Popular Posts

Saturday, April 27, 2013

सारी दुनिया लापता .

चन्द मुलाकाते - 
रसभरी - प्यार की बातें .
ना दिल का - दूर दूर तक 
कोई अता पता .

ऐसा ही होता है प्यार 
एक दुसरे में खोये -
जागते हुए भी सोये सोये -
इसमें उनकी क्या खता -

जिन्हें अपनी खबर नहीं -
उनके लिए तो -  
सारी दुनिया लापता .

Thursday, April 25, 2013

मगरूर जिन्दगी

चंडालनी सी या 
लगी थी हूर जिन्दगी .
झक धुप में मिली 
हमें बेनूर जिन्दगी .

थी पस्त कभी मस्त 
नशे में मिली वो चूर 
किस्मत से यार  
हो गयी मशहूर जिन्दगी .

सड़कों पे बिखरी आग
से घर जल गया मेरा
संसद में बहस थी
बड़ी है क्रूर जिन्दगी .

मुर्गे ने बहस की
तो मुर्गी भी चुप कहाँ -
चखचख में देखो कटी
मगरूर जिन्दगी .

क्षणिकाएं

लो आ रही थी जिनकी याद वो भी आ गए .
अल्लाह मेहरबान है कुछ हमपे आजकल .

बदनाम हूँ तो क्या जरा मशहूर तो हुआ 
पैमाने भरे देख कुछ - सुरूर तो हुआ .
कल तक मेरा दोस्त संगी यार सभी था 
बैठा था यहीं  - देखकर वो दूर तो हुआ .

कसूरवार हूँ मगर कोई खता नहीं - अब 
किसके साथ क्या हुआ मुझको पता नहीं .

मैं ढूँढता रहा जिसे पर जाने वो कहाँ है 
सब कह रहें है वो वहीँ दिल तेरा जहाँ है

सब ढूँढ़ते मिले - जाने क्या खो गया . 
चाहा तो हुआ नहीं - अनचाहा हो गया .

अंजाम की चिंता में डरे लोग तो मिले 
अंजाम बदल दें मुझे उसकी तलाश है .

सूरत नहीं सीरत नहीं - है कुछ नहीं खुदा 
मैं पशोपश में हूँ - तुझे अब पेश क्या करू .

बातें अजीब हैं मेरी - समझेंगे नहीं लोग 
खुदको समझ सका नहीं वो आदमी हूँ मैं .

दिल नहीं चाहता 
खो जाऊं तो - 
ढूंढे कोई मुझे .
बड़ी मुश्किल से - 
खुदको भूलकर - 
उसका हुआ हूँ मैं .

गाफिल नहीं - सोया नहीं 
पाया नहीं खोया नहीं .
ढूंढो जरा यारो - मुझे 
मैं ना जाने कहाँ हूँ .

झूनझुनों से - 
खेलता देश . 
ये आयातित सोच -
नए जमाने के तरीके - 
तौर भी है .
हाकिम से पूछो -
जो दे सके जवाब तो -
सवाल और भी हैं .


ग़ज़ल हूँ - तो 
गुनगुना लो .
प्यार का तकिया हूँ 
सिरहाना लगा लो .
बात ज्यादा ना बढ़ जाए 
यार - पहले तुम 
अपने दिल को संभालो .

ना किसी का मैं - 
कोई अपना ही सही 
घर ना सही - 
घर का सपना ही सही .

गरीब की मजबूरी 
या मजदूरी 
खा गया - वो 
लम्बी कार 
ऊँचे महलों वाला .

घृणा के गरजते 
हुए बादल - सबकी 
नजर में फैले थे - 
क्या हुआ -
दिल खरा साफ़ था -
कपडे ही जरा मैले थे .

कल पकड़ते पकड़ते 
मेरे हाथों से -
आज गया 
मेरा कल भी गया .

उड़ गए पंख लगाकर वो 
जाने किधर जाने कहाँ 
ढूँढता फिरता हूँ मैं आज भी 
गुजरे मेरे दिन बचपन के .

कोई ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं 
जा जिन्दगी तुझमे कोई दम भी नहीं .
जो ऐसी बात है तो - मिला फिर हाथ 
आज या तू नहीं - या फिर हम भी नहीं .

ठिठुरती रात या 
जले दिनों का हिसाब माँगू 
ऐ जिन्दगी तू ही बता 
तुझसे मैं क्या -
चीज लाज़वाब माँगूं .

