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Friday, April 12, 2013

अपने से लोग हैं .


           (एक)
ना किसी ने दी पनाह 
दूर तक था - सफ़र 
ना कोई हमसफ़र 
मंजिल ना ही डगर .
चलना तो है मगर 
अपने से देश में बेगाने से लोग हैं .
         (दो)
सुबह नयी ठौर मिली
कहीं नहीं और मिली
रुकी रुकी रात मिली
बातों में बात मिली .
बेगाने देश में अपने से लोग हैं .




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