(एक)
ना किसी ने दी पनाह
दूर तक था - सफ़र
ना कोई हमसफ़र
मंजिल ना ही डगर .
चलना तो है मगर
अपने से देश में बेगाने से लोग हैं .
(दो)
सुबह नयी ठौर मिली
कहीं नहीं और मिली
रुकी रुकी रात मिली
बातों में बात मिली .
बेगाने देश में अपने से लोग हैं .
सुबह नयी ठौर मिली
कहीं नहीं और मिली
रुकी रुकी रात मिली
बातों में बात मिली .
बेगाने देश में अपने से लोग हैं .
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