यूँ चल्लू भर -
डूबने को काफी है -
दर्द का सागर पूरा भरा नहीं
तू डूबा नहीं है - ऐ दोस्त
बता दे जता दे दुनिया को -
जिन्दा है तू अभी मरा नहीं .
भीगने के डर से - ना निकले बाहर
अब सारी छत टपक रही है
कहाँ जाइएगा .
पूरी कायनात भीगी हुई है यार
कहाँ जाके कपडे सुखाइयेगा .
अम़ा छोडो - अभी तो आये हो
रुको कुछ देर - चले जाइयेगा
किसी ने यूँही
बे खौफ हो - मुझे
छुआ क्या है .
बेबसी मेरी - कुछ
आज बेबस सी है .
नहीं मालूम - इसे
ये आज हुआ क्या है .
शब्द सीखे - बांचे उम्रभर
लेकिन - दुनिया में रहने का
हुनर सीख हम नहीं पाए .
ये सच है की समन्दर
बहूत बड़ा - विशाल है -
पर मेरा दिल कौन सा कंगाल है .
किसी का अहसान क्यों उठायें
आज ही उसका ऋण चुकाएं
चल अपने हिस्से की एक बूँद -
मगरूर सागर में छोड़ आयें .
वो प्यार था ही नहीं
जो कभी हुआ ही नहीं .
उनके दिल की वे जाने
मुझे सच यार -
कुछ पता ही नहीं .
हम मर गए उन्हें संभालते हुए
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
ये बीते पल ऐसे ही - हुआ करते हैं .
पतझरों से कोई प्यार नही -
बहारों से कोई तकरार नहीं .
आये तो ठीक - वर्ना अगले
बरस आ - कोई सरोकार नहीं .
वो काले बादलों की तरह
उमड़े तो - पर कहाँ बरसे .
दिल में प्यास थी ही नहीं -
मेरी बला से यार फिर -
कोई बरसे की ना बरसे .
हम मर गए उन्हें संभालते हुए
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
डूबने को काफी है -
दर्द का सागर पूरा भरा नहीं
तू डूबा नहीं है - ऐ दोस्त
बता दे जता दे दुनिया को -
जिन्दा है तू अभी मरा नहीं .
भीगने के डर से - ना निकले बाहर
अब सारी छत टपक रही है
कहाँ जाइएगा .
पूरी कायनात भीगी हुई है यार
कहाँ जाके कपडे सुखाइयेगा .
अम़ा छोडो - अभी तो आये हो
रुको कुछ देर - चले जाइयेगा
किसी ने यूँही
बे खौफ हो - मुझे
छुआ क्या है .
बेबसी मेरी - कुछ
आज बेबस सी है .
नहीं मालूम - इसे
ये आज हुआ क्या है .
शब्द सीखे - बांचे उम्रभर
लेकिन - दुनिया में रहने का
हुनर सीख हम नहीं पाए .
ये सच है की समन्दर
बहूत बड़ा - विशाल है -
पर मेरा दिल कौन सा कंगाल है .
किसी का अहसान क्यों उठायें
आज ही उसका ऋण चुकाएं
चल अपने हिस्से की एक बूँद -
मगरूर सागर में छोड़ आयें .
वो प्यार था ही नहीं
जो कभी हुआ ही नहीं .
उनके दिल की वे जाने
मुझे सच यार -
कुछ पता ही नहीं .
हम मर गए उन्हें संभालते हुए
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
ये बीते पल ऐसे ही - हुआ करते हैं .
पतझरों से कोई प्यार नही -
बहारों से कोई तकरार नहीं .
आये तो ठीक - वर्ना अगले
बरस आ - कोई सरोकार नहीं .
वो काले बादलों की तरह
उमड़े तो - पर कहाँ बरसे .
दिल में प्यास थी ही नहीं -
मेरी बला से यार फिर -
कोई बरसे की ना बरसे .
आ मेरे ख्वाब तुझे दिल में छिपा लूं
कसम लगे - जो कभी दिल से निकालूँ .
कसम लगे - जो कभी दिल से निकालूँ .
मैं कब तलक तेरे सपनों में जियूं
कभी हकीकत में आके मिलो हमसे .
कभी हकीकत में आके मिलो हमसे .
ठीक से याद नहीं - सपना था यार मेरे
गुजर गया - तेरा ख्याल जाने कब का .
गुजर गया - तेरा ख्याल जाने कब का .
मुझसे मेरे सपनो की बातमत करना
कभी ठीक से देखी है हकीकत मेरी .
कभी ठीक से देखी है हकीकत मेरी .
ये हकीकत है हमें - तुम मिले
सपना होता तो टूट जाता कब का .
सपना होता तो टूट जाता कब का .
फिर कभी लिखेंगे सच
मेरे ख्वाब से जगाओ मत .
बिछुड़ना ही अगर जरुरी है तो
मेरे सपनों में यार आओ मत .
गर वो सपना है टूट जाएगा
हकीकत में भले आओ मत .
जिन्दगी यूँ भी कौन सी है हसीं
अभी आये हो अभी जाओ मत .
मेरे ख्वाब से जगाओ मत .
बिछुड़ना ही अगर जरुरी है तो
मेरे सपनों में यार आओ मत .
गर वो सपना है टूट जाएगा
हकीकत में भले आओ मत .
जिन्दगी यूँ भी कौन सी है हसीं
अभी आये हो अभी जाओ मत .
सपने सच भी होते हैं
पर कब - जब यथार्थ
सपना बन जाता है .
