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Saturday, September 22, 2012

क्षणिकाएं

सवाल और भी हैं जो दे सको जवाब -पर 
तेरी मजबूर निगाहें कुछ पूछने नहीं देती .

वक्त के संग कदम मिला के चल -यार 
नाटके -ऐ-जिन्दगी में रि-टेक नहीं होते .

कहते हैं परछाइयों के चहरे नहीं होते 
दाग कितने लगें - पर गहरे नहीं होते .

आके मस्जिद में रहे तो खुदा है यार 
मंदिर में रहे तो क्या खुदा ना हुआ .

सच मैं हिन्दू हूँ मुसलमान भी हूँ 
रामायण हूँ राम की कुरान भी हूँ .
आरती हूँ - सुबह की अज़ान भी हूँ 
फ़क्त आदमी नहीं - इंसान भी हूँ .

जो तेरा है वही तो मेरा है - यार 
बाकी ये धर्म तो बखेड़ा है यार .

फ़क्त इंसान बने रहने से होता क्या है 
फरिश्तों से होड़ ले तो कोई बात बने .

हरेक पल का पूरा मज़ा ले प्यारे 
ना जाने कौन सा हो आखिरी पल .
मंजिल ही नहीं होती सब कुछ यार 
राह के नजारों को भी देखता चल .

हुकूमत का हाल देख - वापिस आ गए 
संसदीय मकान से अपना घर अच्छा है .

इश्क प्यार ने हमें - कुछ इस कदर ठगा 
बना जब पंचनामा - हाथ कुछ नहीं लगा .

आंधी की तरह आये - तूफां से निकल गए
पत्ते टहनी क्या - वृक्ष जड़ समेत हिल गए 

या खुदा वो ही क्यों - हम क्यों ना हुए 
महूब्ब्त में अक्सर लोग बाते करते हैं .

लूटा कर दौलते दिल - हौसले कम ना हुए 
किसी को देखकर कहते हैं - यार हम ना हुए .

जो सीधे सादे - अपने दिल की बात कहतें हैं 
कभी जूते खाते हैं - अक्सर फायदे में रहते हैं .

मंगते सारे मर गए - मिला नहीं स्वराज 
अब तक ना देखा कहीं - ऐसा सूअर राज .

आशा मन की बावरी - पवन उडी ले संग
अनशन धरने बंद से मोह हुआ अब भंग .

कैसे फिर वो आएगा - भेजो मिलकर पत्र
पता नहीं उसका कोई - बसे यत्र सर्वत्र .

दो कोडी का मन नहीं - चाहे लाख करोड़
ऐसे मुंजी जीव से आशा दो तुम छोड़ .

उड़ा उड़ा सा मन फिरे - मिले ना कोई थाँव
चलना अपने बस नहीं - काले कोसों गाँव .

जाने ना कुछ रीत मन - माने ना कोई मन्त्र 
शुद्रअणु सम जीव हूँ - ना कोई साधू संत .

जनुन -ए - इन्कलाब है दिल में 
अपने घर से बाहर तो निकल 
हिम्मत भी आ जायेगी - यार 
मेरे साथ जरा थोड़ी दूर तो चल .

भूल जा - प्यारे ये तेरे रोज़ 
रोने गाने - चीखने चिल्लाने 
हर बात पर खीजने झल्लाने से 
ना कुछ हुआ है - ना कभी होगा .

शान से जीना - गर नसीब नहीं 
शान से मर तो सकता है यार .
गिडगिडाने का असर क्या होना 
शेर सा चिंघाड़ तो सकता है यार .

यहाँ कोई करे - तो कोई भरे .
अब कोई करे भी तो क्या करे 
'शेर' को भी चुना - तो भी 
हरामखोर - मींगनी ही करे .

हौसले यूँही नहीं मिला करते 
फटे जिगर नहीं सिला करते .
शेर सा जंगल में अगर रहना है 
बकरियों से नहीं गिला करते .

मरना चाहो तो अभी मर जाओ . 
जीने के यूँ तो सेंकडों बहाने हैं .
एक बार आ गये दुनिया में - 
यार कौन सा बार बार आने हैं .

