लोग होते हैं अभी बहूत छोटे बच्चे .

तू जा यार - और हमें जाने दे 
ना और यहाँ रुकने के बहाने दे .

ये जिन्दगी भी कौन सी सोना है
जो सोना हो तो भी इसे खोना है .
सूख जायेगी इक दिन पात जैसी 
क्या सुखाना इसे क्या भिगोना है .

कोई आएगा नहीं फिर भी इंतज़ार है 
कहीं करार नहीं दिल मेरा बेक़रार है .
हवाओं में ये कैसी आ रही है खुशबू
महकती बहार बस आने को तैयार है .

पतझरों से कहो रास्ता दे दें 
गाँव पनघट का वास्ता दे दें 
किसी का क्या बिगड़ा जाएगा 
जो प्यार का नया कायदा दे दें .

कोई फ़िक्र नहीं - की बेफिक्र हूँ 
फिर भी तेरे जवाब का मुंतजर हूँ 
जाने किस घडी में लगन लगी थी 
मैं भीगा भी नहीं - पर पूरा तर हूँ .

रोको मत - लोगो इसे जाने दो
ना इसरार ना कोई बहाने दो
धरती का क्या बिगड़ जाएगा 
अपना घर चाँद पर बनाने दो .
जहाँ हवा ना पानी है - प्यार की 
इन्हें कोई नयी फसल उगाने दो .

ना तदबीर काफी है 
ना इरादों में कोई दम है .

ना राहुकेतु है ना कोई यम है .
उनकी कुंडली में तो यार 
केवल हम ही हम हैं .






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