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Monday, September 10, 2012

जियो और जीने दो

प्रेम अनंत है - 
नफरत का -
फिर भी अंत है .

बहारें ही शाश्वत हैं 
पतझर की कल्पना 
बिलकुल - मनघडंत हैं . 

दुश्मनी सदा नहीं रहती 
मित्रता तो जीवन पर्यंत है .

हर किसी के लिए दुआ करे
सच में यार वही परम संत है .

जियो और जीने दो
जीवन का यही तो -
श्रेष्ठ मन्त्र है .

2 comments:

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  2. बेहद प्रेरक, कम शब्दों में सहज एवँ गूढ़ अभिव्यक्ति....जियो और जीने दो, जीवन का यही तो श्रेष्ठ मन्त्र है :~~

    सही है यहाँ पर "कौन" मरता है किसी के लिए,
    इस 'गलत सोच' को ऐ आदम तू बदलता चल !!

    फ़ानी-दुनिया में अपने-लिए-जिए तो क्या-जिए,
    तू "सारे जहां के बोझ" को सर पर उठा के चल !!

    पहाड़ सी कुछ 'मुश्किलें' भी आयेंगीं राह में तेरी,
    'दरिया' की तरह हँसते हुए खिलखिला के चल !!

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