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स्याही भी पैसों की आती है या फिर ये चेहरा अनमोल है -आखिर अवाम की भावना का भी तो कोई मोल है. या इम्पोर्टेड को देसी बनाने का आयुर्वेदिक न...
Wednesday, September 5, 2012
देस की चिंता छोड़
देस की चिंता छोड़ -
अपने नगरकी चिंता कर
'मातेश्वरी' की नाराजगी - से
यार थोडा सा तो डर .
तुझे पता भी ना चले -
दुनिया को पता चल जाए .
तेरी धर्मनगरी -
हरिद्वार
जाने कब -
पोपनगरी
(पाप नगरी) में बदल जाए .
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