खलिहान में बढे क्या चार दाने और
हाकिम ने खरीदे - हज़ार बारदाने और .
कोई मरता नहीं - किसी के साथ
जीने वाले के साथ जिया जाता है .
जाना है तो चले जाओ - हमें क्या
कोई करेगा इंतज़ार पर तुम्हें क्या .
यूँ तो बदली बरसती रही रात भर
अपने हिस्से का इक कतरा निकला
सूर्य की आवारगी तो जग जाहिर
चाँद निकला भी तो बेपर्दा निकला
दिन हुआ - शाम हुई
रात ढल गयी - कुछ
इस तरह से जिन्दगी
इक दिन और -
आगे निकल गयी .
चलते चलते जिन्दगी तमाम हुई
दिल कहता है सफ़र बाकी है मगर .
यात्रा थी जिन्दगी
जो पूरी हुई
दिनकी शाम तो हुई
पर अधूरी हुई .
जीत ही जाती लहरें यार
हौसला उनका कम नहीं था
एक कमजोर सी कश्ती थी
मगर तूफां में दम नहीं था .
बरसेंगी कब घटाएं -
कब होगा भीगा सा सावन .
इंतज़ार कब का बूढा हो चला
आखिर कब आएगा - वो
बिना तरस का एक बरस
कमाल का नाम है
मौत तू - कैसी ग़ज़ल -
कैसा कलाम है .
जो पढता है - वो
सुनता नहीं -
जिसने सूना वो रहता नहीं
बहूत सोचा यार - कह दूं
वर्ना सच मान -
मैं कहता नहीं .
हाकिम ने खरीदे - हज़ार बारदाने और .
कोई मरता नहीं - किसी के साथ
जीने वाले के साथ जिया जाता है .
जाना है तो चले जाओ - हमें क्या
कोई करेगा इंतज़ार पर तुम्हें क्या .
यूँ तो बदली बरसती रही रात भर
अपने हिस्से का इक कतरा निकला
सूर्य की आवारगी तो जग जाहिर
चाँद निकला भी तो बेपर्दा निकला
दिन हुआ - शाम हुई
रात ढल गयी - कुछ
इस तरह से जिन्दगी
इक दिन और -
आगे निकल गयी .
चलते चलते जिन्दगी तमाम हुई
दिल कहता है सफ़र बाकी है मगर .
यात्रा थी जिन्दगी
जो पूरी हुई
दिनकी शाम तो हुई
पर अधूरी हुई .
जीत ही जाती लहरें यार
हौसला उनका कम नहीं था
एक कमजोर सी कश्ती थी
मगर तूफां में दम नहीं था .
बरसेंगी कब घटाएं -
कब होगा भीगा सा सावन .
इंतज़ार कब का बूढा हो चला
आखिर कब आएगा - वो
बिना तरस का एक बरस
कमाल का नाम है
मौत तू - कैसी ग़ज़ल -
कैसा कलाम है .
जो पढता है - वो
सुनता नहीं -
जिसने सूना वो रहता नहीं
बहूत सोचा यार - कह दूं
वर्ना सच मान -
मैं कहता नहीं .
हमारे बीच कुछ नहीं कामन
बताओ यार निभेगी कैसे .
खुद से अच्छा कोई नहीं लगता
यार बन जाओ तुम मेरे जैसे .
बताओ यार निभेगी कैसे .
खुद से अच्छा कोई नहीं लगता
यार बन जाओ तुम मेरे जैसे .
जमीं से आसमान तक
इस जहाँ से उस जहाँ तक
न कोई हमसा मिलेगा -
यार ढूँढोगे कहाँ तक .
इस जहाँ से उस जहाँ तक
न कोई हमसा मिलेगा -
यार ढूँढोगे कहाँ तक .
मेरी आँखों में बस गया है कोई -
या खुदा आँखों में कोई ख्वाब ना हो .
दिल कहता है लाजवाब हूँ मैं - लेकिन
पूरे जहाँ में उनका भी कोई जवाब न हो .
या खुदा आँखों में कोई ख्वाब ना हो .
दिल कहता है लाजवाब हूँ मैं - लेकिन
पूरे जहाँ में उनका भी कोई जवाब न हो .
वो रात गयी ये सुबह नयी
होने दो अब कुछ बात नयी
मायूसी को मत आने दो -
दिल जो चाहे हो जाने दो .
होने दो अब कुछ बात नयी
मायूसी को मत आने दो -
दिल जो चाहे हो जाने दो .
अंजाम जो भी हो -
परवाह नहीं अब कोई
जुबान जो कह ना सकी
आँखों ने बात कह डाली .
परवाह नहीं अब कोई
जुबान जो कह ना सकी
आँखों ने बात कह डाली .
