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Thursday, August 30, 2012

हम साकार तू निराकार

हम साकार तू निराकार 
बस हमारा तू ही आधार .
इतने सारे याचक - हम 
और तू अकेला साहूकार .

सभी को दे झोलियाँ भर
अपनी कृपा - स्नेह 
तेरे हाथ हजारों - हजार .
ना चाहे कोई ब्याज बट्टा
बस केवल प्रेम और आभार .

नहीं कोई तुझसा दूजा
तू लीलाधारी - देखें हम
तेरी लीला अपरम्पार .

ये पीले काले - गुलाबी चेहरे

ये पीले काले - गुलाबी चेहरे
इन्कलाब हाथ लिए चल रहे है 
हुक्काम तो खुश नहीं - पर 
हम भी क्यों भुन जल रहें हैं .

याद कर सेतु सागर पे अकेले 
राम जी ने नहीं बनाया था - 
गिलहरी का अल्प सहयोग भी 
उसमे बहूत काम आया था. 

चलने दे हवा को जैसे भी चले -
लहरों को तनिक ऊँचा तो उठाने दे .
एक दिन चाँद ज्वारभाटा साथ लाएगा
फिर इन्हीं लहरों से तुफां का
एक नया आगाज़ लिखा जाएगा .

क्षणिकाएं

कोशिशें कौशिश करती रह गयी -पर 
नींद ना आनी थी - ना आई रात भर .


कितनी नावों में कितनी बात
पर नहीं पहुंचे कभी उसपार .
कुव्वतें चुक गयी - थक गया हूँ 
छोडो भी अब जाने दो यार . 


रहने दो तुमसे ये ना होगा - यार 
प्यार हरेक के नसीब में नहीं होता .


ये तय है सुबह को होना भी है -
दिल ना चाहे - पर सोना भी है .
कोई ख्वाब में करता है मेरा इंतज़ार
तुम डटे रहो पर हम तो चले यार .


जाने क्यों तिल का ताड़ बना देती है 
दुनिया - आम को झाड बना देती है
बात यूँ कुछ भी नहीं फिर भी यार - 
अदना आदमीको पहाड़ बना देती है .


बहूत पी - मदहोश हो गए - 
चलो अब होश की बात करें .
देखो दुश्मन भी अकेला है -
मिलें - चलकर दो दो हाथ करे .


फिर किसी रोज - कभी 
अभी फुर्सत में नहीं हूँ यार 
कितने से दिन और बचे हैं 
अब ये संडे आने में यार .


दिल में था जोश - पर हाथों से
उठाया ना गया - डगमगाये थे
कदम - एक डग भी उठाया ना गया 
छुपाते सभी - हमसे छुपाया ना गया .


बहूत इतरा नहीं - ऐ मौत 
मैं अभी तलक जिन्दा हूँ .
क्या हुआ जो इस जिन्दगी 
पर सच में बहूत शर्मिंदा हूँ .


उनकी सौहबत में यार 
हमने जीना सीख लिया 
मरना मुल्तवी है अब - 
दर्दे दिल पीना सीख लिया .


दिल बहूत उदास है - आज 
फिर कोई गीत गुनगुनाओ ना .
कहीं अब सुकून नहीं मिलता -
तुम कोई रास्ता बताओ ना .
अकेले कब से यहाँ बैठे हैं - 
हमारे पास चले आओ ना .


दौड़ अंधी थी - ना जाने 
कहाँ तक पहुंचे .
जिन्दगी पीछे रह गयी - 
वे जहाँ तक पंहुचे .


जीवन अनंत है - पर इस देह का अंत है 
आत्मा से प्रेम करे वही तो सिद्ध संत है .


मुझे गर्व है - मैं हिन्दू हूँ 
मुझे गर्व है - मैं मुसलमान हूँ .
मुझे तलाश है अपनी यार -
मैं तो इंसान हूँ - इनमे
आखिर मैं कहाँ हूँ .


