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चोट लगती है फूल से भी यार
चोट लगती है फूल से भी यार फूल पत्थर की तरह फैंको मत सुर नहीं साज नहीं आवाज़ नहीं अब यूँ गधों की तरह रेंकों मत . जिनावर ...
उबासी सत्यानाश आ गयी .
घोड़े को घास खा गयी जनता को आस खा गयी . जुल्फके नाग हटाये ही थे चंदन की बास आ गयी . जुआरी को ताश खा गयी - गुलाम को रानी रास आ गयी...
तेरे इनकार में दम है .
किसीकी जात में दम है - किसीकी पांत में दम है. किसीकी दौलते चलती किसीके हाथ में दम है . ना तेरे प्यार में दम है ना मेरे प्यार में...
Wednesday, September 5, 2012
देस की चिंता छोड़
देस की चिंता छोड़ -
अपने नगरकी चिंता कर
'मातेश्वरी' की नाराजगी - से
यार थोडा सा तो डर .
तुझे पता भी ना चले -
दुनिया को पता चल जाए .
तेरी धर्मनगरी -
हरिद्वार
जाने कब -
पोपनगरी
(पाप नगरी) में बदल जाए .
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