क्यों करें उनसे शिकायत
ठीक है बस .
खूब है उनकी इनायत
ठीक है बस .
ठीक है बस .
खूब है उनकी इनायत
ठीक है बस .
हवा के पंख उड़ाते हैं
उम्मीदों को आस्मां में
और इरादे टकरा रहे हैं
पर्वत के सरों से .
करता तो है वही मगर
कोई इल्जाम नहीं है .
ज़िंदा को मारना ही -
क्या मौत को बचा
और कोई काम नहीं है .
अभी तू भी परेशाँ हैं
अभी तू भी परेशाँ हैं
अभी मैं भी परेशाँ हूँ
बचा फिर कौन बाकी
जब परेशानी परेशा है .
अभी ना वक्त आया है
ना ऐसा वक्त आएगा
हमीं सब सूरमा होंगे
वतन भारत कहायेगा .
ना आएगा यहाँ कोई
ना वापिस लौट पायेगा
बड़ा मोटा सा ताला है
लगा है गेट पर यारो .
मुसाफिर थे तो अच्छे थे .
झूकी झूकी सी जमीं
ये बुलंद ऊँचा आसमा
तू जहाँ हम वहां -
बिन तेरे हमने रहना कहाँ .
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
जो दिल के पास होते हैं
कभी टूटे नहीं ऐसी वो
अद्भूत आस होते हैं .
ना आएगा यहाँ कोई
ना वापिस लौट पायेगा
बड़ा मोटा सा ताला है
लगा है गेट पर यारो .
ना घर था - ना कोई अपना
ना बीवी थी ना बच्चे थे .
बसे हम क्यों यहाँ यारो .ना बीवी थी ना बच्चे थे .
मुसाफिर थे तो अच्छे थे .
झूकी झूकी सी जमीं
ये बुलंद ऊँचा आसमा
तू जहाँ हम वहां -
बिन तेरे हमने रहना कहाँ .
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं
जो दिल के पास होते हैं
कभी टूटे नहीं ऐसी वो
अद्भूत आस होते हैं .
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