आज भला तो कल भला - बीता 'काल' बिसार
'अब' जीते जग जीत है - 'कल' जीते सब हार .

हृदय प्रेम का गेह है - बाढ़न दो परिवार .
बसने आयें रामजी - दिलसे करो पुकार .

पीर बड़ी अति प्रेम की - मिले सुमंगल होय
मीरा कान्हा का मिलन - फफक फफक के रोय .

सब जग सूना सा लगे - तन-मन करे ना काम .
या तो मृगनयनी सखी - या हृदय बसे श्री राम .


Monday, September 10, 2012

जियो और जीने दो

प्रेम अनंत है - 
नफरत का -
फिर भी अंत है .

बहारें ही शाश्वत हैं 
पतझर की कल्पना 
बिलकुल - मनघडंत हैं . 

दुश्मनी सदा नहीं रहती 
मित्रता तो जीवन पर्यंत है .

हर किसी के लिए दुआ करे
सच में यार वही परम संत है .

जियो और जीने दो
जीवन का यही तो -
श्रेष्ठ मन्त्र है .

Wednesday, September 5, 2012

देस की चिंता छोड़

देस की चिंता छोड़ -
अपने नगरकी चिंता कर
'मातेश्वरी' की नाराजगी - से 
यार थोडा सा तो डर .

तुझे पता भी ना चले - 
दुनिया को पता चल जाए .
तेरी धर्मनगरी - हरिद्वार 
जाने कब - पोपनगरी 
(पाप नगरी) में बदल जाए .

आओ चोरी करें

आओ चोरी करें -
देश को काट काट कर 
हम -सब
बर्थडे केक की तरह खाएं .
चलो स्वतंत्रता कुछ 
इस तरह मनाएं .

हम सब चोर हैं .

मेरे नेताओं के कुकर्मों का 
ये स्वर्णिम दौर है .
देस नायक - चोरों का 
सिरमौर है - तो 
फिर मान ले हम सब चोर हैं . 
मैं हूँ - मेरे मौसेरे भाई - 
और भी ना जाने -
कितने - कितने और हैं .

अपनी चोरी क्यों छुपायें

परमारथ का काम है - 
अपनी चोरी क्यों छुपायें -
अपने नेताओं के पदचिन्ह 
पर चलें - देस का पैसा 
'बाबा' को नाराज़ क्यों करें 
स्वदेस में जमा कराएं .


पागल नहीं हैं - जो 
देस -विदेस में अपने 
चौर्य -शौर्य के चर्चे करवाएं -
बुद्धू नहीं हैं - हम 
क्यों स्विस बैंक जाएँ .

जो मैं तेरी जगह पाता

जो मैं तेरी जगह पाता -
सच कहता हूँ यार -
तुझ से ज्यादा नाम -
ज्यादा धन कमाता . 
मैं क्या - मेरा पूरा देश
बिना किसी खून खराबे के
जाने अब तक - 
कब का अमरीका हो जाता .

कहीं दूर जाके मर .

स्वहित के अलावा
मुझसे परहित - 
राष्ट्रहित जैसी 
बचकानी बात -
मत कर .
अभी धंदे का टाइम है 
कहीं दूर जाके मर .

दौलत - की गंगा
तेरे पड़ोस में ही तो -
बह रही है - कौन देख रहा है
तू भी उफनती - बहती
गंगाजी में डूबकी लगा -
ले ले - हिन्दुस्तानी होने
का फुल फुल मजा .

मैंने कुछ गलत नहीं किया

मैंने कुछ गलत नहीं किया
यथा नाम - तथा गुण 
मन मोहन हूँ - पर 
तुम्हें क्यों बताऊंगा .
द्वापर में - इस नाम ने
माखन चुरा खाया - अब 
कलयुग में मैं - 
पुरे देश को खाऊंगा .

सांप और सपेरों का देश

आओ फिरसे - इसे 
सांप और सपेरों का देश बनाएं .
तभी मुमकिन है -
ये नागनाथ - और सांपनाथ 
हमारे बस में आयें - और
अपने सुर - ताल पर 
उम्र भर इन्हें नचायें .