तू हंसने की बात मत कर -यार 
यहाँ पर मुस्कुराना भी मना है .


जीवन प्रेम का ही प्रसार 
प्रेम कर - मोह नहीं यार .


आत्मा अमर - पर देह का अंत है 
फ़िक्र फिर कैसी - जीवन अनंत है .


एक फूल के मुरझाने से 
उपवन होता नहीं बाँझ है .
पुष्प एक मुरझाया है पर 
ये जीवन की नहीं सांझ है .


आने वाले को दे स्नेह बहूत सा प्यार 
जाने वाले को सस्नेह विदा कर यार .


नया कुछ नहीं - सब पुरानी है 
एक भूली नज्म तुम्हें सुनानी है .
वो लम्हें वो दबा छिपा सा प्यार 
याद आजाए तो दाद दे देना यार .



अश्क आँखों में उमड़ते हैं मगर -


नजर बचाके जमाने से छुपा लेता हूँ



कभी अन्ना की टोपी , 

कभी बाबा - की दाढ़ी 

और अब एक नए रंग - 

अलग किस्म की खादी 

इन्हें भी देख - अजमा लो .

चन्द कदम क्रांति के रथ को

थोडा ही सही - और

आगे बढवा लो .


शाम ढल रही है - चलो अब घर को चलें 
क्या फर्क - तन्हाईयाँ यहाँ भी हैं - वहां भी . 

खोलने दो अब तो यार - सांस घुटने लगी है 
पेट पे बाँधी हुई ये बेल्ट अब चुभने लगी है .
मैं इस जिस्म से परेशां हूँ मेरे सरकार 
कमीनी भूख - फिरसे उगने लगी है .

अँधेरा फैला रहा आकाश में 
धुंद छाई भरी बरसात में .
खुद को मेरे पैरोकार कहते हैं 
सज़ा हो जाती - बात बात में .

सब्ज पातों पे नज़र डालूँ क्या 
चमन से कोई गुल चुरा लूं क्या .
हकीकत में न सही खवाबों में 
इजाजत दें - मैं मुस्कुरालूँ क्या .

बंधा नहीं हूँ नावों से -
चिंतित नहीं प्रभावों से .
पार पहूंचना है - मुझको 
खे चल नौका - बाहों से .

किसी का दिल जिन्दगी के अहसास से ना खाली हो 
यहाँ एक दिन नहीं यार - बल्कि हर रोज़ दिवाली हो .

अँधेरा बहूत है - 
एक दिन की दिवाली भी 
कितना उजास करेगी .
मन में छाई मुर्दनी में आखिर
कितना जिन्दगी का अहसास भरेगी .

तू मुझे बाँध मत - खुलके बिखर जाने दे 
खिड़कियाँ खोल दे - थोड़ी सी हवा आने दे .

फिर माँगना मेरी खताओं का हिसाब 
पहले अपने गुनाहों से तो तौबा करले .

कब तलक लोगे रौशनी उधार
क्या जब तलक चलेगा संसार ?
माना की जमाने में दीया - रौशनी का 
सरताज नहीं होता - पर अँधेरे घर में
दीया ही उजास देता है - यार वो किसी 
सूरज - चाँद का मौह्ताज़ नहीं होता .

कहीं से भटकता सा शक्श आ गया कोई 
अनाम कब्र पर फिर दीया जला गया कोई .

कभी बरसों बरस पुराने थे सिले जिनसे 
बड़ी तहजीब - बड़े कायदे से मिले हमसे .

रूह पा जायेगी एक दिन - चाहोगे जिसे 
जिस्म की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं होती .

कोई निशाँ नहीं - जहाँ में बेनिशाँ से रहे 
कोई निशाना यार ठीक से लगा ही नहीं .

मुझे अब किसी की तलाश नहीं - 
हैं कोई जिसको तलाश हो मेरी .

मौज ने डूबने नहीं दिया
पास में ही तो किनारे थे .
दिल चलें आज उसी कूंचे में 
जहां हम दिलकी बाज़ी हारे थे .

