हम कितने आशावादी हैं
जुगनू भी चमकता है
तू सूरज की तरह उसे
अधर्य देने लगते हैं -और
देवता की तरह मनौती मनाते हैं
अंकुर फूटते ही -
उसपर रंगीन धागे लपेटते
चन्दन टीके लगाते हैं .
सामान्य सी खरपतवार को
देवता मानते - बताते हैं .
किसी बाबा- अन्ना
को हमारे जज्बात
किस तरह - जमीन
से उठाकर - सत्ता के
गलियारे तक पहुंचाते हैं
ये वो कहानी है - जो हम
अनगिनत बार -दोहराते हैं .
हम हिन्दुस्तानियों के
मिजाज - जमाने के कुछ
समझ में नहीं आते हैं .
इस देश में - जन क्रांति
एक - कपोल कल्पना है
बच्चे की आँख का देखा
धुन्दला सा सपना है .
जुगनू भी चमकता है
तू सूरज की तरह उसे
अधर्य देने लगते हैं -और
देवता की तरह मनौती मनाते हैं
अंकुर फूटते ही -
उसपर रंगीन धागे लपेटते
चन्दन टीके लगाते हैं .
सामान्य सी खरपतवार को
देवता मानते - बताते हैं .
किसी बाबा- अन्ना
को हमारे जज्बात
किस तरह - जमीन
से उठाकर - सत्ता के
गलियारे तक पहुंचाते हैं
ये वो कहानी है - जो हम
अनगिनत बार -दोहराते हैं .
हम हिन्दुस्तानियों के
मिजाज - जमाने के कुछ
समझ में नहीं आते हैं .
इस देश में - जन क्रांति
एक - कपोल कल्पना है
बच्चे की आँख का देखा
धुन्दला सा सपना है .
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