पर कब - जब यथार्थ
सपना बन जाता है .
सपनों के सच -
यथार्थ में झूठे हो जाते हैं .
फिर भी मन को लुभाते हैं .
राम जाने ऐसे सपने
मेरी ही आँखों में -
आखिर क्यों आते हैं .
यथार्थ में झूठे हो जाते हैं .
फिर भी मन को लुभाते हैं .
राम जाने ऐसे सपने
मेरी ही आँखों में -
आखिर क्यों आते हैं .
सपने किसी के -
सच नहीं होते .
रात के रंग - यथार्थ
की धूप में ना जाने -
कहाँ धुल जाते हैं .
जो पुरे हो जायें
ऐसे सपने - यार
किसी किसी को आते हैं .
सच नहीं होते .
रात के रंग - यथार्थ
की धूप में ना जाने -
कहाँ धुल जाते हैं .
जो पुरे हो जायें
ऐसे सपने - यार
किसी किसी को आते हैं .
इश्क तुझसे - या खुदा से
यार जो भी पहले मिल जाए .
यार जो भी पहले मिल जाए .
हम मर गए उन्हें संभालते हुए
वे थक गए दिल से निकालते हुए .
घर से चले थे सोचकर - लाएंगे बहारें
पतझर के हैं आसार -बता किसको पुकारे .
अब और कोई बात कर - हो जश्न नया यार
ये रोज़ की किटकिट से अब घबरा गया हूँ मैं .
दुनिया की भीड़ में - अकेला ही खड़ा था मैं
होता जो कोई साथ - कबका खो गया होता .
होता जो कोई साथ - कबका खो गया होता .
थी रौशनी की चाह - सूरज घर नहीं मिला
यूँ अपनी जिन्दगी ठिठरती छाँव में कटी .
यूँ अपनी जिन्दगी ठिठरती छाँव में कटी .
थी प्यास बूँद की और - सागर ढूँढता रहा
जो खुद में ढूँढता तो कबका पा गया होता
जो खुद में ढूँढता तो कबका पा गया होता
तन्हाइयों से भागकर जाओगे कहाँ दिल
जाओगे जहाँ पाओगे तन्हाइया वहां .
जाओगे जहाँ पाओगे तन्हाइया वहां .
आ जाओ मेरे यार - मिलाई की रसम है
आना जरुर - तुम्हें इस दिल की कसम है .
आना जरुर - तुम्हें इस दिल की कसम है .
गम को बुलाये कौन
अब खुशियों की भीड़ में
आ जाना तू भी यार
किसी दिन उछीड में .
यूँ तो बुलाया था नहीं
ख़त भेज कर तुम्हें .
जब आ ही गए - तो
एक पल ठहर भी जाओ .
अब खुशियों की भीड़ में
आ जाना तू भी यार
किसी दिन उछीड में .
यूँ तो बुलाया था नहीं
ख़त भेज कर तुम्हें .
जब आ ही गए - तो
एक पल ठहर भी जाओ .
अच्छी निभायी दोस्ती
महंगा है कारोबार .
सब दोस्त - रातों रात
इस दिल से हुए फरार .
महंगा है कारोबार .
सब दोस्त - रातों रात
इस दिल से हुए फरार .
गुमसुम है चांदनी कुछ
और चाँद भी उदास .
लौट आओ मेरे चाँद
चले आओ मेरे पास .
और चाँद भी उदास .
लौट आओ मेरे चाँद
चले आओ मेरे पास .
चाहने से बदलती नहीं
हाथों की ये लकीर .
लिखी नहीं अमीरी -
जो रहना सदा फ़क़ीर .
हाथों की ये लकीर .
लिखी नहीं अमीरी -
जो रहना सदा फ़क़ीर .
ये मुक्कदर भी गजब
चीज है - किसी ने
क्या बात कही है -
मिल जाए तो सही -
वर्ना जो मिला -
वो सही है .
चीज है - किसी ने
क्या बात कही है -
मिल जाए तो सही -
वर्ना जो मिला -
वो सही है .
ना सही आज -
चलो - कभी तो मिलेगा
गर लिखा है मुकद्दर में
मिलना - यार
तभी तो मिलेगा .
चलो - कभी तो मिलेगा
गर लिखा है मुकद्दर में
मिलना - यार
तभी तो मिलेगा .
जमीं बदली - फिजां बदली
हवा बदली जमाने की .
बचा के रख नहीं पाए -
उडी छत आशियाने की .
हवा बदली जमाने की .
बचा के रख नहीं पाए -
उडी छत आशियाने की .
मेरी ख़ामोशी की चीखें - गूंजती संसद में जो
क्यों उतरते सड़क पर - हम लाठियां खाने को यार .
क्यों उतरते सड़क पर - हम लाठियां खाने को यार .
मस्तियों की पाठशाला
मौज करने का जूनून .
सड़क पर बिखरा हुआ
दीखता है युवा देश का .
मौज करने का जूनून .
सड़क पर बिखरा हुआ
दीखता है युवा देश का .
आज मेरे सामने आ -
रूबरू हो - कह भी दो
देश तेरा ही नहीं - मेरा
भी कुछ लगता है यार .
रूबरू हो - कह भी दो
देश तेरा ही नहीं - मेरा
भी कुछ लगता है यार .
खरीदोगे वही चीज जो -
बिका करती है .
हुस्न बिकता है बाजारों में
दिल नहीं बिकता .
No comments:
Post a Comment