मन सुकूँ पा ना सका -यार 
समझाना मेरा बेकार गया .
जिसे था जीतना वही जीता
मैं तो हरेक बाजी हार गया .


रिसते हुए नासूर 
तेरी याद के सनम  
भरने से पहले 
फिरसे कुरेद लेता हूँ  .


















Wednesday, August 29, 2012

टूट जाते हैं सितारे

टूट जाते हैं सितारे - पर 
सबको पता नहीं चलता .
जमीं को खबर नहीं होती 
आस्मां का दम नहीं निकलता .

सूरज वैसे ही उगता है - 

सुबह को रोज पश्चिम में जाके है ढलता .
वैसे ही हम - वैसी ही गति जीवन की -
सच में यार कुछ भी तो नहीं बदलता .

दुनिया - अजीब है यारो
किसी एक के जाने के बाद
कोई किसी का काम - नहीं 

रुकता नहीं टलता . 

Monday, August 20, 2012

मना है .

गीते-आज़ादी तो मैंने लिख दिया पर 
आम पब्लिक में इसे गाना मना है .

चाँद सुन्दर है - बहूत ये बात सच है
इसे रसगुल्ला समझ खाना मना है .

आज तूफां का निमंत्रण है मुझे भी 
पर अकेले तीर पर जाना मना है .

शोखियाँ - इकरार बातें छोडिये जी
ये ग़ज़ल उनपर हमें गाना मना है . 

घुमड़ कर बादल -बरसने को खड़े हैं 
शहर में बरसात - बरसाना मना है .

एक कमसिन सी नाजुक कलि तुम 
मेरे ख़्वाबों में तेरा आना मना है . 

बात मानो तो बता दूं बात तुमको 
मेरे गीतों को गुनगुनाना मना है .

वो अकेले ही लड़ेंगे - जंग सबकी 
उनकी सभा में 'बाबा' का जाना मना है .

रंग सारे मिल गए काली अमा में 
लाल रंग होली पे लगाना  मना है .

मार खाकर तुम बहूत चुपचाप से हो
हौसले के साथ सत्ता से इतराना मना है .

आना जाना अब कहीं भी बंद है सब
भांग खाकर 'उनके' घर जाना मना है . 


  

Friday, August 17, 2012

क्षणिकाएं

ले लो मजे -
करलो बुराइयां .
लोग पस्त हैं -
शासक मस्त है .
कहाँ है तुम्हारा ध्यान -
फिर से कहो - एक बार
मेरा भारत महान .

बना कर छोड़ देते हैं लोग -

जैसे कागज़ की नाव पानी में .
ना जाने तुम डर गए कैसे - यार 
बरसाती नाले में तूफ़ान उठाने लगे .


हवाएं तेज़ थी -

घर का उड़ गया छप्पर .

नए सिरे से अब - फिर 

आशियाँ बनाना है .



जो मैंने कल कही थी .
फिर उसी बात को दोहराता हूँ .
मैं कल भी हाशिये पर था -यार 
आज भी हाशिये पे आता हूँ .

तू मिली भी तो कब - जिन्दगी 
जब तेरे जाने के बैंड बाजे बजे .

क्या तेरे घर का और रास्ता नहीं है यार
मैं इतनी दूर चलते चलते थक जाता हूँ .

खुदकशी - या हादसा है यारो 
पर एक आदमी अभी- अभी मरा है .

चाँद मुझे जरा नहीं भाता .
गोल रोटी सा - अंदाज़ उसका 
बिलकुल भी नहीं सुहाता .
खूबसूरती का क्या करना यार -
निरामिष हूँ और भूखा भी -पर 
मैं - सचमुच चाँद नहीं खाता .

प्यार करना कोई मज़बूरी तो नहीं .
हसरतों के माने कुछ भी नहीं - यूँ 
दिल में हसरतें हों - ये जरुरी तो नहीं .

तुफां से कह अभी ना आये यहाँ .
यहाँ उमस है बहूत - पर बारिशें नहीं होती .



