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Tuesday, May 14, 2013

क्षणिकाएँ

ना वक्त हमारा है - 
होता ना गुज़ारा है .  
ना आसमान अपना -
नीचे नहीं जमीं है .
करने को बहूत कुछ है 
कहने को कुछ नहीं है .

रुके जो वक्त - 
मैं पकड लेता  
यूँ हवाओं को -
थामना मुश्किल .

करोगे दिल से कभी तो 
याद - बहूत आयेंगे हम .
यूँ अगर भूलना चाहो 
तो कोई बात नहीं .

दिल की बातें अजीब होती हैं .
कभी मिली थी - 

फिर मिली ही नहीं .
थम गयी थी वहीं पर ऐ दोस्त .
उम्र उससे आगे - 

फिर हिली ही नहीं .

आज यादों की तेरी फिर से बहाली कर दें 
दिलमे थोड़ी जगह जख्मों लिए खाली करदें .

आशाएं झांकती रही 
रास्ते पुकारते रहे .
मंजिले पूंछती रही 
तुम खड़े निहारते रहे .

तू बेकरार बहूत है 
तेरा करार में हूँ .
ऐ जिन्दगी - 
तू तो भली थी  -
तेरा कसूरवार मैं हूँ .

याद करने से याद आओगे - या 
फिर उम्र भर यूँहीं तुम सताओगे .
जिन्दगी झांकती है बस खिड़की से 
तुम जो आये तो - पता है 

दरवाजे खुले छोड़ जाओगे .

कुछ हुआ की नहीं 
कुछ बदला की नहीं - 
बस भौर मिली -
रात खो गयी - 
चलो यार कुछ भी सही 
कम से कम सुबह हो गयी .

घर उनका होता है जो 
बसना चाहते हैं . 
ये मजाक है - 
उनके लिए - जो 
बेघर हैं और 
अभी हँसना चाहते हैं .

सेंकडों इंसानी घरों की कीमत पर 
इक खुदा का घर बन होता तैयार . 
उसे बसने की इसमें कोई चाह नहीं 
वो उसमे रहने को नहीं आएगा यार .

क्यों विवश - क्यों डरे हम . 
क्यों भला मायूस हो हम .
वक्त अब ज्यादा नहीं है 
जैसी करनी - है भरेगी 
फैसला जनता करेगी .

धर्म का फहरा रहा परचम 
धर्म की हो जय यही कह रे .
पढाते हैं पाठ मानवता -
सुनले आतातायी अरे बहरे .

सींचती हरपल जिसे नदियाँ 
हिमालय जिसका भाल है .
लगा ले माथे पे मेरे यार 
हिंद की माटी गुलाल है .

घूमा फिरा के कह नहीं सकता 
हमें तो सीधी सी बात आती हैं 
अगर है प्यार तो बता दो - या 
दिल का मकान खाली करदो .

खोल दो दिल के बंद दरवाजे 
खटखटाती हैं हवाएं कब से .
आने दो रौशनी पानी अंदर -
आज बादल को बरस जाने दो .

नहीं कोई कहीं - फिर भी यहीं हैं 
ये दिल की बात है - मेरा यकीं है .

नदी सी तुम - बह गयी 
चाहतों की रेत रह गयी .
किनारे सोचते ही रहे -तुम 
कान में जाने क्या कह गयी .

ढह गए दिल के वे मजबूत किले 
जो कभी अजेय हुआ करते थे .
बात उन दिनों की है यारो - जब 
संगेय नहीं अज्ञेय हुआ करते थे .

प्रेम के मायने हैं सबके अलग 
कौन यूँ किसपे फ़िदा होती हैं .
रास्ते एक से हों लेकिन - 
मंजिले सब की जुदा होती है .

ये मरे से ख्वाब जी जाएँ 
कंठ विषपायी जो पी जाए
आज फिर वैकुण्ठ तर जाए
फिर कठिन है चांदनी सी धूप 
चाँद को कह दो की घर जाए .

बादलों का रूप भी है 
आज खिलती धुप भी है 
बरस जाए कब ना जाने 
अभी आजाओ मनाने .

रिसते हुए नासूर तेरी याद के सनम 
भरनेसे पहले - फिरसे कुरेद लेता हूँ .

आईना झूठ कुछ नहीं कहता 
जो सच है - वो तेरे सामने है .

जिन्दगी फूलों की रंगीन क्यारी नहीं होती 
बिना काँटों के यार पूरी फुलवारी नहीं होती .

जिन्दगी रंगीन फूलों का सजा हुआ गुलदस्ता है .
कभी बेरंग कभी इन्द्रधनुषी झूठा कभी सच्चा है .

सफ़र मुश्किल बड़े ही हैं झमेले 
जो डूबे नाव तो - लहरों से खेलें 
किनारों का क्या कोई भी लेलें .

जिस्म दिल रूह चाहे सब कुछ फनाह हो जाए 
सच कोई मासूम सा - दिलसे गुनाह हो जाए .

एक यही बात नहीं -
शिकायत और भी हैं 
जो सुनो तो कहूं .

जो भी जैसा हूँ -  तेरे सामने हूँ .
ना बताने को - ना छिपाने को कुछ  .


दर्द देता है ये 
दिल का फोड़ा - 
आज ना जाने 
किस दिल जले ने 
फिर इसे फोड़ा .

वो समय का घोडा - 
थका - जरा रुका 
फिर सरपट दौड़ा .

अभी आये नहीं की 
जाने की जिद - और 
फिर लौटकर आना .
सँभलने दो जरा साँसे -
जरा ठहरो चले जाना .

नदी तुम बहती क्यों हो 
निरापद - बेसबब 
निर्बाध - गति से 
कभी रूकती क्यों नहीं - 
आज नहीं - बस 
'कलकल' कहती क्यों हो .

ऐ मेरे दिल तू चल यहाँ कोई नहीं तेरा 
जिससे भी पूछता है वही कह रहा मेरा 
ये कैसी  कसक है - अभी ये कह नहीं सकता .
उसकी तलाश है - जो मेरे बिन रह नहीं सकता .

बस यही दुआ है - उनसे कभी सामना ना हो 
मिल भी जाए तो दिल में कोई कामना ना हो .

उस कपूत का क्या करें जो 
परिवार को रसातल में ले जाए
उस परिवार का क्या करें 
जो देश को रसातल में ले जाए .

आस्मांनी आफताब की औकात नहीं थी 
रुख से जो हटा पर्दा तो नजर आया चाँद 
बेपनाह हुस्न की ताब से शरमाया चाँद .
हर तरफ शौर मचा लो निकल आया चाँद .

जब भाव मिलते हैं तो शब्द खो जाते हैं 
वो सामने हों तो शब्द निशब्द हो जाते हैं .






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