ये ईश्वर का देश है
नौ निध बारा सिद्ध
कव्वे तो मिल जायेंगे
नहीं मिलेंगे गिद्ध
सबके सब हैं देवता
नहीं जरा भी फर्क
सबके अपने स्वर्ग हैं
अपने अपने नर्क .
देश भले के नाम पर
निकले घर से लोग
गद्दी नहीं नसीब में
ना कोई ऐसा जोग .
पुरवैया के झोक से
पर्वत धक्के खाए .
चले भीड़ जो साथ में
वो ठाडो हो जाए .
ना आना इस देश में
लाडो अबकी बार .
सासरिये रह मौज से
दोनों पाँव पसार .
(इटली का सोनिया से अनुरोध)
देश हितों के नाम पर
करले प्यारे मौज .
गद्दी से हटते ससुर
लेंगे तुझ को खोज .
सस्ता इसे ना जानिये
इनका भारी रेट .
नेताजी का ना भरे
सागर जैसा पेट .
खंजर रखना जेब में
नयन कटारी धार .
कोई तुझको मार दे
तू - उससे पहले मार .
लूट लूट घर भर लिया
बचा ना एक छदाम .
बची लंगोटी खींचते
सत्ता के हज्जाम .
भौंक भौंक कर थक गए
सब सत्ता के चोर .
एक गया - दूजा ससुर
जाने कितने और .
एक टिकट दिलवा सखा
देश भक्ति है फर्ज .
सात पीढ़ी बेफिक्र हों
क्या फिर इसमें हर्ज़ .
बारह महीने और बरस चार
ये मियादी बुखार यार
चढ़ता नेता को एक बार
'मत' मतदे ना तू बार बार .
इंग्लिश नीति पढ़ गए
कौए सीढ़ी चढ़ गए .
असली स्वराजी कहीं
तस्वीरों में जड़ गए .
कौए सारे पढ़ गए
हंस रह गए टन्ट *
चुग चुग मोती खा गए
सत्ताधारी महंत .
(टन्ट = अनपढ़ / गंवार)
जिगरा मेरा देखिये
मिटा ना रावण राज
वोट डालने का फकत
सिंगल अपना काज .
जीतेगा कोई नहीं -
सभी गए हैं हार
चाहे अनशन बैठ ले -
चाहे ठानो रार .
रावण ज़िंदा है अभी - नहीं मरा है कंस
ये स्वदेसी राज अब लगने लगा कलंक .
रै बटेऊ सालभर में - और किन्ना खा लेगी
या खाऊ पिऊ सरकार तो अयाँ ही चालेगी .
(बटेऊ - दामाद , अयाँ - ऐसे ही )
चक्रव्यूह में फंस गए - ना अंदर ना बाहर
मोह बसा है पार्थ में - कैसे करे प्रहार .
थकके सबने रख दिए - अपने अपने तीर
वोटों से कब बदलती - भारत की तकदीर .
नौ निध बारा सिद्ध
कव्वे तो मिल जायेंगे
नहीं मिलेंगे गिद्ध
सबके सब हैं देवता
नहीं जरा भी फर्क
सबके अपने स्वर्ग हैं
अपने अपने नर्क .
देश भले के नाम पर
निकले घर से लोग
गद्दी नहीं नसीब में
ना कोई ऐसा जोग .
पुरवैया के झोक से
पर्वत धक्के खाए .
चले भीड़ जो साथ में
वो ठाडो हो जाए .
ना आना इस देश में
लाडो अबकी बार .
सासरिये रह मौज से
दोनों पाँव पसार .
(इटली का सोनिया से अनुरोध)
देश हितों के नाम पर
करले प्यारे मौज .
गद्दी से हटते ससुर
लेंगे तुझ को खोज .
सस्ता इसे ना जानिये
इनका भारी रेट .
नेताजी का ना भरे
सागर जैसा पेट .
खंजर रखना जेब में
नयन कटारी धार .
कोई तुझको मार दे
तू - उससे पहले मार .
लूट लूट घर भर लिया
बचा ना एक छदाम .
बची लंगोटी खींचते
सत्ता के हज्जाम .
भौंक भौंक कर थक गए
सब सत्ता के चोर .
एक गया - दूजा ससुर
जाने कितने और .
एक टिकट दिलवा सखा
देश भक्ति है फर्ज .
सात पीढ़ी बेफिक्र हों
क्या फिर इसमें हर्ज़ .
बारह महीने और बरस चार
ये मियादी बुखार यार
चढ़ता नेता को एक बार
'मत' मतदे ना तू बार बार .
इंग्लिश नीति पढ़ गए
कौए सीढ़ी चढ़ गए .
असली स्वराजी कहीं
तस्वीरों में जड़ गए .
कौए सारे पढ़ गए
हंस रह गए टन्ट *
चुग चुग मोती खा गए
सत्ताधारी महंत .
(टन्ट = अनपढ़ / गंवार)
जिगरा मेरा देखिये
मिटा ना रावण राज
वोट डालने का फकत
सिंगल अपना काज .
जीतेगा कोई नहीं -
सभी गए हैं हार
चाहे अनशन बैठ ले -
चाहे ठानो रार .
रावण ज़िंदा है अभी - नहीं मरा है कंस
ये स्वदेसी राज अब लगने लगा कलंक .
रै बटेऊ सालभर में - और किन्ना खा लेगी
या खाऊ पिऊ सरकार तो अयाँ ही चालेगी .
(बटेऊ - दामाद , अयाँ - ऐसे ही )
चक्रव्यूह में फंस गए - ना अंदर ना बाहर
मोह बसा है पार्थ में - कैसे करे प्रहार .
थकके सबने रख दिए - अपने अपने तीर
वोटों से कब बदलती - भारत की तकदीर .
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