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Thursday, February 21, 2013

क्षणिकाएं

यूँ चल्लू भर - 
डूबने को काफी है - 
दर्द का सागर पूरा भरा नहीं  
तू डूबा नहीं है - ऐ दोस्त 
बता दे जता दे दुनिया को - 
जिन्दा है तू अभी मरा नहीं .

भीगने के डर से - ना निकले बाहर 
अब सारी छत टपक रही है 
कहाँ जाइएगा .
पूरी कायनात भीगी हुई है यार 
कहाँ जाके कपडे सुखाइयेगा .
अम़ा छोडो - अभी तो आये हो 
रुको कुछ देर - चले जाइयेगा

किसी ने यूँही 
बे खौफ हो - मुझे 
छुआ क्या है . 
बेबसी मेरी - कुछ 
आज बेबस सी है .
नहीं मालूम - इसे 
ये आज हुआ क्या है .

शब्द सीखे - बांचे उम्रभर 
लेकिन - दुनिया में रहने का 
हुनर सीख हम नहीं पाए .

ये सच है की समन्दर 
बहूत बड़ा - विशाल है - 
पर मेरा दिल कौन सा कंगाल है . 
किसी का अहसान क्यों उठायें 
आज ही उसका ऋण चुकाएं 
चल अपने हिस्से की एक बूँद - 
मगरूर सागर में छोड़ आयें .

वो प्यार था ही नहीं 
जो कभी हुआ ही नहीं .
उनके दिल की वे जाने 
मुझे सच यार - 
कुछ पता ही नहीं .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
ये बीते पल ऐसे ही - हुआ करते हैं .

पतझरों से कोई प्यार नही -
बहारों से कोई तकरार नहीं .
आये तो ठीक - वर्ना अगले 
बरस आ - कोई सरोकार नहीं .

वो काले बादलों की तरह 
उमड़े तो - पर कहाँ बरसे .
दिल में प्यास थी ही नहीं - 
मेरी बला से यार फिर -
कोई बरसे की ना बरसे .


आ मेरे ख्वाब तुझे दिल में छिपा लूं 
कसम लगे - जो कभी दिल से निकालूँ .

मैं कब तलक तेरे सपनों में जियूं 
कभी हकीकत में आके मिलो हमसे .

ठीक से याद नहीं - सपना था यार मेरे 
गुजर गया - तेरा ख्याल जाने कब का .

मुझसे मेरे सपनो की बातमत करना 
कभी ठीक से देखी है हकीकत मेरी .

ये हकीकत है हमें - तुम मिले 
सपना होता तो टूट जाता कब का .

फिर कभी लिखेंगे सच 
मेरे ख्वाब से जगाओ मत .
बिछुड़ना ही अगर जरुरी है तो 
मेरे सपनों में यार आओ मत .

गर वो सपना है टूट जाएगा 
हकीकत में भले आओ मत .
जिन्दगी यूँ भी कौन सी है हसीं 
अभी आये हो अभी जाओ मत .

सपने सच भी होते हैं 
पर कब - जब यथार्थ 
सपना बन जाता है .

सपनों के सच -
यथार्थ में झूठे हो जाते हैं .
फिर भी मन को लुभाते हैं . 
राम जाने ऐसे सपने 
मेरी ही आँखों में - 
आखिर क्यों आते हैं .

सपने किसी के - 
सच नहीं होते .
रात के रंग - यथार्थ 
की धूप में ना जाने - 
कहाँ धुल जाते हैं . 
जो पुरे हो जायें 
ऐसे सपने - यार 
किसी किसी को आते हैं .

इश्क तुझसे - या खुदा से 
यार जो भी पहले मिल जाए .

हम मर गए उन्हें संभालते हुए 
वे थक गए दिल से निकालते हुए .

घर से चले थे सोचकर - लाएंगे बहारें 
पतझर के हैं आसार -बता किसको पुकारे .  

अब और कोई बात कर - हो जश्न नया यार 
ये रोज़ की किटकिट से अब घबरा गया हूँ मैं . 

दुनिया की भीड़ में - अकेला ही खड़ा था मैं 
होता जो कोई साथ - कबका खो गया होता .

थी रौशनी की चाह - सूरज घर नहीं मिला 
यूँ अपनी जिन्दगी ठिठरती छाँव में कटी .

थी प्यास बूँद की और - सागर ढूँढता रहा 
जो खुद में ढूँढता तो कबका पा गया होता

तन्हाइयों से भागकर जाओगे कहाँ दिल 
जाओगे जहाँ पाओगे तन्हाइया वहां .

आ जाओ मेरे यार - मिलाई की रसम है
आना जरुर - तुम्हें इस दिल की कसम है . 

गम को बुलाये कौन 
अब खुशियों की भीड़ में 
आ जाना तू भी यार 
किसी दिन उछीड में .

यूँ तो बुलाया था नहीं 
ख़त भेज कर तुम्हें .
जब आ ही गए - तो 
एक पल ठहर भी जाओ .

अच्छी निभायी दोस्ती 
महंगा है कारोबार . 
सब दोस्त - रातों रात 
इस दिल से हुए फरार .

गुमसुम है चांदनी कुछ 
और चाँद भी उदास .
लौट आओ मेरे चाँद 
चले आओ मेरे पास .

चाहने से बदलती नहीं 
हाथों की ये लकीर .
लिखी नहीं अमीरी - 
जो रहना सदा फ़क़ीर .

ये मुक्कदर भी गजब 
चीज है - किसी ने 
क्या बात कही है - 
मिल जाए तो सही - 
वर्ना जो मिला - 
वो सही है .

ना सही आज - 
चलो - कभी तो मिलेगा 
गर लिखा है मुकद्दर में
मिलना - यार 
तभी तो मिलेगा .

जमीं बदली - फिजां बदली 
हवा बदली जमाने की .
बचा के रख नहीं पाए - 
उडी छत आशियाने की .

मेरी ख़ामोशी की चीखें - गूंजती संसद में जो 
क्यों उतरते सड़क पर - हम लाठियां खाने को यार .

मस्तियों की पाठशाला 
मौज करने का जूनून .
सड़क पर बिखरा हुआ 
दीखता है युवा देश का .

आज मेरे सामने आ - 
रूबरू हो - कह भी दो 
देश तेरा ही नहीं - मेरा 
भी कुछ लगता है यार .

खरीदोगे वही चीज जो -
बिका करती है .
हुस्न बिकता है बाजारों में 
दिल नहीं बिकता .





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