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Monday, January 28, 2013

क्षणिकाएं

क्या आरजू करूँ 
की कोई आरजू नहीं 
मुद्दत से सोचता हूँ 
क्या मांगूं ख़ुदा से मैं .

कितनी हसींन दिलरुबा 
कितना हसींन ख्वाब .
खुद़ा की कसम - यार 
मुझे झिंझोड़ना नहीं .

तन्हाईयाँ भली लगी 
ना भीड़ आई रास .
बस आम ही रहा - किसी का 
बन ना सका ख़ास .

अब कोई शिकायत रही न कोई गिले 
मुरझा गयी है आह - जबसे तुम मिले .
फुर्सत में पढेंगे कभी दर्द का मिजाज 
दर्द अब वो ना रहा - की जबसे तुम मिले .

जो मेरे दिल में इंतज़ार है शायद 
तेरे दिल में वो इंतज़ार है की नहीं . 
मेरे दिल में जो ढका छिपा सा है 
वो तेरे दिल में प्यार है की नहीं .

मुश्किल से तसल्ली मिली दिल को यार 
मेरी तन्हाइयों में चुपके से ना आये कोई .
सो गया हूँ - नींद में गाफिल हूँ बहूत 
तेरे ख़्वाबों से मुझे अब ना जगाये कोई .

फिर से लडेगा सिंह - पूजा पाठ छोड़ कर 
खरगोश कबूतर नहीं - हमें अब बाज़ चाहिए .

क्या एक शक्श भी नहीं है करोड़ों के देश में 
सीने की आग - जिसकी अभी तक बुझी नहीं .
खोये ना जिसने हौसले - जिन्दा हो आज भी 
जो अब भी चीखता है - मुझे स्वराज चाहिए .

शहीदों के रक्त से जलता जो आज भी 
ये दीप ना बुझे कभी - ये दीप अमर है .

बच्चे हैं मान जायेंगे - बहला इन्हें जरा 
सत्ता की टाफियां दिलाकर तो देखिये .

जब बात शहीदी की है तो पूछ लो इनसे
नासूर कौन सा है जो अब तक ना भरा है . 
जिन्दा है पार्टी - सभी तो लोग जिन्दा है 
कुनबा है जिन्दा - यार इनका कौन मरा है .

आसान नहीं है बदलना मुल्क की तकदीर 
बस हौसले के साथ टकरा कर तो देखिये .

आज़ाद हिन्द है - सदा आज़ाद रहेगा 
जो हिन्द पर मिटे उन्हें तुम भूलना नहीं . 

कैसे मनाये जश्ने आजादी हमें बता
गुलामी गयी मगर गुलाम जिन्दा हैं .

हम बेईमान हैं नहीं - सब लोग गलत हैं 
थोडा सा भाग बस हमे इनाम में मिला  .

है मेरी दुनिया और कहीं तेरी दुनिया और 
तुम जैसा ना मिला - हम जैसे कितने और

जो बढ़ गए कदम - तो ना मुडके देखिये
जब पाँव जमी पर - तो कीचड़ ना देखिये .

बातें बहूत करी - बड़े 
इसरार से मिले - जब 
उनका दिल किया - वो 
बड़े प्यार से मिले .

दुनिया बदल गयी जरा सा तू भी बदल जा 
मायूसियाँ - को छोड़ थोडा हंस लिया करो .

बदनाम तो हुवे चलो हुआ कुछ नाम दोस्तों 
ऐसा हुआ कुछ मेरे इश्क का अंजाम दोस्तों .



मकसद नहीं , मंजिल नहीं - कारवां नहीं 
ना फ़िक्र रिहाई सजा - कोई बयाँ नहीं .

मंजिले बोते तो बनता कारवां कोई 
तुम्हें फ़िक्र नहीं और मैं भी बेसबब .

मुझसे आगे चलो - या पीछे यार 
गर साथ साथ चलना गवारा नहीं .
तुम्हारी कह नहीं सकता कुछ पर 
हमें तुमसे ज्यादा कोई प्यारा नहीं 

किसी ने लिख दिया मैंने पढ़ा है 
की उसका अर्थ खुद मैंने गढ़ा है 
कभी जब भूल जाओ याद करना 
वो सवाल आज भी वैसे खड़ा है .

तारिक - निहारिका - मिरासी ना कोई भांड 
यहाँ पर घूमते हैं लोग कोई जैसे छुट्टे सांड .
ना रार ना तकरार ना क्रिकेट ना फ़िल्मी गान 
फकीरों के महूल्ले में कहाँ फिर आ गया हूँ मैं .

हरी का सिमरन छोड मन तू राधे राधे बोल . 
मनमोहन बकवास है सोनिया जी अनमोल .

