ज्य़ादा खुश मत हो अभी
ताज़ी ताज़ी जीत -
अभी निभानी है बहूत
लम्बी चौड़ी प्रीत .
दख्हन तो दख्हन सखा
उत्तर दूजा छोर .
दिल्ली खासी दूर है
अभी कहाँ है भौर .
सीधी गईया दुह लयी
उसपर इतना मान
जब दुहेगा सांड को
माने तुझे महान .
विकट खेल है बोट का
खेल सके तो खेल
या बैठेगा रेल में
या फिर सेंटर जेल .
ताज़ी ताज़ी जीत -
अभी निभानी है बहूत
लम्बी चौड़ी प्रीत .
दख्हन तो दख्हन सखा
उत्तर दूजा छोर .
दिल्ली खासी दूर है
अभी कहाँ है भौर .
सीधी गईया दुह लयी
उसपर इतना मान
जब दुहेगा सांड को
माने तुझे महान .
विकट खेल है बोट का
खेल सके तो खेल
या बैठेगा रेल में
या फिर सेंटर जेल .
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