ना वक्त हमारा है -
होता ना गुज़ारा है .
ना आसमान अपना -
नीचे नहीं जमीं है .
करने को बहूत कुछ है
कहने को कुछ नहीं है .
रुके जो वक्त -
मैं पकड लेता
यूँ हवाओं को -
थामना मुश्किल .
मैं पकड लेता
यूँ हवाओं को -
थामना मुश्किल .
करोगे दिल से कभी तो
याद - बहूत आयेंगे हम .
यूँ अगर भूलना चाहो
तो कोई बात नहीं .
याद - बहूत आयेंगे हम .
यूँ अगर भूलना चाहो
तो कोई बात नहीं .
दिल की बातें अजीब होती हैं .
कभी मिली थी -
फिर मिली ही नहीं .
थम गयी थी वहीं पर ऐ दोस्त .
उम्र उससे आगे -
फिर हिली ही नहीं .
कभी मिली थी -
फिर मिली ही नहीं .
थम गयी थी वहीं पर ऐ दोस्त .
उम्र उससे आगे -
फिर हिली ही नहीं .
आज यादों की तेरी फिर से बहाली कर दें
दिलमे थोड़ी जगह जख्मों लिए खाली करदें .
दिलमे थोड़ी जगह जख्मों लिए खाली करदें .
आशाएं झांकती रही
रास्ते पुकारते रहे .
मंजिले पूंछती रही
तुम खड़े निहारते रहे .
रास्ते पुकारते रहे .
मंजिले पूंछती रही
तुम खड़े निहारते रहे .
तू बेकरार बहूत है
तेरा करार में हूँ .
ऐ जिन्दगी -
तू तो भली थी -
तेरा कसूरवार मैं हूँ .
तेरा करार में हूँ .
ऐ जिन्दगी -
तू तो भली थी -
तेरा कसूरवार मैं हूँ .
याद करने से याद आओगे - या
फिर उम्र भर यूँहीं तुम सताओगे .
जिन्दगी झांकती है बस खिड़की से
तुम जो आये तो - पता है
दरवाजे खुले छोड़ जाओगे .
फिर उम्र भर यूँहीं तुम सताओगे .
जिन्दगी झांकती है बस खिड़की से
तुम जो आये तो - पता है
दरवाजे खुले छोड़ जाओगे .
कुछ हुआ की नहीं
कुछ बदला की नहीं -
बस भौर मिली -
रात खो गयी -
चलो यार कुछ भी सही
कम से कम सुबह हो गयी .
कुछ बदला की नहीं -
बस भौर मिली -
रात खो गयी -
चलो यार कुछ भी सही
कम से कम सुबह हो गयी .
घर उनका होता है जो
बसना चाहते हैं .
ये मजाक है -
उनके लिए - जो
बेघर हैं और
अभी हँसना चाहते हैं .
बसना चाहते हैं .
ये मजाक है -
उनके लिए - जो
बेघर हैं और
अभी हँसना चाहते हैं .
सेंकडों इंसानी घरों की कीमत पर
इक खुदा का घर बन होता तैयार .
उसे बसने की इसमें कोई चाह नहीं
वो उसमे रहने को नहीं आएगा यार .
इक खुदा का घर बन होता तैयार .
उसे बसने की इसमें कोई चाह नहीं
वो उसमे रहने को नहीं आएगा यार .
क्यों विवश - क्यों डरे हम .
क्यों भला मायूस हो हम .
वक्त अब ज्यादा नहीं है
जैसी करनी - है भरेगी
फैसला जनता करेगी .
क्यों भला मायूस हो हम .
वक्त अब ज्यादा नहीं है
जैसी करनी - है भरेगी
फैसला जनता करेगी .
धर्म का फहरा रहा परचम
धर्म की हो जय यही कह रे .
पढाते हैं पाठ मानवता -
सुनले आतातायी अरे बहरे .
धर्म की हो जय यही कह रे .
पढाते हैं पाठ मानवता -
सुनले आतातायी अरे बहरे .
सींचती हरपल जिसे नदियाँ
हिमालय जिसका भाल है .
लगा ले माथे पे मेरे यार
हिमालय जिसका भाल है .
लगा ले माथे पे मेरे यार
हिंद की माटी गुलाल है .
घूमा फिरा के कह नहीं सकता
हमें तो सीधी सी बात आती हैं
अगर है प्यार तो बता दो - या
दिल का मकान खाली करदो .
हमें तो सीधी सी बात आती हैं
अगर है प्यार तो बता दो - या
दिल का मकान खाली करदो .
खोल दो दिल के बंद दरवाजे
खटखटाती हैं हवाएं कब से .
आने दो रौशनी पानी अंदर -
आज बादल को बरस जाने दो .
खटखटाती हैं हवाएं कब से .
आने दो रौशनी पानी अंदर -
आज बादल को बरस जाने दो .
नहीं कोई कहीं - फिर भी यहीं हैं
ये दिल की बात है - मेरा यकीं है .
ये दिल की बात है - मेरा यकीं है .
नदी सी तुम - बह गयी
चाहतों की रेत रह गयी .
