बात ऐसी कुछ नहीं बस यार
आंधियां फिरसे उदास हैं
आज लहरों में नहीं है दम
मछलियाँ सारी हताश हैं .
तीर पर क्या घूमने जाएँ
कश्तियाँ सारी निराश हैं .
कोई आये तो कहीं से दिल
टूटने को मेरी आस हैं .
सरकने से भी जो ना सरके
दहकने से भी नहीं दरके
वो नहीं पत्थर जो पास है
ढूँढने फिर जा रहा हूँ मैं
आज पर्वत की तलाश है .
आज पर्वत की तलाश है .
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