उसने कहा वो ख्वाब है 
मिलेगी ना कभी भी .
दिन तो गया - अब रात का 
बस इंतज़ार है

सुखों के साथ दुःख 
और फूल संग कांटे 
पैकेज है बाबू - एक 
के साथ एक फ्री है .

दामन में मेरे आज भी हैं 
फूल बेहिसाब .
काँटों से बच सको तो -
नजर करदूं मैं जनाब .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थके नहीं दिलसे निकालते हुए .

तुम्हारे कुछ नहीं लगते 
बता देते तो अच्छा था .
सिमट कर क्या मिला यारो 
बिखर जाते तो अच्छा था .

आज भी खाली है मन का वो 
अनछुआ कौना - दिल कहता है 
चुपके से उसे - मेरे ना सही  
पर किसी और की भी मत होना . 

शब्द कभी भी बंजर नहीं होते -बस 
जमीं ही बंजर निकल आती है कभी .

गावं अभी बसा नहीं 
चौधरी पहले तैयार 
अडवानी नहीं मोदी यार .
बीज बोया है - 
जरा उगने दो कपास 
फिर कर लेना 
जुलाहे से लठ्ठम लठ्ठा .

एक गांधारी थी और 
उसका भॊन्दु राजकुमार 
एक मोदी है - जिसके 
चाहने वाले करोड़ों यार . 
बात टक्कर की नहीं 
फिर भी हुई तकरार .
होगा अंजाम क्या -
खुदा जाने यार .

अपने जैसा जो कहीं मिल जाए 
बात हों दिल की कलि खिल जाए .
कमल दिल का कभी खिला ही नहीं 
मिले तो लोग लेकिन - 
ऐसा कोई मिला ही नहीं .

वो एक अनजान सी कहानी है 
दोस्तों वही तो तुम्हें सुनानी है .
गूंगा राजा है - और अंधी रानी है 
नयी नहीं है - ये दासता पुरानी है .

सभी अंधे तो राजा काना क्या 
फिर यार नाती क्या नाना क्या 
मोदी का हव्वुआ दिखाना क्या 
कांग्रेस का रहना क्या जाना क्या .


सपनों के आभासी सच
और प्रेम के - सरोकार
आभास थे पर जाने क्यों 
मुझे सच लगे हर बार .

बहूत कौशिश की पर 
लिखी नहीं जाती .
पतझरों के मौसम में 
बहार पर लिखूं कैसे .







क्षणिकाएं

लो आ रही थी जिनकी याद वो भी आ गए .
अल्लाह मेहरबान है कुछ हमपे आजकल .

बदनाम हूँ तो क्या - जरा मशहूर तो हुआ 
पैमाने भरे देख कुछ - सुरूर तो हुआ .
कल तक मेरा दोस्त संगी यार सभी था 
बैठा था पास - देखकर वो दूर तो हुआ .

कसूरवार हूँ मगर कोई खता नहीं - अब 
किसके साथ क्या हुआ मुझको पता नहीं

मैं ढूँढता रहा जिसे पर जाने वो कहाँ है 
सब कह रहें है वो वहीँ दिल तेरा जहाँ है

सब ढूँढ़ते मिले - जाने क्या खो गया . 
चाहा तो हुआ नहीं - अनचाहा हो गया .

अंजाम की चिंता में डरे लोग तो मिले 
अंजाम बदल दें हमें उसकी तलाश है .

सूरत नहीं सीरत नहीं - है कुछ नहीं खुदा 
मैं पशोपश में हूँ - तुझे अब पेश क्या करू .

बातें अजीब हैं मेरी - समझेंगे नहीं लोग 
खुदको समझ सका नहीं वो आदमी हूँ मैं .

दिल नहीं चाहता 
खो जाऊं तो - 
ढूंढे कोई मुझे .
बड़ी मुश्किल से - 
खुदको भूलकर - 
उसका हुआ हूँ मैं .

गाफिल नहीं - सोया नहीं 
पाया नहीं खोया नहीं .
ढूंढो जरा यारो - मुझे 
मैं ना जाने कहाँ हूँ .

झूनझुनों से खेलता देश 
ये आयातित सोच -
नए जमाने के तरीके - 
तौर भी है .
हाकिम से पूछो -
जो दे सके जवाब तो -
सवाल और भी हैं .


ग़ज़ल हूँ - तो 
गुनगुना लो .
प्यार का तकिया हूँ 
सिरहाना लगा लो .
बात ज्यादा ना बढ़ जाए 
यार - पहले तुम 
अपने दिल को संभालो .

किसी का मैं ना सही 
कोई अपना ही सही .
ना सही घर चलो -
घरका सपना ही सही .