सोनिया वाणी मन बसा - कहें वचन अनमोल .
मनमोहन का क्या ससुर - जैसे फूटा ढोल . 

जवाँ बुढापा देखिये - चले ना गाँधीवंश  
बिगड़ेगा ये और क्या पहले ही अपभ्रंश . 


खोल कर सीना निकल   
सुन उनके ताने अब नहीं 
मत करो हस्ताक्षर -
ये हुक्मनामे अब नहीं .

चलो फिर से लिखें - आगाज़ 
ये अंजाम माफिक नहीं आया .

जियोंतो ऐसे जियो जैसे जिया जाताहै वर्ना 
रहमकी चौखटो को तेरा इंतजार आजभी है .

गुज़रे हालातों में बड़े दम थे 
गम तब भी हुआ करते थे 
पर तब कोई दूसरा नहीं था 
यार हम ही हम थे .

सर पे आस्मां ना पांवों के नीचे जमीं - 
बड़ी कशमकश है - मैं कहीं हूँ के नहीं .

हमने बदल डाले मगरूर वक्त के मिजाज 
लोग सही वक्त का घर में इंतज़ार करते रहे .

रोने वाले के आंसू पूछता नहीं कोई 
हंसने वालों से लाखों सवाल पूछेंगे .

अजब ढंग की है तहजीब इस शहर की यार 
हंसी की बात करते हैं - और हंसने नहीं देते .

दोस्ती का मतलब नहीं जानते 
उन्हें हम प्यार जतलाने चले थे .

जो ढूँढता तो खुदा मिल जाता - 
अब तुझे ढूँढने बता जाऊं कहाँ .

प्यार बंधन नहीं - है आजादी 
यार इश्क में बेड़ियाँ नहीं होती .

दिल लगाना ग़ज़ल नहीं होती 
दिल से लगाना भी ग़ज़ल होती है .
अश्क बहाना - ग़ज़ल नहीं यारो 
रोते को हँसाना भी ग़ज़ल होती है .

अँधेरे में रौशनी दिखाए वो प्यार है 
भटके को राह पर लाये वो प्यार है .
रोक ले बढ़ते क़दमों को - जो यार 
वो प्यार नहीं लोक व्यवहार है .

थोडा सा संतोष रख 
थोडा सा विश्वाश 
जितना ज्यादा दूर जो 
उतना आये पास .

था इन्कलाब लंगड़ा -
किससे कहें कहानी .
कच्चे थे रंग - धानी 
लो मिट गयी निशानी .

ना कल ही बुरा था -
ना आज कुछ कमी हैं -
जीतें हैं - इसी पल में 
कल की फ़िक्र नहीं है .

कुदरत ने ना रखा कुछ 
सब बांटती है - साझा 
कर्तव्य पूरे कर तू -
अधिकार मांग आधा .

सब बट गइ धरा फिर
अम्बर खिंची लकीरें 
चल चाँद पर चले अब 
लें बाँट - आधा आधा .

जवाँ बुढापा देखिये - चले ना गाँधीवंश 
बिगड़ेगा अब और क्या पहले ही अपभ्रंश .

सौतन बन गयी फेस बुक 
मैडम करती हूट - 
उसका बस चल जाए तो - 
करदे हमको शूट .

अवाम की चीखों पुकारे आ रही हैं 
सुना है उनके किले में -
बड़ी बड़ी - दरारें आ रही हैं . 
जाने की आहटें होने लगी हैं 
पतझर की - सुना है चलके 
नंगे पाँव अब बहारे आ रही हैं .

ना ईद ही है पास 
दिवाली ना त्यौहार .
ये फूलझड़ियाँ अनार 
कहाँ छुट रहें है यार .

जाना है दूर देश -यार सबको छोड़कर 
जो बंध गए यहाँ - फिर जाना नहीं होगा .

इस जिन्दगी से मोह जाने कब ख़तम होगा 
हर पल लुभाए जा रही है जिन्दगी मुझको .

'मत' को मत निकाल - छुपा कर
अभी यार अपने खीसे में डाल 
वर्ना रहेगा जिन्दगी भर मलाल - 
ईद आई भी और बकरा नहीं हुआ हलाल .

मकान तो बन जाते हैं - पर 
घर बड़ी मुश्किल से बनते हैं .

मौत मिल जाए ना कहीं रस्ते में 
इस फ़िक्र में ना कहीं मर जाऊं .
जिन्दगी मकसद है मेरी मंजिल भी 
तू ही बता - तुझे ढूँढने किधर जाऊं .