Sunday, August 5, 2012

तू बिलकुल अकेला है .

भोर में देर तक मत सो
सपनो में मत खो .
ये जागरण की वेला है .
अब अन्ना नहीं है - तू
बिलकुल अकेला है .

पुरानी टोपियों ने कौन सा 
कमाल किया था - 
स्वराज - को स्व राज 
में बदल दिया था .

ये नयी टोपी तुझे - 
क्या नया दे जायेगी
उम्मीद कम है - 
जनता के सर पर 
वैसे भी - 
फिट नहीं आएगी

Saturday, August 4, 2012

क्षणिकाएं


  •  आज तीर पर आमंत्रण है - 
  • लहरों से मिलने का मन है .
  • सागर पर कुछ क्रोध नहीं -बस
  • तूफां से टकराने का प्रण है. 

  • एक सितारा टुटा है फिर - 
  • आसमान क्या हुआ बाँझ है.
  • पौ फटते ही भौर हुई बस -
  • उस 'तरुवर' की हुए सांझ है .

  • एक पुष्प के मुरझाने से - गुलशन नहीं मरा करते है
  • पतझर आते ही रहते हैं - बरगद नया खड़ा करते है .
  • तुफानो की आशंका से - सागर विचलित नहीं जरा भी 
  • विपदा के आने से केवल - युक्ति नयी गढ़ा करते हैं .

  • जोर से कसके पकड़ना - की हाथ छूटे नहीं 
  • तेरी मेरी दोस्ती सात जन्मों - तक टूटे नहीं .

यही करना था तो - पहले कहते 
तुम भी राजनीति में फोकस रहते . 
हमने अन्ना माना था तुम्हें अपना सा
हम भी जरा तुमसे यार चौकस रहते .

तुमने पूंछा नहीं - मैं तनहा क्यों हूँ 
मैं जो ऐसा हूँ तो- फिर ऐसा क्यों हूँ .
मेरे हाल पे हँसना तो बड़ी बात नहीं
मैं तेरे हाल पे रोता हूँ तो रोता क्यों हूँ .

इस दिलकी बात छोडो मेरी बेबसी को समझो 
खोने से पहले तुझको - मैं पाऊँ भी भला कैसे .

खुद को समर्पित कर दिया - फिर और क्या देते 
दिल के सिवा अब और मेरे पास क्या था यार .

जो तुने दिया वही - मैं वापिस लौटा रहा हूँ 
तू मुझसे दूर हो रही है - मैं तुझसे दूर जा रहा हूँ .

उनके साथ बहूत छोटा सा ही सफ़र था 
जरा सा फासला - दो कदम पे मेरा घर था .

जुबाँ खामोश थी - कैसे तेरी तारीफ़ करता
नजर ने बिन कहे - सब कुछ कह दिया जनाब .

हम मर मिटे थे जिन पे - वे फिरसे हम पे जान देंगे 
बहुमत से पास करा - फिर भी चुनावी इम्तेहान देंगे .

कलतो सब कुछ मुफ्त था - भीड़ घिरी चहु और
पांच जनों से यार फिर - अब क्या अनशन होय .

भूखा मरना कठिन है - ये तो पक्की बात
जनता अबतो चुनेगी - किसको परसे भात .

बाप हजारी कर गए - बेटा चाहे करोड़ 
पूंजी सारी छिन गयी - अब क्यों ले मरोड़ .

जाने क्यों शेर सा लगता है - जंगल में हर सियार 
माना देश में मानसून कमजोर है इस बार - पर 
अभी बारिशों का मौसम है - गिरने दो और फुहार .
अन्ना का रोल ख़त्म- अभी तो मोदी बाकी है यार .

जन्तर - मन्तर से 
मदारी - जमूरा दोनों फरार 
चलिए खेल ख़त्म - अपने
अपने घर जाओ ना यार .