गरीब की मजबूरी 
या मजदूरी 
खा गया - वो 
लम्बी कार 
ऊँचे महलों वाला .

घृणा के गरजते 
हुए बादल - सबकी 
नजर में फैले थे - 
क्या हुआ -
दिल खरा साफ़ था 
कपडे ही जरा मैले थे .

कल पकड़ते पकड़ते 
मेरे हाथों से -
आज गया -
मेरा कल भी गया .

उड़ गए पंख लगाकर वो 

जाने किधर जाने कहाँ 

ढूँढता फिरता हूँ मैं आज भी 

गुजरे मेरे दिन बचपन के .


कोई ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं 
जा जिन्दगी तुझमे कोई दमभी नहीं .
जो ऐसी बात है तो - मिला फिर हाथ 
आज तू नहीं - या फिर हमभी नहीं .

ठिठुरती रात या 
जले दिनों का हिसाब माँगू 
ऐ जिन्दगी तू ही बता 
तुझसे मैं क्या -
चीज लाज़वाब माँगूं .

उसने कहा वो ख्वाब है 
मिलेगी ना कभी भी .
दिन तो गया - अब रात का 
बस इंतज़ार है

सुखों के साथ दुःख 
और फूल संग कांटे 
पैकेज है बाबू - एक 
के साथ एक फ्री है .

दामन में मेरे आज भी हैं 
फूल बेहिसाब .
काँटों से बच सको - तो 
नजर करदूं मैं जनाब .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .

तुम्हारे कुछ नहीं लगते 
बता देते तो अच्छा था .
सिमट कर क्या मिला यारो 
बिखर जाते तो अच्छा था .

आज भी खाली है मन का वो 
अनछुआ कौना - दिल कहता है 
चुपके से उसे - मेरे ना सही  
पर किसी और की भी मत होना . 

शब्द कभी भी बंजर नहीं होते -बस 
जमीं ही बंजर निकल आती है कभी .

गावं अभी बसा नहीं 
चौधरी पहले तैयार 
अडवानी नहीं मोदी यार .
बीज बोया है - 
जरा उगने दो कपास 
फिर कर लेना 
जुलाहे से लठ्ठम लठ्ठा .

एक गांधारी थी और 
उसका भॊन्दु राजकुमार 
एक मोदी है - जिसके 
चाहने वाले करोड़ों यार . 
बात टक्कर की नहीं 
फिर भी हुई तकरार .
होगा अंजाम क्या -
खुदा जाने यार .

अपने जैसा जो कहीं मिल जाए 
बात हों दिल की कलि खिल जाए .
कमल दिल का कभी खिला ही नहीं 
मिले तो लोग ऐसा कोई मिला ही नहीं .

वो एक अनजान सी कहानी है 
दोस्तों वही तो तुम्हें सुनानी है .
गूंगा राजा है - और अंधी रानी है 
नयी नहीं है - ये दासता पुरानी है .

सभी अंधे तो राजा काना क्या 
फिर यार नाती क्या नाना क्या 
मोदी का हव्वुआ दिखाना क्या 
कांग्रेस का रहना क्या जाना क्या .


सपनों के आभासी सच
और प्रेम के - सरोकार
आभास थे पर जाने क्यों 
मुझे सच लगे हर बार .

बहूत कौशिश की पर 
लिखी नहीं जाती 
पतझरों के मौसम में 
बहार पर लिखूं कैसे .







क्षणिकाएं

लो आ रही थी जिनकी याद वो भी आ गए .
अल्लाह मेहरबान है कुछ हमपे आजकल .

बदनाम हूँ तो क्या - जरा मशहूर तो हुआ 
पैमाने भरे देख कुछ - सुरूर तो हुआ .
कल तक मेरा दोस्त संगी यार सभी था 
बैठा था पास - देखकर वो दूर तो हुआ .

कसूरवार हूँ मगर कोई खता नहीं - अब 
किसके साथ क्या हुआ मुझको पता नहीं

मैं ढूँढता रहा जिसे पर जाने वो कहाँ है 
सब कह रहें है वो वहीँ दिल तेरा जहाँ है

सब ढूँढ़ते मिले - जाने क्या खो गया . 
चाहा तो हुआ नहीं - अनचाहा हो गया .

अंजाम की चिंतामें डरे लोग तो मिले 
अंजाम बदल दें हमें उसकी तलाश है .

सूरत नहीं सीरत नहीं - है कुछ नहीं खुदा 
मैं पशोपश में हूँ - तुझे अब पेश क्या करू .

