जिसका मैं वो मेरा नहीं ये कैसा दुर्भाग्य
थे तो फूलों के व्यापारी
दोस्ती काँटों से पड़ी भारी .
कटे दरख्त सब दोस्ती में
चली जो तेरे प्रेम की आरी .
तेरे वजूद - तेरे होने की सजा इस तरह से पाता हूँ
तू सूर्य सी चमकती है मैं उजालों में जला जाता हूँ .
कटी सब जिन्दगी रातके अंधेरों में
अब सुबह के उजालों का क्या करू .
नेता विदूषक खेल - खिलाड़ी कहाँ गए
ना सुर्ख़ियों में है कहीं - जाने कहाँ गुम हैं
पढता नहीं अखबार कोई आजकल यारो
ये रेडियो चैनल सभी तो आज मौन हैं -
सब लोग पूछते हैं ये मोदी शख्स कौन हैं .
इस दिल में मेरे दोस्त है तन्हाईयाँ बड़ी
होती हैं यार - शाम की परछाइयाँ बड़ी .
हिला मत निकल जायेगी
हाथ से दिल की ये दिल्ली
जरा फिर ठोकना होगा -
ये किल्ली हो गयी ढिल्ली .
कितना ही छुपायें हम -
दुनिया से भला यारो
चेहरा बता रहा है - मेरे
हर दर्द का फ़साना .
अंजाम जो भी होगा -
फिर देख लेंगे यारो .
ये पहली महूब्ब्त है
पहला ही फ़साना है .
बेवक्त का ये सुर हैं
ना गीत ही नया है .
बेसुध लोग हैं सब
अब किसको जगाना है .
भूकंप हिली धरती
अब जाग भी जा प्यारे
वर्ना फिर इस जग से -
सोते हुए जाना है .
जगाना नहीं इसको -
कुछ नींद भी कच्ची है
जागा जो तो रोयेगा -
और फिर नहीं सोयेगा .
पत्थर उछाले बहूत - फल एक ना गिरा
इस शहर के बच्चे भी बड़े बदनसीब हैं .
शीशे के घर - कमाल के होते हैं रात में
सोते हैं रौशनी में - जाने ये कैसे लोग .
दुनिया बड़ी रंगीन बहूत ही हसीन है -
पर्दा हटाके देखिये इक बार तो जनाब .
तुम जो भी लिखो छूट हैं
मैं प्यार लिखूंगा -
ठंडा हूँ बरफ सा मगर
अंगार लिखूंगा .
गहरी खाई -काई छाई
टूटी नैया -जल भर लायी .
दिल अपना और प्रीत बेगानी
हरा समन्दर गोपी चंदर -
बोल मेरी मछली कितना पानी .
जैसी जाकी लेखनी - वैसे उसके भाग्य .
चल साईं उस देश में - वहां मिलेगी ठोर
सत्ता ना बिकती जहाँ - जहाँ नहीं सब चोर .
थे तो फूलों के व्यापारी
दोस्ती काँटों से पड़ी भारी .
कटे दरख्त सब दोस्ती में
चली जो तेरे प्रेम की आरी .
तेरे वजूद - तेरे होने की सजा इस तरह से पाता हूँ
तू सूर्य सी चमकती है मैं उजालों में जला जाता हूँ .
कटी सब जिन्दगी रातके अंधेरों में
अब सुबह के उजालों का क्या करू .
बड़ी तीखी है तेज़ धार -
इसे तू शब्द मत कह यार .
शब्द जाएँ जिगर के पार .
कटे का घाव भर जाए -
नेता विदूषक खेल - खिलाड़ी कहाँ गए
ना सुर्ख़ियों में है कहीं - जाने कहाँ गुम हैं
पढता नहीं अखबार कोई आजकल यारो
ये रेडियो चैनल सभी तो आज मौन हैं -
सब लोग पूछते हैं ये मोदी शख्स कौन हैं .
इस दिल में मेरे दोस्त है तन्हाईयाँ बड़ी
होती हैं यार - शाम की परछाइयाँ बड़ी .
हिला मत निकल जायेगी
हाथ से दिल की ये दिल्ली
जरा फिर ठोकना होगा -
ये किल्ली हो गयी ढिल्ली .
कितना ही छुपायें हम -
दुनिया से भला यारो
चेहरा बता रहा है - मेरे
हर दर्द का फ़साना .
अंजाम जो भी होगा -
फिर देख लेंगे यारो .
ये पहली महूब्ब्त है
पहला ही फ़साना है .
बेवक्त का ये सुर हैं
ना गीत ही नया है .
बेसुध लोग हैं सब
अब किसको जगाना है .
भूकंप हिली धरती
अब जाग भी जा प्यारे
वर्ना फिर इस जग से -
सोते हुए जाना है .
जगाना नहीं इसको -
कुछ नींद भी कच्ची है
जागा जो तो रोयेगा -
और फिर नहीं सोयेगा .
पत्थर उछाले बहूत - फल एक ना गिरा
इस शहर के बच्चे भी बड़े बदनसीब हैं .
शीशे के घर - कमाल के होते हैं रात में
सोते हैं रौशनी में - जाने ये कैसे लोग .
दुनिया बड़ी रंगीन बहूत ही हसीन है -
पर्दा हटाके देखिये इक बार तो जनाब .
तुम जो भी लिखो छूट हैं
मैं प्यार लिखूंगा -
ठंडा हूँ बरफ सा मगर
अंगार लिखूंगा .
गहरी खाई -काई छाई
टूटी नैया -जल भर लायी .
दिल अपना और प्रीत बेगानी
हरा समन्दर गोपी चंदर -
बोल मेरी मछली कितना पानी .
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