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Monday, May 27, 2013

क्षणिकाएँ

जिसका मैं वो मेरा नहीं ये कैसा दुर्भाग्य
जैसी जाकी लेखनी - वैसे उसके भाग्य .

चल साईं उस देश में - वहां मिलेगी ठोर  
सत्ता ना बिकती जहाँ - जहाँ नहीं सब चोर .

थे तो फूलों के व्यापारी
दोस्ती काँटों से पड़ी भारी .
कटे दरख्त सब दोस्ती में
चली जो तेरे प्रेम की आरी .

तेरे वजूद - तेरे होने की सजा इस तरह से पाता हूँ
तू सूर्य सी चमकती है मैं उजालों में जला जाता हूँ .

कटी सब जिन्दगी रातके अंधेरों में
अब सुबह के उजालों का क्या करू .


बड़ी तीखी है तेज़ धार - 
इसे तू शब्द मत कह यार .
कटे का घाव भर जाए -
शब्द जाएँ जिगर के पार  .

नेता विदूषक खेल - खिलाड़ी कहाँ गए
 
ना सुर्ख़ियों में है कहीं - जाने कहाँ गुम हैं
 
पढता नहीं अखबार कोई आजकल यारो 

ये रेडियो चैनल सभी तो आज मौन हैं - 

सब लोग पूछते हैं ये मोदी शख्स कौन हैं .   

इस दिल में मेरे दोस्त है तन्हाईयाँ बड़ी 
होती हैं यार - शाम की परछाइयाँ बड़ी .

हिला मत निकल जायेगी 
हाथ से दिल की ये दिल्ली 
जरा फिर ठोकना होगा -
ये किल्ली हो गयी ढिल्ली .

कितना ही छुपायें हम -
दुनिया से भला यारो 
चेहरा बता रहा है - मेरे 
हर दर्द का फ़साना .

अंजाम जो भी होगा -
फिर देख लेंगे यारो .
ये पहली महूब्ब्त है 
पहला ही फ़साना है .

बेवक्त का ये सुर हैं 
ना गीत ही नया है .
बेसुध लोग हैं सब 
अब किसको जगाना है .

भूकंप हिली धरती 
अब जाग भी जा प्यारे 
वर्ना फिर इस जग से -
सोते हुए जाना है .

जगाना नहीं इसको - 
कुछ नींद भी कच्ची है 
जागा जो तो रोयेगा -
और फिर नहीं सोयेगा .

पत्थर उछाले बहूत - फल एक ना गिरा 
इस शहर के बच्चे भी बड़े बदनसीब हैं .

शीशे के घर - कमाल के होते हैं रात में 
सोते हैं रौशनी में - जाने ये कैसे लोग .

दुनिया बड़ी रंगीन बहूत ही हसीन है -
पर्दा हटाके देखिये इक बार तो जनाब .

तुम जो भी लिखो छूट हैं 
मैं प्यार लिखूंगा - 
ठंडा हूँ बरफ सा मगर 
अंगार लिखूंगा .

गहरी खाई -काई छाई 
टूटी नैया -जल भर लायी .
दिल अपना और प्रीत बेगानी 
हरा समन्दर गोपी चंदर -
बोल मेरी मछली कितना पानी .







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