अमाँ जितने पैसों की राखी 
जनता से बंधवा गए - उतने
पैसे तो वापिस कर जाते - फिर
चाहे - अनशन में मर जाते - 
या बीच में उठ - अपने घर जाते .

कभी खुद से - अलग होकर तो देख
मैं कितना करीब हूँ - छूकर तो देख .

ना कोई ख्वाब - ना कोई रुसवाई हूँ 
मैं तेरा ही रूप - तेरी ही परछाई हूँ .


बड़े पागल हैं जो खुद से प्यार करते हैं 
हम तो तेरा आज भी इंतज़ार करते हैं .


कहीं कोई था नहीं इस दुनिया में - तूझे मिलता कैसे 
मुझे पता हैं - सिवा मेरे तेरा कोई और है भी नहीं यार .


उठा लेता जो वे फलक से गिरे होते  - 
जमीं पर गिरे आंसू उठाये नहीं जाते .
चढ़े जो देवता पर एक बार - दोस्तों
वे फूल किसी और पर चढ़ाए नहीं जाते .

जनता ने क्या सोचना 
जनता अंधी जात .
अपनी अपनी कूल्डी
और अपना अपना भात .

मुड मुडके क्या देखना - 

आगे राह अनेक .
अन्ना से मिलते बहूत - 
हमसा मिले ना एक . 
जो तू - मैं मिल जायेंगे - 
ये ढूंढे ना पायेंगे .
गर जो हम बँट जायेंगे - 
तर माल कमीने खायेंगे .

फिर से एक संग्राम हो - और गीता का पाठ 

तब तो मुमकिन जीत हो - चलो उठो हे नाथ .

कंसा तो ज़िंदा भया - कहाँ छिपे हो नाथ 

हम बेजाँ कठपुतलियां - डोरी थामो हाथ .

पांचन के पच्चीस कर - और फिर कई करोड़

सवा अरब के देस में - उठे ना कोई मरोड़ .

ऐठन लागे जब कोई - बैंयां देवो मरोड़

पैरन ते चल ना सके - टंगीया देवो तोड़ .
आपण की अम्मा ससुर - आपन की सर्कार
है कोऊ में हौसला - करलो काऊ बिगाड़ .

गुडगोबर सब हो गया - बचा ना कोई नाम 

मोदी की दरकार है - अन्ना हुए हराम .

अट्टे पे सट्टा चले - अनशन भारी दाव 

ना अन्ना अब डिग सके -जबरन दे बैठाओ

इस तरह सबसे अलग - इकला मत रह - 

जो मैंने सहा - चल दो दिन तू भी सह .
भूल जाएगा - तू खुदा और इंसान हूँ मैं - 
फिर चाहे खुदको खुदा कह या ना कह .

किसी को मिला होगा - भला मैं कैसे मानू यार 

'श्याम' को - ढूँढने में जीवन की शाम हो गयी .

मौन शब्द नहीं मांगता 

और शब्द मौन नहीं रहते .
चलो शब्दहीन हो जाए -
आनंदमय मौन में खो जाएँ .

ना उसके पास था कहीं - ना मेरे पास था .

तू भी कहीं उदास थी - मैं भी उदास था 
सारा समय का फेर है - यारो मैं क्या कहूं 
ये वक्त भूतनी का - जाने किसके पास था.

छूकर निकल गयी - दिलको करीब से

बेख़ौफ़ हवाओं - से डरता बहूत हूँ यार .

जिस दिन कोई मिल जाएगा - मेरे नसीब से

उस दिन का इंतज़ार तो कब से मुझे है यार .

गम ना कर - बच्चे हैं बहल जायेंगे .

आज याद है पर जल्दी भूल जायेंगे .
भूल मत जाना - हमीं को देना यार 
वोट जब मांगने हम तेरे पास आयेंगे .


जीवन प्रेम का ही प्रसार 
प्रेम कर - मोह नहीं यार .

एक फूल के मुरझाने से 

उपवन होता नहीं बाँझ है .


पुष्प एक मुरझाया है पर 


ये जीवन की नहीं सांझ है .