Sunday, January 27, 2013

अब ये दिल नहीं लगता

आ लौट चले - फिर से 
गाँव के मकान में .
शहरों के जंगलों में 
अब ये दिल नहीं लगता .

जितना भी जी लिए -
वो बेकार ही गया .
खेली तो सभी बाजियां 
मैं हार ही गया .

दुनिया जहांन - चाहिए 
ना की तेरी आरजू 
ना सनम ही मिला 
ना भगवान ही मिला

उग आई घास - अब तो 
मेरी छत पर यारो .
वीरान से मकान में 
अब दिल नहीं लगता .

Tuesday, January 22, 2013

एक बार तुमसे मिलेंगे जरुर

तबस्सुम की नजाकत सी 
गुलों के रंग - बहारों का सरुर - 
जिन्दगी ने मौका दिया - तो 
एक बार तुमसे मिलेंगे जरुर .

यूँ दूर दूर हैं - जैसे जमीं आस्मां 
की तुम कहाँ - हम कहाँ .
मिलेगी कहीं तो क्षितिज की -
क्षीण सी रेखा - है जहाँ 
चाँद सितारों का जहाँ - कभी 
यकीं रख हम तुमसे मिलेंगे वहां .

तुम चले आओ

आज की बात शायद - 
कल नहीं रहेगी .
जज्बात की ये धार - कुंद हो गयी 
तो फिर कुछ नहीं कहेगी . 

शाम ढलने को - 
चिराग जलने को हैं .
रात की गस्त पर - बस 
चाँद निकलने को है .

हों मुश्किल भरे हालात
तो कोई बात नहीं .
सितारों से करलो बात -
तुम चले आओ .

तार्किक - अतार्किक

तार्किक - अतार्किक में 
गर ना उलझें तो सच -
कोई भेद नहीं - सब 
एकसार दीखते हैं .

रंग- भेद , जन्म भेद 
अभेद में फिर भेद 
क्या फर्क है - सारे 
झंडे तो एकसे दिखते हैं .

नारों से अ- नारों से
चंगे और बीमारों से
दुविधा से घबराते
सुविधा के मारो से -
एक् सी कतारों से
पास और दूर से सब
एक से दीखते हैं .

कतरे में समन्दर -
बादल में बूँद - यार
सूंघ ही लेते हैं - इनकी
बहूत लम्बी है सूंड .

हमसफ़र है तो - मेरे साथ चले

हमसफ़र है तो - 
मेरे साथ चले .
हाथ में हाथ हो - 
और बात चले .

पहुँच ही जायेंगे 
मंजिल - जुदा ही सही 
ना मिले यार - तो 
खुदा ही सही .

रहम अपने पे -
खा नहीं सकता .
चाहता हूँ - मगर
बुला नहीं सकता .

भटकना - गर यही
तकदीर मेरी -
मंजिल है सामने -
पा नहीं सकता .

तेरे मेरे जज्बात -
अब सुनाने क्या .
अब नए क्या -
यार पुराने क्या .

कठपुतलियों के दौर

कठपुतलियों के दौर - थी डोर किसी हाथ 
रंगमंच के किरदार को क्या क्या बना दिया . 

ये जिन्दगी बेज़ार यारो इस कदर रही  
यूँ वक्त से पहले हमें बुढा बना दिया .

मजबूरियों के दौर - में जब एक ना चली 
रांझा बना दिया - कभी मजनू बना दिया .

अब बस भी करो मान लिया तू ही खुदा है 
इंसान ना बन सका - उसे नेता बना दिया .

कुछ हेरफेर में तेरा क्या बिगड़ जाता यार
भारत को अच्छा ख़ासा इंडिया बना दिया .

Wednesday, January 16, 2013

क्षणिकाएँ

तू दिल के पास है फिर भी 
मैं तुझसे दूर आखिर क्यों .
सभी हम जानते फिर -  
क्यों तुझे भगवान् कहते हैं .

बड़ी मुश्किल से मिलते हैं 
जो दिल के पास हों इतने 
घडी भर को जुदा होना - 
जिन्हें दुश्वार हो जाए .

जुबाँ से कह नहीं सकता 
मगर चुप रह नहीं सकता 
कोई कुछ गलत ना समझे 
हमें जो प्यार हो जाए .

कुछ पात नए आये - कुछ पात झड गए 
ये नश्वर जिन्दगी है - वे सिद्ध कर गए .

तय तो यही था - 
आप मिल जाओगे 
एक दिन .
उस एक दिन की -
कबसे - इंतज़ार 
है मुझको .

हँसना नहीं भूला कभी 
हँसता हूँ आज भी .
कुछ अपनी - नादानी 
मुझे रोने नहीं देती .