निगाहें फेरने को दिल नहीं करता
ये हटती ही नहीं उनके चेहरे से यार .
ये हटती ही नहीं उनके चेहरे से यार .
आज ज्यादा कुछ नहीं .
बस चंद शब्द कहने हैं .
मेरे भाव कहाँ जायेंगे
आपके ही दिल में रहने हैं .
रात गहराने लगी अब यार -
कभी फुर्सत में गुनगुना लेना
बस चंद शब्द कहने हैं .
मेरे भाव कहाँ जायेंगे
आपके ही दिल में रहने हैं .
रात गहराने लगी अब यार -
कभी फुर्सत में गुनगुना लेना
लोग रुकते हैं चले जाते हैं
ये मेरा दिल नहीं सराय है .
ये मेरा दिल नहीं सराय है .
बढ़ गयी तो फिर कम नहीं होंगी
बीच की दूरियां ख़तम नहीं होंगी .
बीच की दूरियां ख़तम नहीं होंगी .
बहारों के देश से आ गया है कोई
दिल की चाहते जगा गया है कोई
जिन्दगी फूल सी महकने लगी
मेरे आँखों में समां गया है कोई .
दिल की चाहते जगा गया है कोई
जिन्दगी फूल सी महकने लगी
मेरे आँखों में समां गया है कोई .
ना कोई चाह ना जिद थी बिछुड़ जाने की
ना जाने कैसे नज़र लग गयी जमाने की .
ना जाने कैसे नज़र लग गयी जमाने की .
कोई जाकर उन्हें बताये - वो
आये तो वो बहूत याद आये .
आये तो वो बहूत याद आये .
रस्मे-उल्फत जाने किस तरह निभाएंगे
वो चले गए तो हमें बहूत याद आयेंगे .
वो चले गए तो हमें बहूत याद आयेंगे .
चलते चलते जिन्दगी तमाम हुई
दिल कहता है पर सफ़र बाकी है .
दिल कहता है पर सफ़र बाकी है .
जाना है तो चले जाओ - हमें क्या
कोई करेगा इंतज़ार पर तुम्हें क्या .
कोई करेगा इंतज़ार पर तुम्हें क्या .
दिन हुआ - शाम हुई
रात ढल गयी - कुछ
इस तरह से जिन्दगी
आगे निकल गयी .
रात ढल गयी - कुछ
इस तरह से जिन्दगी
आगे निकल गयी .
कोई घर से परेशां हैं -
किसी को घर नहीं मिलता .
थका है कोई चल चलकर -
किसीको सफ़र नहीं मिलता .
थका है कोई चल चलकर -
किसीको सफ़र नहीं मिलता .
वो वापिस लौट आये - जो गए थे चाँद पर यारो
जमीं से सस्ता रहने को कहीं भी घर नहीं मिला .
जमीं से सस्ता रहने को कहीं भी घर नहीं मिला .
किसी को चाह बसने की उसको घर नहीं मिला
जिसे चलने की भूख थे - उसे सफ़र नहीं मिला .
बहूत से लोग टकरा गए थे यार रस्ते में
उम्र भर साथ देता वो हमसफ़र नहीं मिला .
जिसे चलने की भूख थे - उसे सफ़र नहीं मिला .
बहूत से लोग टकरा गए थे यार रस्ते में
उम्र भर साथ देता वो हमसफ़र नहीं मिला .
कितनी हसींन नींद थी -कितने हसींन ख्वाब
जाने किसी कमबख्त ने मुझको जगा दिया
मुद्दत से बंद थी - मेरी ऑंखें फिर एक रोज़
चुंधिया गयी - किसने इसे सूरज दिखा दिया .
जाने किसी कमबख्त ने मुझको जगा दिया
मुद्दत से बंद थी - मेरी ऑंखें फिर एक रोज़
चुंधिया गयी - किसने इसे सूरज दिखा दिया .
बहूत ढूंढा सपनों को ठिकाना नहीं मिला
कहीं आसपास गुजरा ज़माना नहीं मिला .
मुर्दा मिले सब लोग - जब हम ढूँढने लगे
जिन्दा सा कोई शख्स पुराना नहीं मिला .
कहीं आसपास गुजरा ज़माना नहीं मिला .
मुर्दा मिले सब लोग - जब हम ढूँढने लगे
जिन्दा सा कोई शख्स पुराना नहीं मिला .
सुबह होने की आस उनको है
जिन्होंने रात को जिया ही नहीं .
हयात भी चाहिए सबसे पहले
जहर जिसने कभी पीया ही नहीं .
जिन्होंने रात को जिया ही नहीं .
हयात भी चाहिए सबसे पहले
जहर जिसने कभी पीया ही नहीं .
भटकने से राह निकलेगी
उन्हें मिलेगी क्या जो
घर से निकले ही नहीं .
