सुमिरते सब हैं
जानता कोई नहीं
बस जो मान लेता है
वो जान लेता है .
सूना सूना दिन बीता है
सूनी सूनी रात गयी बस
जाने कब ये दिन उगा और
धीरे धीरे रात हुई बस
मौसम आते ही रहते हैं
मौसम जाते ही रहते हैं .
सबसे मिलिए प्रेम से
दोनों बाहँ पसार .
फिर जो चाहे मांग ले
कौन करे इनकार .
मन की गति विचित्र है
मन की गति अपार
मन से दुनिया जीत ले
मन हारे की हार .
ये जिन्दगी लाचार सी
बीमार सी क्यों हैं .
दमकता - खडग ये
छुरी की धार सी क्यों है .
खेत को - मेंढ़ खा गयी .
घास को भेड़ खा गयी .
बकरियां पेड़ पर चढ़ी -
क़ुतुब की लाट नजर आ गयी .
जानता कोई नहीं
बस जो मान लेता है
वो जान लेता है .
सूना सूना दिन बीता है
सूनी सूनी रात गयी बस
जाने कब ये दिन उगा और
धीरे धीरे रात हुई बस
मौसम आते ही रहते हैं
मौसम जाते ही रहते हैं .
सबसे मिलिए प्रेम से
दोनों बाहँ पसार .
फिर जो चाहे मांग ले
कौन करे इनकार .
मन की गति विचित्र है
मन की गति अपार
मन से दुनिया जीत ले
मन हारे की हार .
ये जिन्दगी लाचार सी
बीमार सी क्यों हैं .
दमकता - खडग ये
छुरी की धार सी क्यों है .
खेत को - मेंढ़ खा गयी .
घास को भेड़ खा गयी .
बकरियां पेड़ पर चढ़ी -
क़ुतुब की लाट नजर आ गयी .
कोई माने या ना माने
कोई जाने या ना जाने
जीना गर है बड़ा जरुरी
मरना सीख अरे दीवाने .
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