Popular Posts

Saturday, March 16, 2013

क्षणिकाएँ

निरापद थे तो क्या - कौशिश तो की चलने की 
रहगुज़र - मंजिल की तलाश कभी रही ही नहीं .

लगे जो आग समंदर मे -
आज पानी की प्यास किसको है .
तूफां से खेलने का शौक रखते हैं 
कश्तियों की तलाश किसको है .

उम्मीदें अपनी चाँद पर पहुंचे 
दुआएं अपने मुकाम पर पहुंचें 
फरियादें - हुक्काम तक पहुंचे 
चलो हम भी अंजाम तक पहुंचे .

मेरे लिखने से कुछ नहीं होता 
तेरे गाने से कुछ नहीं होता .
अंधेरो का तिलिस्म कायम है -
दीये जलाने से कुछ नहीं होता .

बात मरने की रोज़ करता हूँ 
और हर रोज जिए जाता हूँ .

वाह क्या सीन होगा यारो - जो 
मौत आये तो बड़े शौक से मिले 
ना जान पाऊं तो तुम बता देना 
जिन्दगी मौत से मिले रही हो गले .

मरने से डर नहीं लगता मुझे 
अमर सुहाग लिए फिरता हूँ .
जिसे छूने से आग लग जाए 
मैं वही आग लिए फिरता हूँ .

तेरे ख्यालों में हम 
जब भी नजर आयेंगे .
तेरी आँखों में नमी होगी - 
हम तारों से झिलमिलायेंगे .

मैं हकीकत हूँ कोई ख्वाब नहीं 
जरुरी तो नहीं की रातों में मिलो .

मैं भूल जाता हूँ - 
कोई नहीं आएगा - 
और फिर से किसी का 
इंतज़ार करता हूँ .

अकेले ही अपनी तो गुजरी यारो 
एक दिन - अकेले ही चले जायेंगे .

ढून्ढ के थक गया हूँ - 
उम्र भर रहा तनहा 
जहाँ में कोई तो होगा 
मेरे बिना तनहा .


कुछ इस तरह से
दिल को लुटाया गया 
एक पुण्य की खातिर यार
कितना पाप कमाया गया .

भण्डार हैं भरे बहूत - जो लोग थे गरीब 
मैं कौन सा अमीर हूँ - फिर भी फ़कीर हूँ .

सुंदर नहीं कोई - सभी में हैं कई कमी 
बस एक बार आईना - तुम देख लेना यार .

कहने को कुछ नहीं है भला क्या बयाँ करें 
गन्दा गलीज़ भूल कर चल कुछ नया करें .

कुछ लोग तो मिले - हमे इस भीड़ में यारो
इंसान सा दिखे - मगर वो शख्स ना मिला .

बेकायदा से हो गए - सब कायदे से यार 
चल कायदा लिखें नया कुछ कायदे से हम ।

हम खो चले हैं यार इन रिश्तों की भीड़ में 
रिश्ता कोई जो जान से प्यार - नहीं मिला .

कोई यहाँ - कोई वहां - कोई कहाँ तनहा 
यहाँ भीड़ में भी हर शख्स मिला तनहा .

यूँ लोग तो मिले बड़े 
दिल खोलकर हमें .
हैरत की बात - कोई 
बड़े दिलवाला नहीं मिला .

आओ वोट वोट खेलें -
खेल खेल में - यार 
तथाकथित शुक्नियों से 
वापिस - अपना 
'महाभारत' ले लें .

अब खासो-आमसे डर नहीं लगता
हुकूमत तमाम से डर नहीं लगता .
फिर भी पत्ते सा कांपता हूँ जाने क्यों .
तेरे गुस्से सलाम से डर नहीं लगता .


अन्ना आया - 
और गया - पर 
हुकूमत से ना हुआ प्यार .
ऐ भाई केजरीवाल जी - 
तुम भी अपना खोमचा 
आगे बढाओ ना यार .







1 comment:

  1. जीवनदर्शन से रची
    सार्थक रचना महोदय...
    साभार ...

    ReplyDelete