किनारे सोचते ही रहे -तुम
कान में जाने क्या कह गयी .
चाहतों की रेत रह गयी .
किनारे सोचते ही रहे -तुम
कान में जाने क्या कह गयी .
ढह गए दिल के वे मजबूत किले
जो कभी अजेय हुआ करते थे .
बात उन दिनों की है यारो - जब
संगेय नहीं अज्ञेय हुआ करते थे .
जो कभी अजेय हुआ करते थे .
बात उन दिनों की है यारो - जब
संगेय नहीं अज्ञेय हुआ करते थे .
प्रेम के मायने हैं सबके अलग
कौन यूँ किसपे फ़िदा होती हैं .
रास्ते एक से हों लेकिन -
मंजिले सब की जुदा होती है .
कौन यूँ किसपे फ़िदा होती हैं .
रास्ते एक से हों लेकिन -
मंजिले सब की जुदा होती है .
ये मरे से ख्वाब जी जाएँ
कंठ विषपायी जो पी जाए
आज फिर वैकुण्ठ तर जाए
फिर कठिन है चांदनी सी धूप
कंठ विषपायी जो पी जाए
आज फिर वैकुण्ठ तर जाए
फिर कठिन है चांदनी सी धूप
चाँद को कह दो की घर जाए .
बादलों का रूप भी है
आज खिलती धुप भी है
बरस जाए कब ना जाने
अभी आजाओ मनाने .
आज खिलती धुप भी है
बरस जाए कब ना जाने
अभी आजाओ मनाने .
रिसते हुए नासूर तेरी याद के सनम
भरनेसे पहले - फिरसे कुरेद लेता हूँ .
भरनेसे पहले - फिरसे कुरेद लेता हूँ .
आईना झूठ कुछ नहीं कहता
जो सच है - वो तेरे सामने है .
जिन्दगी फूलों की रंगीन क्यारी नहीं होती
बिना काँटों के यार पूरी फुलवारी नहीं होती .
जिन्दगी रंगीन फूलों का सजा हुआ गुलदस्ता है .
कभी बेरंग कभी इन्द्रधनुषी झूठा कभी सच्चा है .
सफ़र मुश्किल बड़े ही हैं झमेले
जो डूबे नाव तो - लहरों से खेलें
किनारों का क्या कोई भी लेलें .
जिस्म दिल रूह चाहे सब कुछ फनाह हो जाए
सच कोई मासूम सा - दिलसे गुनाह हो जाए .
एक यही बात नहीं -
शिकायत और भी हैं
जो सुनो तो कहूं .
जो भी जैसा हूँ - तेरे सामने हूँ .
ना बताने को - ना छिपाने को कुछ .
जो सच है - वो तेरे सामने है .
जिन्दगी फूलों की रंगीन क्यारी नहीं होती
बिना काँटों के यार पूरी फुलवारी नहीं होती .
जिन्दगी रंगीन फूलों का सजा हुआ गुलदस्ता है .
कभी बेरंग कभी इन्द्रधनुषी झूठा कभी सच्चा है .
सफ़र मुश्किल बड़े ही हैं झमेले
जो डूबे नाव तो - लहरों से खेलें
किनारों का क्या कोई भी लेलें .
जिस्म दिल रूह चाहे सब कुछ फनाह हो जाए
सच कोई मासूम सा - दिलसे गुनाह हो जाए .
एक यही बात नहीं -
शिकायत और भी हैं
जो सुनो तो कहूं .
जो भी जैसा हूँ - तेरे सामने हूँ .
ना बताने को - ना छिपाने को कुछ .
दर्द देता है ये
दिल का फोड़ा -
आज ना जाने
दिल का फोड़ा -
आज ना जाने
किस दिल जले ने
फिर इसे फोड़ा .
फिर इसे फोड़ा .
वो समय का घोडा -
थका - जरा रुका
फिर सरपट दौड़ा .
अभी आये नहीं की
जाने की जिद - और
फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .
नदी तुम बहती क्यों हो
निरापद - बेसबब
निर्बाध - गति से
कभी रूकती क्यों नहीं -
आज नहीं - बस
'कलकल' कहती क्यों हो .
निरापद - बेसबब
निर्बाध - गति से
कभी रूकती क्यों नहीं -
आज नहीं - बस
'कलकल' कहती क्यों हो .
ऐ मेरे दिल तू चल यहाँ कोई नहीं तेरा
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा
ये कैसी कसक है - अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा
ये कैसी कसक है - अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .
बस यही दुआ है - उनसे कभी सामना ना हो
मिल भी जाए तो दिल में कोई कामना ना हो .
मिल भी जाए तो दिल में कोई कामना ना हो .
उस कपूत का क्या करें जो
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें
जो देश को रसातल में ले जाए .
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें
जो देश को रसातल में ले जाए .
आस्मांनी आफताब की औकात नहीं थी
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .
जब भाव मिलते हैं तो शब्द खो जाते हैं
वो सामने हों तो शब्द निशब्द हो जाते हैं .
वो सामने हों तो शब्द निशब्द हो जाते हैं .
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