बातें अजीब हैं मेरी - समझेंगे नहीं लोग 
खुदको समझ सका नहीं - वो आदमी हूँ मैं .

दिल नहीं चाहता 
खो जाऊं तो - 
ढूंढे कोई मुझे .
बड़ी मुश्किल से - 
खुदको भूलकर - 
उसका हुआ हूँ मैं .

गाफिल नहीं - सोया नहीं 
पाया नहीं खोया नहीं .
ढूंढो जरा यारो - मुझे 
मैं ना जाने कहाँ हूँ .

झूनझुनों से खेलता देश 
ये आयातित सोच -
नए जमाने के तरीके - 
तौर भी है - हाकिम से पूछो 
जो दे सके जवाब तो -
सवाल और भी हैं .


ग़ज़ल हूँ - तो 
गुनगुना लो .
प्यार का तकिया हूँ 
सिरहाना लगा लो .
बात ज्यादा ना बढ़ जाए 
यार - पहले तुम 
अपने दिल को संभालो .

ना किसी का मैं - कोई अपना ही सही 
घर ना सही घर का सपना ही सही .

गरीब की मजबूरी 
या मजदूरी 
खा गया - वो 
लम्बी कार 
ऊँचे महलों वाला .

घृणा के गरजते 
हुए बादल - उनकी 
नजर में फैले थे - 
क्या हुआ -
दिल खरा साफ़ था 
कपडे ही जरा मैले थे .

कल पकड़ते पकड़ते 
हाथों से - मेरे 
आज गया -
कल भी गया .

उड़ गए पंख लगाकर वो 
जाने किधर जाने कहाँ 
ढूँढता फिरता हूँ मैं आज भी 
गुजरे मेरे दिन बचपन के .

कोई ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं 
जा जिन्दगी तुझमे कोई दम भी नहीं .
जो ऐसी बात है तो - मिला फिर हाथ 
आज या तू नहीं - या फिर हम भी नहीं .

ठिठुरती रात या 
जले दिनों का हिसाब माँगू 
ऐ जिन्दगी तू ही बता 
तुझसे मैं क्या -
चीज लाज़वाब माँगूं 

उसने कहा वो ख्वाब है 
मिलेगी ना कभी भी .
दिन तो गया - अब रात का 
बस इंतज़ार है

सुखों के साथ दुःख 
और फूल संग कांटे 
पैकेज है बाबू - एक 
के साथ एक फ्री है .

दामन में मेरे आज भी हैं 
फूल बेहिसाब .
काँटों से बच सको - तो 
नजर करदूं मैं जनाब .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .

तुम्हारे कुछ नहीं लगते 
बता देते तो अच्छा था .
सिमट कर क्या मिला यारो 
बिखर जाते तो अच्छा था .

आज भी खाली है मन का वो 
अनछुआ कौना - दिल कहता है 
चुपके से उसे - मेरे ना सही  
पर किसी और की भी मत होना . 

शब्द कभी भी बंजर नहीं होते -बस 
जमीं ही बंजर निकल आती है कभी .

गावं अभी बसा नहीं 
चौधरी पहले तैयार 
अडवानी नहीं मोदी यार .
बीज बोया है - 
जरा उगने दो कपास 
फिर कर लेना 
जुलाहे से लठ्ठम लठ्ठा .

एक गांधारी थी और 
उसका भॊन्दु राजकुमार 
एक मोदी है - जिसके 
चाहने वाले करोड़ों यार . 
बात टक्कर की नहीं 
फिर भी हुई तकरार .
होगा अंजाम क्या -
खुदा जाने यार .

अपने जैसा जो कहीं मिल जाए 
बात हों दिल की कलि खिल जाए .
कमल दिल का कभी खिला ही नहीं 
मिले तो लोग - ऐसा कोई मिला ही नहीं .

वो एक अनजान सी कहानी है 
दोस्तों वही तो तुम्हें सुनानी है .
गूंगा राजा है - और अंधी रानी है 
नयी नहीं है - ये दासता पुरानी है .

सभी अंधे तो राजा काना क्या 
फिर यार नाती क्या नाना क्या 
मोदी का हव्वुआ दिखाना क्या 
कांग्रेस का रहना क्या जाना क्या .


सपनों के आभासी सच
और प्रेम के - सरोकार
आभास थे पर जाने क्यों 
मुझे सच लगे हर बार .

बहूत कौशिश की पर 
लिखी नहीं जाती 
पतझरों के मौसम में 
बहार पर लिखूं कैसे .