है कुछ भी नहीं पास 
फिर भी मालामाल हूँ 
कुछ दोस्तों के वास्ते 
जिन्दा सवाल हूँ .

मरना नहीं मुझे - अभी 
जीना है चंद रोज़ .
आरजू के कट गए - दिन 
इंतज़ार बाकी है .

सदियों तलक गूंजेगी हंसी - कायनात में
जब मैं नहीं रहूँगा - यार सुन लिया करना .

तुझसे वादा था - मैं आज भी हंस लेता हूँ 
ये अलग बात है आँखों में नमी है लेकिन .

महूब्ब्त हो नहीं सकती ये तू जाने - खुदा जाने 
हकीकत में नहीं होगी - जिसे मुमताज कहते हैं .

की कोशिशें बहूत मगर - निकला ना कोई हल 
संसद में टलते कोड बिल बस आज नहीं कल .

क्या शहर गाँव - बिल्डिंगें उग आई खेत में 
कौशिश थी बहूत - तेल निकला ना रेत में .

ना हिन्द ही मिला ना हिन्दोस्तान का पता 
इंडिया में भारत ढूँढता रहता हूँ आजकल .

रात अपने निशाँन छोड़ गयी 
सपनों के वितान छोड़ गयी .
मेहमा थी चली गयी कब की - 
एक खाली मकान छोड़ गयी .

महुब्बत की जो दिल में क्षीण सी रेखा है 
आज आ जाओ यार कल किसने देखा है .

पहले कहीं - ख़्वाबों में मुलाकात हो 
इससे पहले की आपसे रूबरू बात हो .

आग ही आग है - दामन को बचाऊं कैसे 
पर्दानशी हूँ मैं - सबके सामने आऊं कैसे .

बुरों में से - जरा सा अच्छा चुनना 
यार क्या इसी को चुनाव कहते हैं .

जो ढूँढता सहीमें - खुदा मिल गया होता 
उम्र भर ढूँढने से भी एक इंसान ना मिला .

बात मैं उनकी नहीं करता यार 
जिनकी नज़रों में प्यार कुछ भी नहीं . 
जाने क्यों वो रूठ गया है फिर भी 
मेरे मन में तो यार कुछ भी नहीं .

जिन्दगी तो सुबह शाम - आठों पहर 
फिर मौत का वक्त कौन सा है यार .

कौन है वो जो तुझे ख़्वाबों से जगा देता है 
माफ़ कर देना - कमसे कम मैं वो तो नहीं .

छुपा के रखा उसे हमने ऐसी जगह पर यार  
जहाँ से धुप भी खिड़की से झाँक सकती है .

आज फिर टूटने से बचा हूँ मैं 
किसी ने फिर से मुझको - 
खुदा के हवाले छोड़ दिया .

सजी है मंडियां दिलों की - सेल है यारो 
फिर भी टिकाऊ सा दिल नहीं मिलता .

किसी ने कहा - की तुम 
एक खुबसूरत अहसास हो .
बहूत दूर हूँ मैं तुमसे - फिर भी 
यहीं कहीं हो मेरे - 
दिल के बहूत पास हो .

यथार्थ की तेज़ धुप में -
चाहे कितने भी पाँव जलते हैं .
सच कोई छलावा नहीं है दोस्त 
ख्वाब कितने भी रंगी हों - 
पर सपने तो बस छलते हैं .

आज से सोच लिया है यारो -
यूँहीं चुपचाप रहना अच्छा है 
किसी से क्या कहें - कहें ना कहें 
सभी का मौन हमको तो अखरता है .

अपनी कश्ती संभाल कर रखना 
कौन जाने जलजला इधर आये 
वैसे पतवार - भी बेकार खरीदी हैं 
ना जाने उखडकर किधर जाए .

सुलह की बात वही करते हैं 
हिन्हें हम खेलने बुलाते हैं .
वो दुश्मनी से बाज आते नहीं 
और हम दोस्ती में मरे जाते हैं .

अंधेरों की चाहतें ना जाने और कितना लूटेगीं  . 
सब्र रख कहीं तो कोई उजाले की किरण फूटेगी .

मेरे पल पल की खबर रखने वालो 
अपने एक पल की खबर है तुमको .

आज कुछ और बात है शायद 
आज कुछ और लोग आयें हैं . 
उन्घते रहते थे ऐसे - लोगों को 
जाने कुछ लोग - जगा आयें हैं .

बड़े बदले बदले से लग रहे हो तुम 
हम भी कौशिश में हैं की बदल जाएँ .

आज जो चीखती कराहती हैं - बड़ी 
चुप थी कभी मेरी तन्हाईयाँ लेकिन .