प्रेम अनंत है -
नफरत का -
फिर भी अंत है .
बहारें ही शाश्वत हैं
पतझर की कल्पना
बिलकुल - मनघडंत हैं .
दुश्मनी सदा नहीं रहती
मित्रता तो जीवन पर्यंत है .
हर किसी के लिए दुआ करे
सच में यार वही परम संत है .
जियो और जीने दो
जीवन का यही तो -
श्रेष्ठ मन्त्र है .
नफरत का -
फिर भी अंत है .
बहारें ही शाश्वत हैं
पतझर की कल्पना
बिलकुल - मनघडंत हैं .
दुश्मनी सदा नहीं रहती
मित्रता तो जीवन पर्यंत है .
हर किसी के लिए दुआ करे
सच में यार वही परम संत है .
जियो और जीने दो
जीवन का यही तो -
श्रेष्ठ मन्त्र है .
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ReplyDeleteबेहद प्रेरक, कम शब्दों में सहज एवँ गूढ़ अभिव्यक्ति....जियो और जीने दो, जीवन का यही तो श्रेष्ठ मन्त्र है :~~
ReplyDeleteसही है यहाँ पर "कौन" मरता है किसी के लिए,
इस 'गलत सोच' को ऐ आदम तू बदलता चल !!
फ़ानी-दुनिया में अपने-लिए-जिए तो क्या-जिए,
तू "सारे जहां के बोझ" को सर पर उठा के चल !!
पहाड़ सी कुछ 'मुश्किलें' भी आयेंगीं राह में तेरी,
'दरिया' की तरह हँसते हुए खिलखिला के चल !!