उन्हें मिलेगी क्या जो
घर से निकले ही नहीं .
बात जीने की ना हीं मरने की
ना हरबार टूटकर बिखरने की .
हरेक टूट में जुडी इक नयी गाँठ -
समेटूं तो डर है पोटली बिखरने की .
ना हरबार टूटकर बिखरने की .
हरेक टूट में जुडी इक नयी गाँठ -
समेटूं तो डर है पोटली बिखरने की .
खुदा खुद हैरान की दुनिया को बनाए कैसे
एक नारी बनायी - और दुनिया बन गयी .
एक नारी बनायी - और दुनिया बन गयी .
अटूट - बेजोड़ दीखता है वो भगवान् है
जो टूट कर बार बार जुड़े - वो इंसान है .
जो टूट कर बार बार जुड़े - वो इंसान है .
तेरे आने से कुल शहर में बहार आई है
हम गुलशन देखने ख्वामखां चले आये .
हम गुलशन देखने ख्वामखां चले आये .
आदाब हर बार किया है मैंने
नज़र उठने से पहले -
और नजर गिरने के बाद .
नज़र उठने से पहले -
और नजर गिरने के बाद .
रात चाहे उदास है लेकिन
किसी का इंतज़ार क्या करिए
वो कोई भी सही फर्क कैसा यार
पहलू में है बहार क्या करिए .
किसी का इंतज़ार क्या करिए
वो कोई भी सही फर्क कैसा यार
पहलू में है बहार क्या करिए .
समा गयी महक बनके मेरे साँसों में
मेरे वजूद से लिपटी हुई जो रहती है .
मुझसे यूँ दूर बहूत है लेकिन - जाने
क्यों खुद को मेरी ग़ज़ल कहती है .
मेरे वजूद से लिपटी हुई जो रहती है .
मुझसे यूँ दूर बहूत है लेकिन - जाने
क्यों खुद को मेरी ग़ज़ल कहती है .
एक खुरदरा नंगा सा सच
एक हसींन दिलकश सा झूठ
ये झूठ - ना जाने क्यों यार
मुझको सच से हसीं लगता है .
एक हसींन दिलकश सा झूठ
ये झूठ - ना जाने क्यों यार
मुझको सच से हसीं लगता है .
कहाँ उसका जहाँ कहाँ मेरा जहाँ
कौन जाने वो कब चली आई यहाँ.
धीमी धीमी सी - महक आती है
नहीं मालूम वो रहती है जाने कहाँ .
कौन जाने वो कब चली आई यहाँ.
धीमी धीमी सी - महक आती है
नहीं मालूम वो रहती है जाने कहाँ .
रात गहरानी थी -
गहरा ही गयी .
सपनों में आने की
गुज़ारिश की किसी ने
नींद को तो आना ही था
आखिर आ ही गयी
गहरा ही गयी .
सपनों में आने की
गुज़ारिश की किसी ने
नींद को तो आना ही था
आखिर आ ही गयी
मेरी खामोशियों को मेरी आँखों में एक बार पढो तो सही .
पत्थर हूँ बोलूँगा जरुर - पहले मुझे बुतसा गढ़ों तो सही .
पत्थर हूँ बोलूँगा जरुर - पहले मुझे बुतसा गढ़ों तो सही .
रहम अब कौन करेगा हम पर
जब हम खुद को खुदा कहते हैं .
जब हम खुद को खुदा कहते हैं .
अभी ना जाओ की रात अभी बाकी है
मेरे उलझे हुए हालात अभी बाकी हैं
उजालों में ना कह पाए कभी तुमसे
बयां होने को जज्बात अभी बाकी हैं .
मेरे उलझे हुए हालात अभी बाकी हैं
उजालों में ना कह पाए कभी तुमसे
बयां होने को जज्बात अभी बाकी हैं .
कुछ ख्याल बड़े जिद्दी अजीब होते हैं
तब भी नहीं जाते जब वो करीब होते हैं .
तब भी नहीं जाते जब वो करीब होते हैं .
कदम से कदम मिला - साथ साथ चले
मिले कभी नहीं - रेल की पटरी की तरह .
मिले कभी नहीं - रेल की पटरी की तरह .
निरापद थे तो क्या - कौशिश तो की चलने की
रहगुज़र - मंजिल की तलाश कभी रही ही नहीं .
रहगुज़र - मंजिल की तलाश कभी रही ही नहीं .
,न कहते हुए बहुत कुछ कह गए .आप भी मेरे ब्लोग्स का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
ReplyDeletelatest postअहम् का गुलाम (भाग तीन )
latest postमहाशिव रात्रि
बहुत सुंदर क्षनिकाएं महोदय,
ReplyDeleteसाभार......